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आंतक के केस में 10 जेल गया, आते ही फिर जुट गया रांची का याशर

झारखंड में हिज्ब-उत-तहरीर के संदिग्ध आतंकी अम्मार याशर 10 साल जोधपुर के जेल में रहा। मई 2024 में वह छूटा था। एटीएस ने धनबाद से गिरफ्तार आरोपी गुलफाम हसन, आयान जावेद, मो शहजाद और शबनम परवीन की निशानदेही पर अम्मार याशर को गिरफ्तार किया था।

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तानSat, 3 May 2025 09:56 AM
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आंतक के केस में 10 जेल गया, आते ही फिर जुट गया रांची का याशर

झारखंड में हिज्ब-उत-तहरीर के संदिग्ध आतंकी अम्मार याशर 10 साल जोधपुर के जेल में रहा। मई 2024 में वह छूटा था। इसके बाद उसने फिर से आतंकी संगठन से जुड़कर जिहाद व देश में खिलाफत के उद्देश्य से हिज्ब-उत-तहरीर ज्वाइन किया। एटीएस ने धनबाद से गिरफ्तार आरोपी गुलफाम हसन, आयान जावेद, मो शहजाद और शबनम परवीन की निशानदेही पर अम्मार याशर को गिरफ्तार किया था। एटीएस ने शुक्रवार को उसे जेल भेज दिया। अब उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। पता चला है कि साल 2013 में इंडियन मुजाहिदीन की गतिविधियां देशभर में चल रही थी। पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट के बाद देशभर में फैले इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क पर दबिश डालने की शुरुआत हुई। तब मार्च 2014 में पहली बार अम्मार याशर एजेंसियों के हत्थे चढ़ा था। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने याशर को शाहीनबाग से हिरासत में लिया था, लेकिन तब राजनीतिक दबाव में उसे छोड़ दिया गया था।

याशर जयपुर में पढ़ाई के दौरान इंडियन मुजाहिदीन के संपर्क में आया

धनबाद निवासी अम्मार याशर को मई 2014 में राजस्थान एटीएस ने शेरघाटी से गिरफ्तार किया था। उस समय वह जयपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। इसी दौरान वह इंडियन मुजाहिदीन के नेताओं के संपर्क में आकर प्रतिबंधित संस्था में शामिल हो गया था। जयपुर के एसओजी, लालकोटी और जोधपुर के प्रतापनगर थाने में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इन मामलों में वह पूरे 10 साल जेल में रहा। इसके बाद मई 2024 में कोर्ट ने उसे जमानत दी थी। जमानत पर छूटने के बाद वह इंडियन मुजाहिदीन छोड़कर हिज्ब-उत-तहरीर में शामिल हो गया था।

आयान जावेद के साथ था नियमित संपर्क, दस्तावेज भी मिले

एटीएस को जानकारी मिली है कि गिरफ्तार आयान जावेद के साथ अम्मार याशर का नियमित संपर्क था। आयान की निशानदेही पर ही याशर का नाम सामने आया था। गिरफ्तारी के बाद अम्मार याशर के मोबाइल से प्रतिबंधित संगठन से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। एटीएस अब इस लिंक के आधार पर हिज्ब-उत-तहरीर के बड़े हैंडलर्स तक पहुंचने की जुगत में है।