बोले रामगढ़ : एक डीप बोरिंग हो जाए, तो पानी को नहीं होगी फजीहत
रामगढ़ के गोला प्रखंड की साड़म पंचायत के चाराबंदा टोला के लोग पेयजल की समस्याओं से जूझ रहे हैं। यहां बोरिंग, डोभा और कुआं सूख चुके हैं। इससे यहां के
गोला । सरकार भले ही नल के जरिए घर-घर शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का दावा करती हो, लेकिन रामगढ़ जिले के जाराबंदा टोला में आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी पेयजल की समस्या हल नहीं हो पाई है। साड़म पंचायत के जाराबंदा के लोग आज भी पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस टोले में पानी कि कोई भी योजना सफल नहीं हो पाई है। सरकार आसपास के क्षेत्रों में करोड़ों रुपए खर्च करके गांव में पानी पहुंचा रही है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की योजनाएं लोगों की प्यास बुझाने में फेल हो चुकी हैं। टोला में एक भी कुआं, तालाब, डोभा ऐसा नहीं है, जिसमें एक बूंद भी पानी हो। लोग हफ्तों तक नहाते नहीं हैं। सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ती है। महिलाएं लंबी दूरी तय करके अपने घर तक पानी लाती हैं, जिसे खाना पकाने व पीने के लिए इस्तेमाल करती हैं। नहाने धोने के लिए तीन से चार किमी दूर तालाब पोखर जाना पड़ता है। यहां के ग्रामीण मानसून का उत्सुकता से इंतजार करते हैं। बारिश का पानी ही यहां के ग्रामीणों के भाग्य का फैसला करता है। जल संकट यहां के लोगों के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। अगर बारिश नहीं होगी तो यहां के लोग खेतीबारी नहीं कर सकते हैं। मानसून में होनी वाली बारिश ही लोगों के लिए एकमात्र फसल उपजाने का साधन है। टोले के कई लोग भार की सहायता से अपने लिए पीने के पानी का जुगाड़ करते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ियों से घिरा होने के कारण जाराबंदा क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ती है। इससे पानी की किल्लत और अधिक बढ़ जाती है। यह एक दिन की नहीं हमेशा की समस्या है। साड़म पंचायत के टोनागातु स्थित इनलैंड पावर प्लांट की ओर से 500 लीटर क्षमता का एक सिंटेक्स लगाया गया है। लेकिन जिस कुआं के भरोसे इस सिंटेक्स को लगाया गया है। उस कुएं में एक बूंद पानी नहीं है। इस टोले में विधायक मद से एक भी चापानल लगाया गया।
हालांकि क्षेत्र में बोरिंग कराई गई। लेकिन बोरिंग से एक बूंद पानी नहीं निकला, लेकिन ठेकेदार ने हैंडपंप लगाकर छोड़ दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि जब से यह चापानल बना है। इससे आज तक एक बूंद पानी नहीं निकला है।
पंचायत की मुखिया किरण देवी ने पानी की समस्या के समाधान के लिए प्रखंड से लेकर जिले के अधिकारियों को कई बार दरवाजा खटखटा चुकी है। लेकिन समस्या का समाधान करने में मुखिया भी नाकाम हो चुकी है। महिलाएं अपने सिर पर पानी के बर्तन लेकर चलती हैं, रास्ता पहाड़ी और उबड़-खाबड़ भी है। यह सफर कई घंटों में पूरा होता है।
वहीं गांव में जिन लोगों के पास मवेशी है, वे लोग अपने जानवर के माध्यम से पानी ढोते हैं। सरकार एक ओर पानी की समस्या को खत्म करने के लिए प्रयास कर रही है। लेकिन दूसरी ओर संबंधित अधिकारी पानी की समस्या को समाधान नहीं कर सके हैं। ग्रामीणों ने कहा कि वर्षों से पीएचईडी विभाग के कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं। लेकिन किसी भी अधिकारी ने ग्रामीणों की समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि उन्हें पीने के पानी की व्यवस्था के लिए उच्च अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किया जाए, जिससे लोगों की वर्षों पुरानी मांग का हल निकल सके।
प्रस्तुति: मोबिन अख्तर
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में डीप बोरिंग होने से कम से कम पेयजल की समस्या का समाधान हो जाता। ग्रामीणों ने विभाग से गांव में डीप बोरिंग कराने की मांग की है, लेकिन हर बार उन्हें मायूसी हुई। वहीं इस संबंध में मुखिया के पति कुलदीप महतो ने बताया कि इस गांव में डीप बोरिंग कराने को लेकर विभाग को लिखा गया था। लेकिन डीप बोरिंग नहीं हो सका, एक नार्मल बोरिंग हुआ, जिसमे पानी नहीं निकला। विभाग से मायूस होने के बाद बीडीओ को समस्या की जानकारी दी गई। लेकिन समस्या का हल नहीं हो सका। सरकार की ओर से आसपास के क्षेत्रों में करोड़ों रुपए खर्च कर गांव में पानी पहुंचा रही है। कई क्षेत्रों में पानी की बर्बादी भी हो रही है। लेकिन विभाग की सारी योजनाएं यहां फेल हो चुकी है। सरकार हो या विधायक-सांसद या अधिकारी किसी ने ग्रामीणों की इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। लोगों को पानी की परेशानी से हमेशा दो-चार होना पड़ता है।
ग्रामीणों को गर्मी के दिनों में पानी के लिए होती है सबसे ज्यादा परेशानी
