बोले रामगढ़: सुविधा और उचित बाजार मिले तो किसानों के घर आएगी हरियाली
दिगवार ग्राम के किसान नकदी फसलों के उत्पादन के बावजूद उचित भंडारण और बाजार की कमी से परेशान हैं। फसलें बर्बाद हो रही हैं और किसान औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। उचित भंडारण और बाजार की व्यवस्था...
कुज्जु। कोयलांचल कुजू क्षेत्र के दिगवार ग्राम के किसानों की संख्या अधिकाधिक है। यहां के किसान नकदी फसलों यथा साग सब्जी और अन्य मौसमी फल को उपजाने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। इसके लिए वे पूरे परिवार सहित जी तोड़ मिहनत तो करते हैं, किंतु उनको उनके कृषि उत्पाद बेचने के लिए उचित बाजार नहीं होने से वाजिब मूल्य नहीं मिल पाता है। इस कारण क्षेत्र के कृषक अपने उपज को बर्बाद होने से बचाने के लिए औने पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ की टीम से किसानों ने अपनी समस्याएं साझा की। कोयलांचल कुजू क्षेत्र से सटे नगर परिषद रामगढ़ के दिगवार का इलाका कृषि बहुल क्षेत्र है।
यहां के किसान जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी खुद ही भूखे प्यासे रह जाते हैं। कारण है फसल के भंडारण की समस्या। फसल भंडारण की समुचित व्यवस्था न होने के कारण फसलें बर्बाद हो जाती हैं। इसके चलते किसानों को समस्या का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र में एक कोल्ड स्टोरेज कुज्जु के डटमा मोड़ में है। जो कि दिगवार से 10 किमी से ज्यादा दूर पड़ता है। जिस कारण किसान हरे सब्जियों को वहां जाकर रख पाने में असक्षम है। ऐसे में किसान औने-पौने दामों पर सब्जी बेचने को विवश हैं। इस कारण सब्जियों के उपज के लिए लगने वाले लागत से भी कम दाम मिलना किसानों के परेशानी का कारण है। यहां पास में कोल्ड स्टोरेज नहीं है। इससे खामियाजा क्षेत्र के किसान भुगत रहे हैं। दिगवार के अधिकांश किसान सभी प्रकार के मौस्मी सब्जियों की खेती पूरे जी तोड़ मेहनत कर करते हैं। इसमें आलू, कद्दू, करैला, नेनूआं, झिंग्गी, बोदी, फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, बैंगन, मिर्च, मटर, प्याज, खीरा, बीट, गवारफली, गाजर व विभिन्न प्रकार के साग आदि की खेती कर रहे हैं। उत्पादित सामान को उचित भंडारण के अभाव में क्षेत्र के किसान इसे तत्काल उसे बाजार में बेचने को मजबूर हैं। किसानों का मानना है कि भंडारण की समुचित व्यवस्था हो तो उनके खेतों की तरह उनकी जिंदगी में भी हरियाली आ जाएगी। क्षेत्र के किसानों की आर्थिक आय का मुख्य श्रोत नगदी फसल ही है। यहां बड़े पैमाने पर विभिन्न सब्जियों के साथ दाल-दलहन की भी खेती की जाती है। लगभग 10 हजार आबादी वाले इस क्षेत्र में कृषि और बागवानी उत्पादों को सुरक्षित रखना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। इसका एकमात्र समाधान भंडारण के लिए शीतगृह से लेकर चलंत वाहन की व्यवस्था आवश्यक है। दिगवार के किसान दिलेश्वर कुशवाहा, बुद्धदेव महतो, चेतलाल महतो, धन्नु महतो, अंदू महतो, बिगू महतो, पारस महतो, महेश महतो ने कहा की उचित भंडारण के अभाव और बाजार में उत्पाद का सही दाम नहीं मिलने के कारण कई दफा अधिकांश किसानों की फसलें खेतों में ही बर्बाद हो जाती है। या फिर बाजार तक ले जाने के खर्च वहन करने से अच्छा किसान इसे अपने पालतू जानवरों