Challenges Faced by Insurance Agents in India Need for Better Training and Compensation बोले रामगढ़ : कमीशन में वृद्धि हो और मेडिकल सुविधा मिले, Ramgarh Hindi News - Hindustan
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बोले रामगढ़ : कमीशन में वृद्धि हो और मेडिकल सुविधा मिले

भारत में कई बीमा कंपनियों के अभिकर्ता आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। कमीशन में कमी और ग्राहक जागरूकता की कमी के कारण उनकी आय प्रभावित हो रही है। बीमा कंपनियों को अभिकर्ताओं के लिए बेहतर...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Tue, 1 April 2025 06:25 PM
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बोले रामगढ़ : कमीशन में वृद्धि हो और मेडिकल सुविधा मिले

देश में कई बड़ी बीमा कंपनियां अपने व्यापक नेटवर्क और भरोसेमंद सेवाओं के लिए जानी जाती हैं। बीमा कंपनियों की सफलता में उसके अभिकर्ताओं (एजेंट्स) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन अभिकर्ताओं को अपने कार्य में कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बीमा अभिकर्ता देश के आर्थिक सिपाही है फिर भी आर्थिक समस्या से दो-चार होते हैं। 01 सितंबर 1956 में अभिकर्ताओं को जो कमीशन दिया जाता था, वह आज की तिथि तक दिया जा रहा है। रामगढ़। बीमा कंपनी के अभिकर्ताओं की आय मुख्य रूप से कमीशन पर आधारित होती है। यदि वे नई पॉलिसी बेचने में असफल होते हैं या ग्राहक समय पर प्रीमियम का भुगतान नहीं करता तो उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण भी उनकी आय में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही लोगों में बीमा के प्रति जागरुकता की कमी देखी गई है।

बीमा कार्यालय की ओर से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जागरुकता का कार्यक्रम चलाना चाहिए। शायद ही देखने को मिलता है कि एलआईसी जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। इससे जिलावासियों को एलआईसी की योजनाओं के बारें में जानकारी नहीं हो पाती है। हालांकि टीवी एवं अखबार के माध्यम से सरकार एलआईसी की योजनाओं की जानकारी देती है। बावजूद इसके अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं हो पाती है। ग्राहकों की वित्तीय स्थिति में काफी उतार-चढ़ाव आता है। इस कारण समय पर एलआईसी की किश्त नहीं जमा कर पाते है। इससे उनका पालिसी फेल हो जाता है। इसका सीधा असर अभिकर्ता की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

बीमा कंपनियों की ओर से अभिकर्ताओं को अतिरिक्त वित्तीय योजनाओं और निवेश विकल्पों के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षित करना चाहिए। जिससे वे बीमा कंपनी के व्यापार को गुणात्मक बढ़ा सके। आज डिजिटल मार्केटिंग का दौर चल रहा है, लेकिन इसमें बीमा कंपनी थोड़ी पीछे चल रही है। सरकार को डिजिटल मार्केटिंग तकनीकों को अपनाकर ग्राहक आधार बढ़ाना चाहिए। जिससे उनके व्यापार में गुणात्मक लाभ हो सके। आजकल कई निजी बीमा कंपनियां अपने आकर्षक उत्पादों और आक्रामक विपणन रणनीतियों के माध्यम से बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं। इससे अभिकर्ताओं को नए ग्राहकों को जोड़ने और मौजूदा ग्राहकों को बनाए रखने में कठिनाई होती है। क्योंकि निजी कंपनियों द्वारा दी जाने वाली आकर्षक योजनाएं एवं आक्रामक डिजिटल प्रचार इसका सबसे बड़ा कारण है।

बीमा कंपनियों को भी अपनी योजनाओं को अधिक ग्राहक-केंद्रित और प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए। अभिकर्ताओं को नवीन विपणन तकनीकों और ग्राहक संबंध प्रबंधन (उफट) में प्रशिक्षित करना चाहिए। डिजिटलीकरण के इस दौर में बीमा क्षेत्र में भी तकनीकी बदलाव तेजी से हो रहे हैं। कई अभिकर्ता इन तकनीकी उपकरणों और सॉफ्टवेयर का सही उपयोग करने में असहज महसूस करते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। अभिकर्ताओं को इन तकनीकी उपकरणों और सॉफ्टवेयर का सही उपयोग करने की जानकारी जागरूकता कार्यक्रम चला कर देना चाहिए। जिससे अभिकर्ता निजी कंपनियों के मुताबिक काम कर सके।

