Haazari Baag Medical College Faces Dialysis Machine Shortage Amid Rising Kidney Patients संशोधित: एचएमसीएच में एक डायलिसिस की मशीन खराब नौ मशीन से चल रहा काम, Hazaribagh Hindi News - Hindustan
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संशोधित: एचएमसीएच में एक डायलिसिस की मशीन खराब नौ मशीन से चल रहा काम

रोगियों की परेशानी बरकरार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बेड और मशीन बढ़ने का कर रहे इंतजार हजारीबाग हमारे प्रतिनिधि हजारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पटिल मे

Newswrap हिन्दुस्तान, हजारीबागSat, 19 April 2025 01:47 AM
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संशोधित: एचएमसीएच में एक डायलिसिस की मशीन खराब नौ मशीन से चल  रहा काम

हजारीबाग हमारे प्रतिनिधि हजारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पटिल में एक डायलिसिस यूनिट है। हालांकि यहां रोजना 30 से 35 मरीजों की डायलिसिस होती है। इससे लोगों को राहत है पर इन दिनों यहां की एक डायलिसिस मशीन में कुछ खराबी है इस कारण नौ मशीनों से काम चलाया जा रहा है। जबकि मरीजों का लोड बढ़ रहा है। किडनी विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार जिले में 20 में एक व्यक्ति किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का डायलिसिस सेंटर में डायलिसिस के लिए सालों भर लंबी कतार लगी रहती है। मरीजों के अनुपात में बेड और हिमो डायलिसिस मशीन नहीं है। बावजूद रोजाना चार शिफ्ट में 30 से 35 मरीजों का डायलिसिस हो रहा है। हर महीने डायलिसिस मरीजों का यह आंकड़ा 700 से 800 पार कर जाता है। यहां हर वक्त डायलिसिस बेड की कमी महसूस की जा रही है। इस युनिट में डाक्टर मिन्हाज एक मात्र चिकित्सक हैं। जबकि छह टेक्निशियन काम कर रहे है। अस्पताल में 10 डायलिसिस मशीन युक्त बेड का एक युनिट बनाया गया है। जिसमें एक डायलिसिस मशीन खराब है। फिलहाल नौ मशीन से काम चलाया जा रहा है। जबकि चार नया डायलिसिस मशीन आने वाला है। अगर एक खराब मशीन की मरम्मत हो जाती है और नये चार मशीन आ जाते हैं तो अस्पताल में एक शिफ्ट में 17 मरीजों का डायलिसिस संभव हो जाएगा। अस्पताल से जुड़े किडनी मरीजों का कहना है कि अस्पताल में मरीजों के अनुपात में डायलिसिस मशीन नहीं होने से उन्हें परेशानी होती है। डायलिसिस के लिए किडनी मरीजों को इंतज़ार करना पड़ता है। यहां पीपीपी मोड में डायलिसिस यूनिट संचालित हैं। इसका संचालन डीडीसीए हेल्थ केयर कर रही है। तकनीशियन और चिकित्सक के अभाव में मरीजों को परेशानी होती है। बेड नहीं मिलने से बाहर जाना उनकी विवशता बन जाती है।

डायलिसिस में लगते हैं चार घंटे

एक मरीज को डायलिसिस में लगभग चार घंटे लगते हैं‌ इस वजह से अस्पताल में रोजाना 36 से 40 मरीज का डायलिसिस हो पाता है। इसअस्पताल में निशुल्क डायलिसिस की सुविधा होने के कारण हजारीबाग के साथ चतरा और कोडरमा के मरीज यहां आते हैं। इसके अलावा कई किडनी मरीज प्राइवेट में डायलिसिस कराने के चक्कर में जब आर्थिक तंगी के शिकार हो जाते है। तब ऐसी मरीज सरकारी अस्पताल के डायलिसिस यूनिट का सहारा लेते हैं।

हजारीबाग में किडनी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी

हजारीबाग में जिस तरह किडनी मरीजो की संख्या बढ़ रही है। उसे अनुपात में किडनी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी महसूस की जा रही है। क्योंकि हजारीबाग में किडनी विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या गिने-चुने में है। जिले मे आबादी का आंकड़ा 20 लाख छुने को है। उसे हिसाब से जिला अस्पताल मे कम से कम 10 डॉक्टर होना चाहिए। लेकिन एक डॉक्टर से काम चल रहा है।

चार श्रेणी के मरीजों को मिलती है सुविधाएं

डायलिसिस युनिट के प्रबंधक नीतीश कुमार सिंह ने बताया कि यहां आयुष्मान कार्डधारी, बीपीएल कार्डधारी, लोअर इनकम ग्रुप जिसका सलाना आज 72हजार रुपए से कम है। उन्हें निशुल्क डायलिसिस की सुविधा प्रदान की जाती है। सामान्य नए मरीजों के लिए एप्रोवल के लिए1048 रुपए देने पड़ते है।अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारी से ज्यादा सामान्य किडनी के मरीज डायलिसिस कराते हैं। जिले मे आयुष्मान कार्ड से जड़े किडनी के मरीजों की संख्या जहां ढाई सौ के आसपास होगी। वही 400 से ज्यादा सामान्य मरीज डायलिसिस कराते हैं।

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