के निवाला बनाने में ही समझदारी समझता है। किसान ज्यादा दिनों तक अपनी उपज रोक पाने में असमर्थ होने के आर्थिक नुकसान झेलने को विवश हैं। कहा कि मटर, टमाटर, मूली, गोभी, आलु, प्याज व अन्य नगदी फसल और गैर मौसमी फसलों की पैदावार के बाद भंडारण की व्यवस्था नहीं होने व बाजार में उम्मीद से भी कम दाम मिलने के कारण उपज को बाजार में ले जाने के बजाय खेतों में ही बर्बाद करने को विवश हो जाते हैं। ऐसे में अन्नदाता के समक्ष ही रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो जाती है। किसानों का कहना है कि उनके उत्पाद की खरीद के लिए सरकारी स्तर पर चंलत वैन चलाए जाएं। इससे इनके उत्पादित सामानों को खराब होने से बचाया जा सकेगा। साथ ही उचित मूल्य मिलने से खेती बारी से मुहं मोड़ने वाले किसानों में आाशा की एक नई किरण जगेगी। अत्यधिक उपज होने से भी नहीं मिल पाता है उत्पाद का दाम मौसमी फसलों के अत्यधिक मात्रा में उपज होने से भी किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में किसानों को उनके उपज का उचित दाम नहीं मिल पाता है। कृषक बताते हैं कि दिगवार क्षेत्र के निवासियों को कृषि कार्य ही आय का एकमात्र श्रोत है। ऐसे में कृषि कार्य करने वाले ग्रामीणों को अच्छी कमाई के लिए उनके उत्पाद का सही मूल्य मिलना नितांत आवश्यक है। पुराने तरीके से करते हैं खेती नहीं मिलती हैं सुविधाएं दिगवार क्षेत्र के किसान आज भी पुराने तरीके से ही खेती करने को विवश हैं। कारण इन्हें न तो समय समय पर प्रशिक्षण ही दिया जाता है और न ही मुलभूत सुविधाएं ही मुहैया कराई गई है। यहां के किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से वंचित हैं। सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। क्षेत्र के किसान पर्याप्त सुविधा मिलने पर कई तरह के अन्य फसलों की खेती करने को इच्छूक हैं। पलायन पर रोक लगाने के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत क्षेत्र के किसानों का कहना है कि कृषि कार्य को घाटे का काम समझकर ग्रामीण क्षेत्र के युवा महानगरों दिल्ली, मुंबई, बंगलोर, कोलकाता व हैदराबाद पंजाब की ओर रोजी रोटी की तलाश में पलायन कर रहे हैं। युवाओं के पलायन को रोकने के लिए कृषि कार्य को बेहतर बनाना आवश्यक है। ऐसे में किसानों के बीच जाकर उनकी समस्या से रूबरू होकर उनकी परेशानियों को समझना होगा। किसानों के लिए सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ की जाए दिगवार क्षेत्र के किसानों की प्रमुख समस्या कृषि कार्य में सिंचाई की व्यवस्था का न होना है। क्षेत्र के रामगढ़ नगर परिषद में शामिल करने के बाद सुविधाओं पर विराम लग गया है। कृषि कार्य में सिंचाई के लिए मिलने वाला अलग कनेक्शन नहीं मिल पा रहा। वहीं कुआं भी नहीं खोदे जा रहे हैं। ऐसे में किसानों को खुद की व्यवस्था या फिर भगवान भरोसे ही खेती करना पड़ रहा। इससे कठिन मेंहनत के बावजूद उपज कम होता है। वहीं लागत के अनुरूप उपज का दाम नहीं मिल पाता है। इससे किसानों में जहां मायूसी का माहौल कयम हो रहा है। वहीं लोग खेतीबारी के कार्य से विमुख होकर दैनिक मजदूरी व अन्य प्राइवेट फर्म में सुरक्षाकर्मी जैसे कार्य करने की ओर अग्रसर हैं। भंडारण की हो व्यवस्था साग सब्जियों के भंडारण की समुचित व्यवस्था नहीं