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जांच का दायरा बढ़ा,झारखंड शराब घोटाले में उत्पाद सचिव,पूर्व आयुक्त समेत 15 लोगों को समन

एसीबी ने उत्पाद विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार और हाल ही में सेवानिवृत्त हुए विभाग के तत्कालीन उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश को भी नोटिस (समन) जारी किया है।

Utkarsh Gaharwar हिन्दुस्तान, रांचीMon, 2 June 2025 07:14 AM
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जांच का दायरा बढ़ा,झारखंड शराब घोटाले में उत्पाद सचिव,पूर्व आयुक्त समेत 15 लोगों को समन

झारखंड में शराब घोटाले की जांच कर रही एसीबी ने जांच का दायर बढ़ा दिया है। एसीबी ने उत्पाद विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार और हाल ही में सेवानिवृत्त हुए विभाग के तत्कालीन उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश को भी नोटिस (समन) जारी किया है। बता दें कि अमित प्रकाश जेएसीबीसीएल के एमडी भी रह चुके हैं। वहीं राज्य के अलग-अलग जोन में कार्यरत प्लेसमेंट एजेंसियों के सीईओ,बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भी नोटिस भेजा है। इन सभी से सात जून के बाद पूछताछ होगी।

कथित शराब घोटाला मामले में एसीबी अबतक पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह, झारखंड स्टेट बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसीबीसीएल) के दो पूर्व जीएम फाइनेंस सुधीर कुमार और सुधीर कुमार दास को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं इस मामले में विजन हॉस्पिटलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विस प्रालि के सात निदेशकों को पूर्व में ही नोटिस किया जा चुका है। इन कंपनियों के निदेशकों से 3 और 4 जून को एसीबी दफ्तर में पूछताछ होनी है।

सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही ही नहीं, पूर्वनियोजित आपराधिक साजिश भी

शराब घोटाले की जांच में यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि एक पूर्वनियोजित आपराधिक साजिश है, जिसमें राज्य के वरिष्ठ अधिकारी और प्लेसमेंट एजेंसियां शामिल थीं। जांच में यह बात सामने आई है कि तत्कालीन उत्पाद सचिव व जेएसबीसीएल के प्रबंध निदेशक रहे वरिष्ठ आईएएस विनय कुमार चौबे की भूमिका इस पूरे माममें केंद्रीय रही।

नीति निर्माण से लेकर ठेकों के आवंटन,वित्तीय नियमन और निगरानी तक चौबे का नियंत्रण था। उनके कार्यकाल में न तो एमजीआर की समीक्षा हुई और न ही किसी भी माह की कमी पर गारंटी की राशि वसूलने की कोशिश की गई। तब तक सरकार को 38 करोड़ का नुकसान हो चुका था। लेकिन,बाद में उत्पाद सचिव मनोज कुमार बने तक भी प्लेसमेंट एजेंसियों से वसूली नहीं हुई। नौ महीने में घाटा 200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया, तब जाकर विभाग ने प्लेसमेंट एजेंसियों को डिमांड नोटिस भेजे। लेकिन, गारंटी के नकदीकरण या बैंकिंग चैनलों से वसूली के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। यह इस बात का साफ संकेत है कि अधिकारी गारंटियों की असलियत जानते थे और निजी कंपनियों को जानबूझकर फायदा पहुंचाया गया।

किन कंपनियों और निदेशकों को नोटिस

●एसीबी के जांच पदाधिकारी संतोष कुमार के द्वारा प्लेसमेंट एजेंसी ए टू जेड इंफ्रा सर्विस गुड़गांव के सीईओ अमित इंद्रसेन मित्तल, निदेशक दीपाली मित्तल, मनोज तिवारी, अरुण गौड़, रितू गोयल, परमात्मा सिंह राठौर और कंपनी की चेयरपर्सन प्रतिमा खन्ना को नोटिस किया गया है।

●ईगल हंटर्स सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दक्ष लोहिया, सरोज लोहिया, महाराज सिंह, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बृह हैरी संधु को नोटिस किया गया है।

●प्लेसमेंट एजेंसी मेसर्स प्राइम वन वर्क फोर्स प्राइवेट लिमिटेड भोपाल के निदेशक संजीव जैन व राजीव द्विवेदी को भी एसीबी ने समन किया है।