कुल कोयला उत्पादन का सिर्फ एक फीसदी स्टील सेक्टर को
धनबाद में बीसीसीएल द्वारा स्टील सेक्टर के लिए कंज्यूमर मीट का आयोजन किया गया। कोकिंग कोल की कमी के कारण स्टील उद्योग को केवल 0.30 मिलियन टन कोयला दिया गया, जबकि पावर सेक्टर को 51.19 मिलियन टन कोयला...

धनबाद। विशेष संवाददाता इसी सप्ताह बीसीसीएल में स्टील सेक्टर के उपभोक्ताओं के लिए बड़े पैमाने पर कंज्यूमर मीट का आयोजन किया गया था। कोकिंग कोल उत्पादक बीसीसीएल पर दवाब है कि स्टील सेक्टर के उपभोक्ताओं को ज्यादा कोयला मुहैया कराए। कोयला मंत्रालय की ओर से अप्रैल महीने में कोल इंडिया की जारी डिस्पैच रिपोर्ट पर गौर करें तो स्टील सेक्टर को महज एक प्रतिशत कोयला की आपूर्ति की गई। कुल 64.46 मिलियन टन डिस्पैच में स्टील सेक्टर को महज दशमल 30 (.30) मिलियन टन कोयला दिया गया। वहीं कुल डिस्पैच का 79% यानी 51.19 मिलियन टन कोयला पावर सेक्टर को कोल कंपनियों ने दिया।
स्टील सेक्अर को कम आपूर्ति की वजह कोकिंग कोल की कमी है। वैसे जो भी देसी कोकिंग कोल का उत्पादन होता है उसमें भी ज्यादातर की आपूर्ति पावर प्लांटों को कर दिया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि कोकिंग कोल को स्टील सेक्टर के लायक उपयोग बनाना होगा। वाश क्षमता बढ़ानी होगी। इसके लिए बीसीसीएल और सीसीएल पर मंत्रालय का ज्यादा जोर है। कोल इंडिया की सिर्फ दो अनुषंगी कंपनियों बीसीसीएल और सीसीएल में ही कोकिंग कोल की खदानें हैं। आंकड़ों के अनुसार 2024-25 में देश में कोकिंग कोल का कुल उत्पादन 66.49 मिलियन टन है। इसमें अकेले बीसीसीएल में 38.89 मिलियन टन कोकिंग कोल का उत्पादन किया। सीसीएल में इसी अवधि में 20.54 मिलियन टन उत्पादन हुआ। कैप्टिव-कॉमर्शियल खदानों से 6.82 मिलियन टन का सहयोग मिला। मालूम हो बीसीसीएल की ओर से आयोजित कंज्यूमर मीट में स्टील की तकरीबन 25 बड़ी कंपनियों ने हिस्सा लिया था। यानी बेहतर कोयला मिले तो सटील कंपनियों को देसी कोकिंग कोल में दिलचस्पी है। विदेशी कोकिंग कोल के मुकाबले देसी कोकिंग कोल सस्ता पड़ता है। वैसे गुणवत्ता के मामले में देसी कोकिंग कोल पीछे रह जाती है। अप्रैल में किस सेक्टर को कोल इंडिया से कितना कोयला सेक्टर कोयले की आपूर्ति(एमटी) प्रतिशत पावर प्लांट 51.19 79 सीपीपी 4.86 8 स्टील 0.30 01 सिमेंट 0.72 01 स्पॉज आयरण 0.65 01 अन्य 6.74 10
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