Residents of Lakhe Struggle with Power Cuts and Water Supply Issues बोले हजारीबाग : लाखे की बदहाली, न बिजली ना पानी, बस परेशानी, Hazaribagh Hindi News - Hindustan
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बोले हजारीबाग : लाखे की बदहाली, न बिजली ना पानी, बस परेशानी

लाखे मुहल्ला नगर निगम क्षेत्र में होने के बावजूद यहां के लोगों को नियमित रूप से बिजली और पानी नहीं मिल रहा है। बिजली कटौती के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और व्यवसाय ठप हो रहे हैं। लोग नगर...

Newswrap हिन्दुस्तान, हजारीबागWed, 30 April 2025 01:43 AM
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बोले हजारीबाग : लाखे की बदहाली, न बिजली ना पानी, बस परेशानी

लाखे मुहल्ला नगर निगम क्षेत्र में शामिल है, लेकिन यहां के लोगों को न तो नियमित रूप से पानी मिलता है और न ही बिजली। बिजली-पानी नियमित नहीं मिलने से क्षेत्रवासियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग नगर निगम को टैक्स तो देते हैं, मगर सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्र जैसी मिल रही हैं। सबसे बड़ी दिक्कत बिजली की है, जहां भारी कटौती की जा रही है। बोले हजारीबाग कार्यक्रम के दौरान लाखे मोहल्ले के लोगों ने हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा साझा करते हुए लाखे को शहरी फीडर से बिजली देने की मांग की। हजारीबाग। यह अपने आप में एक दुर्लभ उदाहरण है, जहां सुविधाएं बढ़ाने के बजाय पहले से उपलब्ध सुविधा को घटा दिया गया। बिजली विभाग के इस कदम से लाखे वासी बेहद आक्रोशित हैं। लाखे में सैकड़ों लॉज संचालित हैं, जहां विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र, साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थी रहते हैं। दिन में बिजली न रहने के कारण उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। एक ओर तेज गर्मी, दूसरी ओर बिजली नहीं होने से पंखे नहीं चलते, जिससे छात्र पसीने से तरबतर हो जाते हैं और पढ़ाई करना लगभग असंभव हो जाता है। देर रात तक पढ़ने की मजबूरी के कारण कई छात्र बीमार हो चुके हैं और डॉक्टरों ने उन्हें देर रात तक जागने से मना कर दिया है, क्योंकि उनका जैविक चक्र (बायोलॉजिकल साइकिल) गड़बड़ा चुका है।

ज्यादातर लॉज में मकान मालिक इन्वर्टर की सुविधा नहीं देते, और जहाँ देते हैं, वहां भी केवल एक बल्ब के लिए। कई बार गर्मी और बिजली संकट को देखते हुए मकान मालिक इन्वर्टर की आपूर्ति भी बंद कर देते हैं। उनका तर्क होता है कि जब वे खुद अपनी जरूरतें नहीं पूरी कर पा रहे हैं, तो किरायेदार को कैसे दें।

पर लाखे के उन परिवारों की स्थिति की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है, जिनके पास इन्वर्टर तक नहीं है और दोपहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। लाखे में कई लाल कार्डधारी और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग भी रहते हैं, जो गर्मी से राहत के लिए केवल बिजली पर निर्भर हैं।

नूतन नगर चौक से लाखे बगीचा तक सड़क किनारे दर्जनों दुकानें हैं, जिनमें मार्बल, ऑटोमोबाइल, कांच, फर्नीचर जैसे छोटे-मोटे व्यवसाय चलते हैं। इन कार्यों के लिए दिन में बिजली रहना अनिवार्य है। लेकिन दिनभर बिजली की आंख-मिचौनी से इनका कामकाज ठप पड़ जाता है। ग्राहक अधिक देर इंतजार नहीं करते और या तो लौट जाते हैं या नाराज़ होकर कठोर शब्द कह जाते हैं। इस दौरान दुकान मालिक को न सिर्फ नुकसान झेलना पड़ता है, बल्कि स्टाफ और मकान मालिक को तय समय पर भुगतान भी करना होता है।

लाखे जितना छात्रों के लॉज के लिए प्रसिद्ध है, उतना ही दर्जी काम के लिए भी। यहां सैकड़ों परिवार सिलाई, कढ़ाई, पिको, इंटरलॉक और प्रेस के काम से अपनी आजीविका चलाते हैं। लेकिन बिजली न रहने से यह काम पूरी तरह से ठप हो जाता है, खासकर लगन के दिनों में जब ऑर्डर का दबाव अधिक होता है। लाखे एक साथ आवासीय और व्यवसायिक बस्ती है। दिन में बिजली की बदहाल व्यवस्था से दोनों ही वर्गों—रिहायशी और कारोबारी—के जीवन में संकट उत्पन्न हो रहा है। बिजली विभाग केवल स्मार्ट मीटर लगाने को ही बड़ा काम मान रहा है जब वह अपने उपभोक्ताओं की बुनियादी समस्याओं का समाधान करे।