इसके अलावा निजी कंपनियों की ओर से कई तरह के लालच भरे योजनाएं शुरू किए जाते है। उसे अभिकर्ताओं को बेनकाब करना चाहिए। लोगों को इसके बारें में जागरूक करना चाहिए। एलआईसी के अभिकर्ता परंपरागत कार्यप्रणाली में अधिक विश्वास करते है। इस कारण निजी कंपनियों के बनिष्पद कमजोर पड़ने लगते है। अगर एलआईसी अभिकर्ताओं के लिए नियमित रूप से तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करे तो अभिकर्ता नए मुकाम को छू सकते है। एलआईसी के पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग सरल और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना चाहिए। जिससे आम ग्राहक भी आसानी से काम कर सके और अपना प्रीमियम जमा कर सके। कई बार अभिकर्ताओं को उन ग्राहकों का सामना करना पड़ता है, जो पॉलिसी खरीदने के बाद अपनी वित्तीय स्थिति या अन्य कारणों से प्रीमियम भुगतान बंद कर देते हैं। इससे अभिकर्ता का कमीशन प्रभावित होता है और ग्राहक का भरोसा भी कम हो जाता है। अभिकताओं को चाहिए ग्राहकों ग्राहकों की बदलती वित्तीय स्थिति के बारें में समय-समय पर जानकारी लेते रहे।

समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हो

बीमा कंपनियों को अपने अभिकर्ताओं के लिए बेहतर वित्तीय सुरक्षा, प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी सहायता प्रदान करनी चाहिए। अभिकर्ताओं को भी अपने कौशल का विकास करने, डिजिटल तकनीकों को अपनाने और ग्राहकों के साथ भरोसेमंद संबंध बनाने पर ध्यान देना चाहिए। यदि इन चुनौतियों का उचित समाधान किया जाए, तो बीमा कंपनी के अभिकर्ता अपने कार्य में अधिक कुशलता से सफल हो सकते हैं, जिससे एलआईसी का विकास भी सुनिश्चित होगा। बीमा कंपनी का विकास होने पर सभी का विकास होगा। आज भी देशवासी बीमा कंपनी पर काफी भरोसा करते है।

अभिकर्ताओं को मिले मेडिकल कार्ड की सुविधा

बीमाधारकों की बोनस में वृद्धि नहीं होने से ग्राहकों के साथ-साथ अभिकर्ताओं को भी समस्या होती है। अभिकर्ताओं की मांग है कि बीमा धारकों की बोनस में वृद्धि होना चाहिए। इसके अलावा विलंब शुल्क पर जीएसटी हटना चाहिए। अधिकांश ग्राहकों एवं अभिकर्ताओं की मांग है कि कम बीमा धन वाला पॉलिसी और अधिक लाना चाहिए। इसके कारण अधिक मात्रा में बीमा धारक पॉलिसी ले सकेंगे। बीमा अभिकर्ताओं का मेडिकल कार्ड नहीं होने से उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें भयंकर बीमारी होने पर अपने जेब से पैसे खर्च करने पड़ते है। जिससे उनके समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाती है।

सुविधाओं में हो इजाफा

बीमा कंपनी के अभिकर्ताओं का कहना है कि बिडबंना यह है कि जिसके कंधों पर बीमा कंपनी टिकी हुई है, सरकार उन्हीं अभिकर्ताओं के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। सरकार अभिकर्ताओं के बच्चों को कम व्याज दर पर शिक्षा ऋण नहीं दे रही है। अभिकर्ता कार्यालय में अपने-अपने वाहनों से आते है, लेकिन कार्यालय की ओर से उनके लिए पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है। वे लोग इधर-उधर अपने वाहन को लगाते है। अक्सर वाहन चोरी होने का भय लगा रहता है।

भत्ता नहीं मिलने से परेशानी

बीमा कंपनी के अभिकर्ता पॉलिसी के लिए दर-दर घूमते है। इसके बाद उन्हें लोगों को समझाना पड़ता है। तब जाकर लोग पॉलिसी लेते है। अभिकर्ताओं को भाग-दौड़ के लिए बाइक और भाड़ा के वाहन में आवागमन करना पड़ता है। इसमें पैसे भी खर्च होते है। बिडंबना यह है कि वर्ष 1956 में पेट्रोल की कीमत 29 पैसे थी। आज पेट्रोल की कीमत 100 रुपए पहुंच गई है। बीमा का कार्य संचालित होने के 15 साल बाद बोनस के रूप में पॉलिसी धारकों को मात्र 80 रुपया प्रति हजार दिए जाते थे। और आज 40-50 रुपए दिए जाते है। जबकि, निगम का परचम दिनों दिन धन अर्जित करने में अग्रसर है।

