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‘वक्फ से जुड़े मामलों में SC नहीं देगा दखल...’ दर्जनभर अर्जियों पर सुनवाई से पहले केंद्रीय मंत्री को भरोसा

उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब संसद से पारित और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद वक्फ संशोधित एक्ट के खिलाफ दायर की गई दर्जन भर से ज्यादा अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 14 April 2025 11:04 PM
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‘वक्फ से जुड़े मामलों में SC नहीं देगा दखल...’ दर्जनभर अर्जियों पर सुनवाई से पहले केंद्रीय मंत्री को भरोसा

अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के विधायी मामलों में दखल नहीं देगा। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब संसद से पारित और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद वक्फ संशोधित ऐक्ट के खिलाफ दायर की गई दर्जन भर से ज्यादा अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करने वाला है। इसके अलावा वक्फ ऐक्ट के खिलाफ देश भर के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है, जबकि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना जिले में भारी हिंसा हुई है।

इसके साथ ही किरेन रिजिजू ने ये भी कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की यह घोषणा कि संशोधित कानून राज्य में लागू नहीं किया जाएगा, इस बात पर सवाल उठाती है कि क्या उनके पास इस पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार या संवैधानिक अधिकार है। बता दें कि ममता बनर्जी ने वक्फ ऐक्ट के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है और कहा है कि वह अपने राज्य में इसे लागू होने नहीं देंगी।

शक्तियों का बंटवारा अच्छी तरह से परिभाषित

NDTV से बात करते हुए रिजिजू ने कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायी मामले में दखल नहीं देगा। हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अगर कल सरकार न्यायपालिका में हस्तक्षेप करती है, तो यह अच्छा नहीं होगा। शक्तियों का बंटवारा अच्छी तरह से परिभाषित है।” उन्होंने कहा, "इससे पहले मैंने किसी अन्य विधेयक की इतनी गहनता से जांच नहीं देखी... जिसमें एक करोड़ प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया हो, जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) ने अधिकतम बैठकें की हों और संसद के दोनों सदनों में बिल पारि कराने के लिए इतनी लंबी रिकॉर्ड चर्चा हुई हो।

संसद से पारित और राष्ट्रपति से हस्ताक्षरित

बता दें कि संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को तीन और चार अप्रैल को क्रमश: दोनों सदनों से पारित कर दिया और अगले ही दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर हस्ताक्षर कर इसे कानून बना दिया। कई संगठनों और विपक्षी सांसदों ने इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इन मामलों पर बुधवार (16 अप्रैल) को सुनवाई करेगा। केंद्र ने भी इस मामले में कैविएट अर्जी दाखिल कर कहा है कि इस मामले में किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले उसकी बात सुनी जाए।

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SC संवैधानिक मुद्दों पर अंतिम मध्यस्थ

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि वह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देगा लेकिन संविधान से जुड़े मुद्दों पर अंतिम मध्यस्थ के रूप में, वह याचिकाकर्ताओं की बात सुनने के लिए आखिरकार सहमत हो गया है। याचिकाओं में दावा किया गया है कि संशोधित कानून समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार सहित कई मौलिक अधिकारों का हनन करता है।