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झारखंड में फर्जी दस्तावेजों पर हड़प ली वनभूमि, CID ने दर्ज किया एक और केस; ऐसे हुआ घोटाला

राज्य में बड़े पैमाने पर दस्तावेजों की हेरफेर कर सरकारी भूमि की लूट को लेकर सीआईडी रेस है। वनभूमि घोटाले को लेकर बोकारो के पिंडराजोड़ा थाने में उमेश जैन, ललन पांडेय, राजस्वकर्मियों समेत अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को टेकओवर करते हुए नया केस दर्ज किया है।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, रांची। अखिलेश सिंहTue, 29 April 2025 09:13 AM
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झारखंड में फर्जी दस्तावेजों पर हड़प ली वनभूमि, CID ने दर्ज किया एक और केस; ऐसे हुआ घोटाला

राज्य में बड़े पैमाने पर दस्तावेजों की हेरफेर कर सरकारी भूमि की लूट को लेकर सीआईडी रेस है। वनभूमि घोटाले को लेकर बोकारो के पिंडराजोड़ा थाने में उमेश जैन, ललन पांडेय, राजस्वकर्मियों समेत अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को टेकओवर करते हुए नया केस दर्ज किया है। पूरे मामले की समीक्षा के बाद बोकारो-रामगढ़ फोरलेन पर वनभूमि को फर्जी दस्तावेज के आधार पर हड़पने और रिसॉर्ट निर्माण से जुड़े मामले की जांच शुरू कर दी है।

सीआईडी ने इससे पूर्व बोकारो के सेक्टर-12 थाने में 103 एकड़ भूमि को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हड़पने से जुड़े केस को टेकओवर किया था। सीआईडी द्वारा दर्ज केस के आधार पर ही ईडी ने भी ईसीआईआर दर्ज कर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी थी। साथ ही कार्रवाई करते हुए ईडी ने बीते दिनों झारखंड, बिहार के 16 ठिकानों पर छापेमारी कर 1.30 करोड़ नकद समेत दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे।

जाली दस्तावेजों पर रजिस्ट्री

पिंडराजोड़ा के खाता नंबर 317 के प्लॉट संख्या 3589 के तहत 21 एकड़ जमीन है, जिसमें 4.08 एकड़ जमीन वन और शेष 16.92 एकड़ का स्वामित्व राज्य सरकार के पास है। पूर्व में अंचल कार्यालय की जांच में पाया गया था कि 1956 में जमींदारी उन्मूलन के बाद इसके स्वामित्व को राज्य सरकार में सन्निहित कर दिया गया। उस जमीन पर किसी ने न तो लगान जमा कराया और न ही दावेदारी की थी। बाद में 1983 के तारीख का दस्तावेज बनवाकर जमीन की रजिस्ट्री करा ली गई।

राजस्व कार्यलय ने इस मामले की जांच कराई तो यह जानकारी नहीं मिली कि ललन पांडेय के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री किस आधार पर की गई। साल 2015-16 में वन भूमि को बिना किसी सक्षम प्राधिकार के आदेश से ललन पांडेय के नाम पर बदल दिया गया। जमींदारी उन्मूलन के बाद 1956- 2015 तक इन प्लॉट्स पर कोई लगान नहीं कटा था। बाद में ललन पांडेय ने इस जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी पुरुलिया से रजिस्टर्ड कराई। इसके बाद रिसॉर्ट बनाया जा रहा था।