Construction of Unique 108 Feet Jain Temple in Madhuban Eastern India मधुबन में भूकम्प निरोधी पंचायतन शैली का बन रहा अद्भुत मंदिर, Gridih Hindi News - Hindustan
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मधुबन में भूकम्प निरोधी पंचायतन शैली का बन रहा अद्भुत मंदिर

पूर्वी भारत का सबसे बड़ा मंदिर होगा का अद्भुत मंदिर का निर्माण हो रहा है। गुणायतन परिसर में निर्माणाधीन सांस्कृतिक कलाकृतियों से सुसज्जित 108 फिट ऊं

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहTue, 3 June 2025 03:27 AM
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मधुबन में भूकम्प निरोधी पंचायतन शैली का बन रहा अद्भुत मंदिर

पीरटांड़। सम्मेद शिखरजी पारसनाथ की धरती मधुबन में आठ रिएक्टर पैमाना भूकम्प निरोधी पंचायतन शैली का अद्भुत मंदिर का निर्माण हो रहा है। गुणायतन परिसर में निर्माणाधीन सांस्कृतिक कलाकृतियों से सुसज्जित 108 फिट ऊंचा मंदिर पूर्वी भारत का सबसे बड़ा मंदिर होगा। करोड़ों की लागत से तैयार चतुर्मुखी मंदिर में जैन धर्म के मूलनायक भगवान चन्द्रप्रभु समेत चौबीसों तीर्थंकर की प्रतिमा विराजमान की जाएगी। बताया जाता है कि जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर पारसनाथ की पुण्य धरा पर स्थित गुणायतन परिसर में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के पावन प्रेरणा व मुनि प्रमाण सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से निर्माणाधीन अद्भुत कलाकृतियों के सुसज्जित चतुर्मुखी भव्य जिनालय अध्यात्म की दुनिया में अद्भुत व अलौकिक होगा।

पंचायतन शैली के इस भव्य मंदिर निर्माण में अध्यात्म संस्कृति से लेकर वैज्ञानिक पैमाना का भी विशेष ख्याल रखा गया है। 108 फिट ऊंचा व 25 शिखरबद्ध मंदिर को अद्भुत कलाकृतियों से सजाया संवारा जा रहा है। मंदिर की मजबूती को लेकर नींव से ही इसका विशेष ध्यान रखा गया है। 144×139 फिट लंबाई चौड़ाई मंदिर की नींव 40 फिट गहराई से तैयार की गई है। मंदिर निर्माण में लोहे का उपयोग एक रत्ती भर नहीं किया गया है। पूरा मंदिर राजस्थान के बंशी पहाड़ी के लाल पत्थर से तैयार किया जा रहा है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मंदिर 8 रिएक्टर पैमाना भूकम्प निरोधी तथा लगभग 1500 वर्ष की विश्वनीयता तय की गई है। इस भव्य मंदिर निर्माण में अबतक ढाई से तीन लाख टन पत्थर लगाया जा चुका है। मंदिर के प्रवेश द्वार में नकारात्मक ऊर्जा को रोकने के लिए समुद्री जीव की आकृति उकेरी गई है। ताकि श्रद्धालु सकारात्मक ऊर्जा के साथ अध्यात्म की गंगा डुबकी लगा सके। मंदिर के चहुंओर देवी देवता, हाथी-घोड़े व आकर्षक वाद्य यंत्र की अद्भुत चित्रकला आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पूर्वी भारत की इस अद्भुत चतुर्मुखी मंदिर में मूलनायक भगवान चन्द्रप्रभु समेत चौबीसों तीर्थंकर की प्रतिमा विराजमान किया जायेगा। नवम्बर 2008 से लेकर 2025 यानी लगभग 16 -17 वर्षों में मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होने के कगार पर है। संभवतः आगामी वर्ष 2026 में भव्य रूप से मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया जायेगा। प्रतिष्ठा के बाद अद्भुत मंदिर पूर्वी भारत के लिए अध्यात्म की दुनिया मे अनोखा मंदिर साबित होगा। संस्था के ट्रस्टी सुनील अजमेरा ने बताया कि साधु संतों के प्रेरणा व मुनि प्रमाण सागर जी महाराज के आशीर्वाद से गुनायतन में भव्य मंदिर का निर्माण कार्य लगभव पूर्ण हो चुका है। साधु संतों के सानिध्य में भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन होगा। मंदिर अध्यात्म के साथ साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बनाया गया है।

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