Do tilak with blood, aarti with bullets, Nishikant Dubey blunt statement on talks with Pakistan खून से तिलक करो, गोलियों से आरती; पाकिस्तान से बातचीत पर निशिकांत दुबे की दो टूक, Jharkhand Hindi News - Hindustan
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खून से तिलक करो, गोलियों से आरती; पाकिस्तान से बातचीत पर निशिकांत दुबे की दो टूक

झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पाकिस्तान से बातचीत पर कहा कि खून से तिलक करो, गोलियों से आरती। दरअसल रिपोर्टर ने सवाल करते हुए कहा था कि कांग्रेस कह रही है कि हमें पाकिस्तानियों से बात करनी चाहिए।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, गोड्डाTue, 29 April 2025 11:23 AM
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खून से तिलक करो, गोलियों से आरती; पाकिस्तान से बातचीत पर निशिकांत दुबे की दो टूक

जम्मू कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया। इस हमले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के तमाम नेताओं ने लगातार अपने बयान दिए। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पाकिस्तान से बातचीत पर कहा कि खून से तिलक करो, गोलियों से आरती।

न्यूज एजेंसी एनआई के संवाददाता ने निशिकांत दुबे से कांग्रेस के बयान पर सवाल पूछा तो निशिकांत दुबे ने दो टूक में जवाब देते हुए कहा कि उनको आरती उतारनी चाहिए। मतलब पाकिस्तान के लोग हमारे लोगों की हत्या करें और हम उनकी आरती उतारें। दरअसल रिपोर्टर ने सवाल करते हुए कहा था कि कांग्रेस कह रही है कि हमें पाकिस्तानियों से बात करनी चाहिए।

निशिकांत दुबे ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि मैं विद्यार्थी परिषद का विद्यार्थी हूं और मेरा एक ही नारा है। कश्मीर है पुकारती, पुकारती है भारती। खून से तिलक करो, गोलियों से आरती। निशिकांत दुबे ने कहा कि इसका कोई और विकल्प नहीं है।

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सांसद ने इसे अपने एक्स अकाउंट पर भी पोस्ट किया। इस पर यूजर की मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई। सौरभ नामके यूजर ने फिल्म पुष्पा का सीन शेयर करते हुए लिखा दुबे जी बी लाइक- झुकेगा नहीं। वहीं भारत नामक यूजर ने लिखा फायर ही फायर दुबे जी।

निशिकात दुबे पर कुछ यूजर ने हमला भी बोला। तिवारी जी नामके यूजर ने लिखा- कितना खुश है ये आदमी, जबसे पहलगाम में हमला हुआ है। हरिशंकर नामक यूजर ने लिखा, आप तो कलमा पढ़े थे, और अब खून की बात करने लगे? यानी मौसम देखकर रंग बदलते हैं। आदित्या मौर्या ने लिखा, खाली बयानबाजी और शेरो शायरी ही कीजिएगा क्या? वो 4 आतंकवादी अभी तक ज़िंदा क्यों हैं? और कहाँ है?