दूसरी तरह अभिकर्ताओं का कमीशन एक अक्तूबर 2024 से 7 प्रतिशत की कटौती की घोषणा निगम ने कर दिया। जिस कारण अभिकर्ताओं की रोजी-रोटी में संकट के बादल छा गए। अभिकर्ताओं को भूखा मरने की नौबत आ गई। पॉलिसी धारकों के बोनस वृद्धि और फिजूल खर्च पर रोक के लिए अभिकर्ता विगत कई वर्षो से आवाज उठा रहे है। किंतू प्रबंधन नहीं सुन रहा है। अभिकर्ताओं ने कहा कि कमीशन की कटौती के साथ-साथ एक विशेष काला कानून ला दिया है।

न्यूनतम स्थायी आय का प्रावधान करना जरूरी

रामगढ़। केंद्र सरकार को अभिकर्ताओं के प्रदर्शन पर आधारित आय को लागू करना चाहिए। इसके अलावा अभिकर्ताओं के लिए न्यूनतम स्थायी आय का प्रावधान किया जाना चाहिए। प्रदर्शन में सुधार के लिए व्यक्तिगत परामर्श और मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए। अभिकर्ताओं को अपने कार्य में निरंतर उच्च प्रदर्शन करने का दबाव झेलना पड़ता है। उन्हें ग्राहकों को समझाना, नए ग्राहक जोड़ना और मौजूदा पॉलिसियों का नवीनीकरण सुनिश्चित करना होता है।

अभिकर्ताओं को उच्च बिक्री का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। साथ ही ग्राहकों द्वारा बार-बार मना किया जाने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराना चाहिए। कार्य-जीवन संतुलन को प्रोत्साहित करने के लिए लचीली कार्य प्रणाली अपनाना चाहिए। हालांकि एलआईसी समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती है, लेकिन उनमें नवीनतम बाजार रणनीतियों और तकनीकी अपडेट पर ध्यान कम दिया जाता है। जैसे परंपरागत प्रशिक्षण पद्धतियां, सीमित विषयवस्तु आदि प्रमुख है।

अभिकर्ताओं के लिए आधुनिक विपणन रणनीतियों, ग्राहक मनोविज्ञान और तकनीकी ज्ञान पर केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करना चाहिए।

साथ ही ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल उपलब्ध कराना ताकि अभिकर्ता अपने समयानुसार सीख सकें। एलआईसी के अभिकर्ताओं को कर्मचारियों के समान लाभ नहीं मिलते, जैसे कि स्वास्थ्य बीमा, भविष्य निधि (पीएफ) या पेंशन योजना। इससे उनकी आर्थिक सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण एजेंट्स को अनुबंध आधारित कार्यकर्ता के रूप में नियुक्त किया जाता है। उन्हें अस्थायी आय स्रोत के रूप में देखा जाता है। एलआईसी को अपने अभिकर्ताओं के लिए विशेष सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लानी चाहिए। साथ ही सरकार को अभिकर्ताओं के लिए विशेष कल्याणकारी योजनाओं पर विचार करना चाहिए।

शिकायतें

1. शुरुआती दौर में अभिकर्ताओं को जो कमीशन मिलता था आज भी उतना ही मिलता है।

2. बीमाधारकों को विलंब शुल्क पर जीएसटी लगने से परेशानी का सामना करना पड़ता है।

3. अभिकर्ताओं के बच्चों को शिक्षा ऋण पर किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाती है।

4. स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था नहीं होने से बीमार होने पर आर्थिक संकट झेलना पड़ता है।

5. अभिकर्ताओं को समय-समय पर प्रशिक्षण नहीं मिलने से परेशानी होती है।

सुझाव

1. बीमा कंपनी के अभिकर्ताओं के कमीशन में बढ़ोत्तरी होने से वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।

2. विलंब शुल्क पर लगनेवाले जीएसटी शुल्क को समाप्त करने की जरूरत है।

3. अभिकर्ताओं के बच्चों को कम ब्याज पर शिक्षा ऋण देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

4. सरकार को अभिकर्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा की सुविधा मुहैया करानी चाहिए।

5. समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर नवाचार से जोड़ना चाहिए।