होना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी उचित मेंहनताना नहीं मिलने से किसानों में मायूसी घर करती जा रही है। किसान अनमने मन से ही कृषि कार्य को करते हैं। उनके पास रोजी रोटी का कोई दूसरा विकल्प न होने के कारण खेतीबारी ही एकमात्र सहारा है। झारखंड में खनिज संपदाओं के साथ ही प्रकृति ने कृषि योग्य भूमि भी प्रदान किया है। यहां साग सब्जियों कटहल, मकई के अलावा मौसमी और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उपयोगी फलों यथा अमरूद, केला, पपीता, आम, लिची, जैसे नकदी फसलों की उपज के लिए काफी अनुकूल है। ऐसे में उपज को बाजार तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार को करना चाहिए। - मनोज गिरि,सांसद प्रतिनिधि खेतीबारी का कार्य क्षेत्र के लोगों के जीवन का मुख्य आधार है। अन्न्दाता की समस्या को दूर करना हमसबों का कर्तव्य है। जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक लाभ को दरकिनार कर खुले मन से किसानों के बारे में सोचना चाहिए। दिगवार व आसपास के इलाके में कृषि कार्य व्यापक पैमाने पर किया जाता है। यहां की प्रमुख समस्या सिंचाई, उत्पाद का उचित दाम न मिलना, भंडारण की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। -संजय शाह,भाजपा नेता शीतगृह का होना नितांत आवश्यक है। क्षेत्र में शीतगृह या फिर डीप फ्रीज युक्त वाहन की व्यवस्था हो जाए तो किसानों को लाभ होगा। -माना महतो अत्यधिक उत्पादन से ज्यादा लाभकारी है उत्पादित वस्तुओं का उचित रख-रखाव और खेत में फसल के बर्बाद होने से बचाने की। -इन्द्र रविदास दिगवार जैसे कृषि प्रधान क्षेत्र में किसानों की एक बड़ी समस्या सिंचाई की है। यहां नगर परिषद को केवल होल्डिंग टैक्स से वास्ता है। -प्रकाश महतो किसानों को अन्नदाता के नाम से संबोधित करने से काम नहीं चलने वाला है। उनके उत्पाद का सही दाम और उचित बाजार मिले। -सुखदेव कुशवाहा किसान खुश तो बाजार बेहतर। इसका असर अर्थव्यवस्था की मजबूती पर पड़ेगा। फसलों ताजा बनाए रखने की हो व्यवस्था। -द्वारिका महतो समस्या दूर करने की दिशा में कारगर कदम उठाया जाना चाहिए। सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था का न होना है। -संतोष प्रसाद दिगवार और आसपास में प्रशासनिक पहल से कृषि उत्पाद को बेचने के लिए बेहतर बाजार की व्यवस्था बहाल की जानी चाहिए। -जिवरैल अंसारी कृषि उत्पादों को ज्यादा दाम मिले इसकी व्यवस्था हो। वहीं दिगवार क्षेत्र में किसानों के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था हो। -वशीर अंसारी किसानों के नाम पर आंदोलन तो खूब होते हैं, पर चंद किसान नेताओं और उनके परिवारों को ही इसका फायदा मिलता है। -मो युनूस उर्फ चुन्नू कृषि उत्पादों को बाजार मिले इसकी व्यवस्था जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ विधायक और सांसद को करनी चाहिए। तब राहत मिलेगी। -बुद्धदेव महतो क्षेत्र में साग सब्जी के प्रचुर मात्रा में उपज के बाद इसे सही बाजार तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। -गुड्डू मुंडा इलाके में नकदी फसल की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। किंतु दुख: की बात यह है कि किसानों को उनके उपज का सही दाम नहीं मिल पाता हैै। -बिनोद कुशवाहा
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