लाखे की हालात केवल कुछ घंटे की बिजली कटौती तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह क्षेत्र व्यवस्था के उस विडंबनात्मक पहलू का उदाहरण है जहां शहरी टैक्स तो लिया जाता है, पर सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्र जैसी दी जाती हैं। लाखे के नागरिक वर्षों से नगर निगम के अधीन हैं, परंतु बिजली की आपूर्ति देहात फीडर से की जा रही है, जिससे न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है बल्कि विश्वास की कमी भी गहराई है। दिन में बिजली की अनुपलब्धता ने सबसे अधिक असर विद्यार्थियों और छोटे व्यवसायियों पर डाला है। जहां एक ओर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र गर्मी और अंधेरे के बीच पढ़ाई करने को मजबूर हैं, वहीं दूसरी ओर कांच काटने, फर्नीचर बनाने, सिलाई और मरम्मत जैसे छोटे व्यवसाय दिन के समय ठप हो जाते हैं।

व्यवसायियों को उठाना पड़ता है भारी नुकसान

हजारीबाग शहर का विस्तार अब पूरब की ओर रिंग रोड और बाइपास तक हो चुका है। इस मार्ग पर कई छोटे व्यवसाय जैसे मार्बल, फर्नीचर, ऑटो पार्ट्स, कांच कटिंग और एल्यूमीनियम ढांचे की दर्जनों दुकानें हैं। दिन में बिजली नहीं रहने से इन दुकानदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। किराया तो देना ही पड़ता है, लेकिन ग्राहक घंटों इंतजार नहीं करते। वे या तो टाउन की ओर चले जाते हैं या नाराज होकर कड़े शब्द कह जाते हैं। कई दुकानदार बताते हैं कि ग्राहक बिजली न रहने के कारण काम अधूरा छोड़कर चले जाते हैं, जिससे उनको भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

शहरी फीडर से बिजली देने की लोगों ने रखी मांग

शहर के कई नामी दर्जियों का निवास और काम दोनों लाखे में है। यहां सौ से अधिक परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी सिलाई-कढ़ाई के पेशे से जुड़े हुए हैं। लेकिन बिजली की किल्लत के कारण इनका काम पूरी तरह से प्रभावित होता है। न सिलाई हो पाती है, न पिको, न इंटरलॉक, न प्रेस और न ही अन्य जरूरी काम। अब तो सभी ने हाथ-पैर से चलने वाली मशीनों की जगह बिजली से चलने वाली मशीनें खरीद ली हैं। अगर बिजली की स्थिति सुधर जाए, तो लाखे के दर्जी भी इज्जत से दो पैसे कमा सकें। लोगों की मांग है कि लाखे को फिर से शहरी फीडर से जोड़ा जाए और स्थायी रूप से बिजली की सुविधा सुनिश्चित की जाए।

विद्यार्थियों का गढ़ है लाखे

अगर कोर्रा को हजारीबाग का कोटा कहा जाता है, तो कोचिंग के बाद हजारों छात्र पढ़ाई के लिए लाखे में रूम लेकर रहते हैं। यहां सैकड़ों लॉज हैं, जहाँ प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर सामान्य पढ़ाई तक के छात्र रहते हैं। लेकिन बिजली नहीं रहने के कारण उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। बहुत से मकान मालिक लॉज के बच्चों को इन्वर्टर की सुविधा नहीं देते हैं, जिससे दोपहर की तेज गर्मी में वे ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते। ्फ इतना ही नहीं, बिजली कटौती का असर घरों के भीतर भी देखा जा सकता है। भीषण गर्मी में जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता है, तब पंखे के बिना रहना मुश्किल हो जाता है।

इनकी भी सुनिए

शहरी क्षेत्र के फीडर में अधिक कनेक्शन होने के कारण लाखे में ''मेरु-झुमरा फीडर'' से बिजली आपूर्ति की जा रही है। विभाग इस दिशा में गंभीरता से कार्य कर रहा है। जल्द ही लाखे फीडर को पर्याप्त बिजली देने का प्रयास किया जाएगा। जिन इलाकों में अब तक कवर तार नहीं लगे हैं, वहां कार्य प्रगति पर है। -अमित कुमार शर्मा, ग्रामीण बिजली एसडीओ

लाखे में ग्रामीण फीडर से बिजली आपूर्ति होने के कारण पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। इस विषय को लेकर मैं जी.एम. से वार्ता करूंगा। उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जाएगा और लाखे में हो रही बिजली कटौती को दूर किया जाएगा।

-मुन्ना सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता

टैक्स देने पर भी सुविधा नहीं

लाखे के लोग कहने को तो नगर निगम क्षेत्र में रहते हैं और सालाना नगर निगम को होल्डिंग टैक्स भी देते हैं। लेकिन बिजली विभाग अपनी सेवा से इन्हें नगरीय जीवन की सुविधा से वंचित कर रहा है। यहां के लोगों को ग्रामीण फीडर से बिजली दी जाती है, जो अपने आप में एक अजीब विरोधाभास है। कुछ वर्ष पहले तक लाखे में शहरी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति होती थी, लेकिन विभाग की मेहरबानी से यह बदलाव कर दिया गया। लोग बेहतर सुविधा के लिए संघर्ष करते हैं, जबकि यहां तो बिना सूचना दिए ही ग्रामीण क्षेत्र से जोड़ दिया गया।

समस्याएं

1. नगर निगम क्षेत्र में होने के बाद भी लाखे में बिजली देहाती क्षेत्र की क्यों दी जा रही है?