इनकी भी सुनिए

बीमा अभिकर्ता देश के आर्थिक सिपाही है। बावजूद उनके साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। बीमा कंपनी में अनेक योजनाएं है, जो लाभाकारी है। साथ ही एलआईसी बीमा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह अभिकर्ता है। क्योंकि अभिकर्ता के व्यवहार पर एलआईसी का व्यापार टिका हुआ है। इस पर निगम को ध्यान देना चाहिए। —ठाकुर प्रसाद, सचिव, ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस फेडरेशन ऑफ इंडिया रामगढ़

भारतीय जीवन बीमा निगम बीमा क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इस निगम में लोगों का पूरा भरोसा है। निगम 1956 से लगातार देश की आर्थिक उन्नति में मदद कर रही है। एलआईसी में अनेक योजनाएं है, जो लाभकारी है। बावजूद इसके अभिकर्ताओं के साथ हर क्षेत्र में घोर उपेक्षा की जाती है। इस पर निगम को अभिकर्ताओं के हित ध्यान देना चाहिए। —महाराणा प्रताप सिंह, अध्यक्ष, ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस फेडरेशन ऑफ इंडिया रामगढ़

अभिकर्ताओं ने कहा- विलंब शुल्क पर जीएसटी बंद हो

बीमाधारकों को आज भी पुरानी पद्धति के अनुसार बोनस मिल रहा है। जिसके कारण बीमाधारकों को अधिक आर्थिक लाभ नहीं मिलता है। इस नियम में बदलाव की जरूरत है। —प्रदीप कुमार

बीमा पॉलिसी लेने के लिए प्रवेश आयु में बढोतरी की जाए। इससे अधिक से अधिक लोग बीमा पॉलिसी ले सकेंगे। साथ ही बीमा केंपनी के साथ अभिकर्ता को आर्थिक लाभ होगा। -अनिल सोनकर

बीमा धारकों की ओर से दिए जानेवाले प्रीमियम पर बिलंब शुल्क पर जीएसटी लगने से बीमाधारकों और अभिकर्ताओं को काफी परेशानियेां का सामना करना पड़ता है। इसे बंद करना चाहिए। —प्रमोद कुमार

बीमा कंपनी के अभिकर्ताओं के करियर में अनिश्चितता बनी रहती है। यदि वे लगातार बिक्री के लक्ष्य को पूरा करने में असफल होते हैं, तो उन्हें नौकरी खोने का डर रहता है। —महेश यादव

कंपनी को कम बीमा धन वाले पॉलिसी को और अधिक लाना चाहिए। इससे अधिक से अधिक बीमा धारक पॉलिसी लेंगे। जिससे अभिकर्ताओं को फायदा होगा। —विकास कुशवाहा

अभिकर्ताओं के बच्चों को कम ब्याज दर पर शिक्षा ऋण देना चाहिए। इससे अभिकर्ताओं बच्चों को पढ़ाने में आर्थिक समस्या नहीं होगी। बच्चे उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान में आराम से पढ़ सकते है। —विनय कुमार सिंह

बीमा कंपनी के कार्यालय के बाहर अभिकर्ताओं के लिए पार्किंग की व्यवस्था की जाए। पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से अभिकर्ताओं इधर-उधर वाहन को खड़ा कर देते है। —फहीमउद्दीन

बीमा कंपनी के कार्यालय में बीमाधारकों को बैठने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस कारण बीमा धारकों को खड़े-खड़े काम करवाना पड़ता है। ज्यादा दिक्कत बुजूर्गो को होती है। —अनिरूद्ध प्रसाद

बीमा का कार्य संचालित होने के 15 साल बाद बोनस के रूप में पॉलिसी धारकों को मात्र 80 रुपया प्रति हजार दिए जाते थे। आज 40-50 रुपए दिए जाते है। इसमें इजाफा हो। —भोला महतो

अभिकर्ताओं का कमीशन एक अक्तूबर 2024 से 7 प्रतिशत की कटौती की घोषणा निगम ने कर दिया। जिससे अभिकर्ताओं की रोजी-रोटी में संकट के बादल छा गए। —संतोष कुमार

पॉलिसीधारकों के बोनस वृद्धि और फिजूल खर्च पर रोक के लिए अभिकर्ता विगत कई वर्षो से आवाज उठा रहे है। कमीशन की कटौती के साथ एक विशेष काला कानून ला दिया है। —विनोद कुमार

1956 में अभिकर्ताओं को जो कमीशन दिया जाता था, वह आज तिथि तक दिया जा रहा है। 68 वर्षों बाद भी अभिकर्ताओं का कमीशन नहीं बढ़ना निराशाजनक है। —रमेश कुमार आर्य

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