पाइप लीकेज के कारण सात दिनों से कई गांवों में पानी की किल्लत
मसलिया प्रखंड के कई गांवों में पिछले सात दिनों से पानी की किल्लत है। बेलियाजोड़ जलापूर्ति योजना की पाइप लाइन में लीकेज के कारण कुसुमघाटा, धोबना, सरमुंडी और कुसबेदिया गांवों में जलापूर्ति पूरी तरह...

मसलिया। इसे विभाग की अनदेखी कहें या कुछ और! पिछले सात दिनों से मसलिया प्रखंड के कई गांवों में पानी की किल्लत है। कारण आप जान चौक जाएंगें। विभाग के अधिकारिया व पदाधिकारियों को न तो सरकार के सक्ष्त संदेश का भय है और न ही जिले के वरिय अधिकारियों का। पिछले कई दिनों से मसलिया प्रखंड के बेलियाजोड़ बहु-ग्रामीण जलापूर्ति योजना की पाइप लाइन में लीकेज है। बावजूद विभाग के कान नहीं खड़ा हो रहे हैं। जिसका नतीजा है कि प्रखंड क्षेत्र के वैसे दर्जनों गांव के लोग जो इस योजना से लाभांवित होते थे आज संकट में है। विभाग केवल इन समस्या को दूर कर दें तो भीषण गर्मी के दिनों में इन गांव के लोगों को पेयजल की समस्या से निजात मिल जाएगी, पर विभाग की मनमाने रवैया ने इन गांव के लोगों को निरास कर रखा है।
आश्चर्य तो यह है कि प्रखंड के पदाधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। स्थानीय जनप्रतिनियों की बात तो करना भी बेमानी ही है। जानकारी के मुताबिक बेलियाजोड़ जलापूर्ति योजना में पाइप लीकेज होने के कारण प्रखंड के कुसुमघाटा, धोबना, सरमुंडी और कुसबेदिया गांवों में पिछले सात दिनों से पेयजल आपूर्ति पूरी तरह बाधित है। सबसे गंभीर स्थिति धोबना गांव की है, जहां पाइप लीकेज की वजह से जलापूर्ति पूरी तरह बंद हो चुकी है। स्थानीय ग्रामीणों वृंदावन पाल, सुंदर पाल, मनबोध पाल और गांधी यादव ने जानकारी दी कि यह जलापूर्ति योजना करोड़ों की लागत से मात्र एक वर्ष पूर्व पूरी हुई थी, लेकिन अब इसकी गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। जगह-जगह पाइप लाइन में लीकेज की समस्या उत्पन्न हो रही है। जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गर्मी के इस मौसम में पेयजल का संकट और भी अधिक गंभीर हो गया है। लोग दूर-दराज के जलस्रोतों पर निर्भर होने को मजबूर हैं। विभागीय अधिकारियों से मांग की है कि शीघ्रता से पाइप लीकेज की मरम्मत कर जलापूर्ति बहाल की जाए। साथ ही दोषी एजेंसी पर कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो। फिलहाल विभाग की ओर से लीकेज मरम्मती की कोई पहल नहीं की गई है। जिससे ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
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