2. जब यह पहले से शहरी क्षेत्र की लाइन से जुड़ा था, अब इसे देहाती से जोड़ देना अनुचित है।

3. दिन में बिजली नहीं रहने से लॉज में रहने वाले विद्यार्थियों का पढ़ाई प्रभावित होता है।

4. सैकड़ों दर्जी रहते हैं। लगन में काम बढ़ जाता है, बिजली नहीं रहने से परेशानी होती है।

5. जब तापमान 40 डिग्री के आसपास होता है, तब बिना पंखे के रहना बहुत कठिन होता है।

सुझाव

1. पहले की तरह लाखे में शहरी क्षेत्र की बिजली व्यवस्था फिर से बहाल की जाए।

2. विद्यार्थियों की परेशानी को विभाग को समझना चाहिए। इस पर जल्द पहल हो।

3. यदि दिन में बिजली काटनी ही पड़े तो वह लंबी अवधि के लिए न काटी जाए।

4. लोड शेडिंग की समस्या का स्थायी समाधान बिजली विभाग जल्द से जल्द निकाले।

5. सोलर परियोजना को बढ़ावा देने के लिए सरकार को सब्सिडी की राशि में वृद्धि करनी चाहिए।

बिजली कटौती से पढ़ाई होती है बाधित

बिजली गायब रहने से घर पर क्लाइंट की फाइल, पेपर और केस ड्राफ्टिंग करने में काफी परेशानी होती है। फाइल के प्रिंट या अन्य काम करने में परेशानी होती है।

-साकेत कुमार, अधिवक्ता

बिजली नहीं रहने के कारण घर के पास मौसमी सब्जियों के लिए बाड़ी पटाना भी मुश्किल हो जाता है। खटाल में दोपहर को ताजा पानी और नहलाने में भी दिक्कत होती है।

-प्रकाश साव

लाखे में मेरा ऑटो पार्ट्स का दुकान है। दोपहिया वाहन मालिकों को घंटों इंतजार करना पड़ता है गाड़ी ठीक कराने के लिए। वे दिन में काम नहीं कराना चाहते।

-आनंद बाबू

हम कांच कटिंग का काम लाखे में किराए पर कमरा लेकर करते हैं। बिजली की अनियमितता के कारण हमारा काम ठप हो जाता है। शाम में दुकान बंद कर देते हैं।

-प्रभात कुमार

लॉज में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता हूं। दिन में बिजली लगभग गुल रहती है, जिससे पढ़ाई में परेशानी होती है। दोपहर में बिना पंखे के पढ़ना मुश्किल होता है।

-अनिल कुमार

हजारीबाग में जैसी भीषण गर्मी इन दिनों पड़ रही है, दोपहर में बिना पंखा चलाए रहना कठिन है। बिजली विभाग हम लोगों को दोपहर में नरक का दर्शन करा देता है।

-अजीत कुमार

होल्डिंग टैक्स नगर निगम क्षेत्र का लिया जाता है, फिर बिजली देहाती क्षेत्र की क्यों दी जाती है? ठंड के दिनों में भी परेशानी रहती है लेकिन गर्मियों में जिना मुश्किल हो जाता है।

-आमोद कुमार

लाखे में रहकर वर्क फ्रॉम होम करते हैं। कुछ महीने पहले ही प्लेसमेंट हुआ है। बिजली नहीं रहने से वाईफाई बंद हो जाता है। मोबाइल डेटा से काम नहीं हो पाता।

-दुलारचंद

हजारीबाग में जितने छात्र रहते हैं, उनमें करीब चौथाई छात्र लाखे, नूतन नगर, सरहुल नगर में रहते हैं। पहले यहां शहरी क्षेत्र की बिजली थी, लोगों को परेशानी होती है।

-राहुल कुमार

बड़े दुकानदार तो जेनरेटर का खर्च उठा सकते हैं, पर छोटे व्यवसायियों को बिजली विभाग पर ही निर्भर रहना पड़ता है। बिजली रोज दोपहर में लगभग कटी ही रहती है।

-मुकेश कुमार

लाखे में मेरा फर्नीचर का काम है। दिन में बिजली नहीं रहने से ग्राहकों को समय पर उनका सामान नहीं दे पाते। लगन के समय काम पूरी तरह चौपट हो जाता है।

-दिलीप राणा

लाखे दिनभर बिजली गुल रहने की शिकायत करने के बाद भी आज तक बिजली विभाग ने इस समस्या के समाधान पर ध्यान नहीं दिया। लोग विभाग के रवैये से आक्रोशित हैं।

-गुड्डु

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