उक्त गांवों में गर्मी के मौसम में लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार के दावे खोखले और झूठे हैं। किसी भी सरकार ने सुदूर गांव देहात में बसे लोगों तक पानी की योजना को पहुंचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। मजबूरी में लोगों को कई किलोमीटर दूरी का सफर तय करके पीने का पानी लाना पड़ रहा है। प्राकृतिक जल स्त्रोत भीषण गर्मी के मौसम में सूख जाते हैं।
सांसद-विधायक और सरकार ने इस क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए नहीं की है पहल
सरकार की ओर से जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, मात्र कागज के पन्नों तक सीमित हो चुकी है। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार ऐसे सुदूर गांव में पानी की व्यवस्था के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी कर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं। ताकि लोगों को आसानी से शुद्ध पेयजल मिल सके। आजादी के बाद से सांसद-विधायक और सरकार जंगल-पहाड़ों में रहने वाले ग्रामीणों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
15 किमी की दूरी तय कर राशन लाते हैं जयंतिबेड़ा के ग्रामीण
पहाड़ के उपर जंगलों के बीच बसे जयंतिबेड़ा गांव में लगभग 600 परिवार बसे हैं। यहां के लगभग लोग कृषि कार्य व बकरी पालन कर अपना जीविकोपार्जन करते हैं। यहां के करीब दो सौ लोगों के पास लाल व हरा राशन कार्ड है। लेकिन गांव में जनवितरण प्रणाली की दुकान नहीं रहने के कारण 15 किमी दूर साड़म गांव से राशन लाने के लिए जाना पड़ता है। पहाड़ी रास्ते से साड़म गांव आने जाने में ही इनका पूरा दिन बीत जाता है।
पानी के िलए करनी पड़ती है मशक्कत
सरकार घर घर नल जल योजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन सरकार को मानो हमारी फिक्र ही नहीं है। गांव के लोगों को सालोभर पानी की चिंता सताती है। -लखीचरण भोगता
गांव में सिर्फ साफ पानी का ही संकट नहीं है, बल्कि भू जल स्तर की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इस कारण हमलोगों को भीषण सूखा का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन को पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। -संतोष भोगता
जलवायु परिवर्तन का असर जंगलों-पहाड़ों में स्पष्ट नजर आने लगा है। तापमान में वृद्धि और वर्षा जल में कमी के पहाड़ों के जलस्रोत भी सूखते जा रहे हैं। इससे पानी की किल्लत हो रही है
-सावन भोगता
पहाड़ों जंगलों से निकलने वाले जलस्रोत धीरे धीरे गायब होता जा रहा है। भूमिजल का वर्तमान स्थिति आने वाले दिनों में और अधिक खतरा पैदा कर सकता है। सरकार को अस ओर भी ध्यान देना चाहिए।- मेघनाथ भोगता
चिलचिलाती धूप व भीषण गर्मी में हमलोगों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। संबंधित विभाग को सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बसे लोगों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए।
-करमा भोगता
साड़म के जाराबंदा टोला सहित जयंतीबेड़ा गांव के ग्रामीणों को खेत से पानी लाकर अपनी जरूरत पूरा करना पड़ रहा है। चुआं का गंदा पानी को डेगची के माध्यम से लंबी दूरी तय कर घर लाते हैं -गुदल भोगता
गर्मी के दस्तक के साथ ही गांव में जल संकट गहराने लगा है। गर्मी के दिनों में पानी का उपयोग भी बढ़ जाता है। ऐसे में हमलोग चुआं का गंदा पानी पीने को विवश हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। -बालक भोगता
हमलोग चुआं का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। इससे हमारे स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ रहा है। सरकार को क्षेत्र में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए शीघ्र पहल करनी चाहिए।
-गोरखनाथ भोगता
जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे हमलोगों की परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं। गर्मी बढ़ने के साथ पीने का पानी की समस्या विकराल रूप ले रही है। प्रशासन इस ओर पहले नहीं कर रही है। -सरोपति देवी
कई राजनीति दल के नेताओं का गांव तक पानी, सड़क चुनावी मुद्दा रहा है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि अपना वादा भूल जाते हैं। लोगों को चुंआ का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। -नुनीबाला देवी
लोगों ने कई बार बीडीओ-पीएचइडी विभाग में आवेदन देकर इसकी शिकायत की। लेकिन अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ। इसके कारण पानी की किल्लत से लोग रोजाना परेशान रहते हैं।-सुशीला देवी
पहाड़ी क्षेत्र का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। सरकार को पाइपलाइन के जरिए हमारे गांव तक पानी आपूर्ति करने की दिशा में जल्द पहल करनी चाहिए, ताकि लोगों को आसानी से पानी मिल सके। -फुलमनी देवी
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