बोले रांची: सौ से अधिक नए घरों को सड़क, पानी और बिजली का इंतजार
रांची के सुंदरनगर इलाके में तेजी से आवास निर्माण के बावजूद मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि सड़क, पानी, बिजली और कचरा प्रबंधन की समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने प्रशासन से...

रांची, संवाददाता। रांची नगर निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या-5 अंतर्गत आने वाले सुंदरनगर इलाके में तेजी से बसती आबादी और नए मकानों की संख्या में वृद्धि के बावजूद मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। बुधवार को हिन्दुस्तान का बोले रांची कार्यक्रम उनकी समस्याओं पर केंद्रीत हुआ। इसमें लोगों ने बताया कि क्षेत्र में 100 से अधिक नए मकान बनने के बावजूद न तो पक्की सड़क की सुविधा है, न ही नियमित जलापूर्ति की व्यवस्था। बिजली के पोल अब भी कई घरों से दूर हैं और कचरा प्रबंधन पूरी तरह से ठप है। स्थानीय निवासियों ने कहा कि इन समस्याओं को लेकर प्रशासन से कई बार गुहार लगाई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लोगों ने बताया कि सड़क की स्थिति ऐसी है कि स्कूल बस तक पहुंच नहीं पाती, करीब डेढ़ से दो किलोमीटर तक बच्चों को पैदल जाना पड़ता है। वहीं बिजली के पोल नहीं होने से झूलते तारों से कभी भी हादसा हो सकता है।
हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में सुंदरनगर इलाके के लोग शामिल हुए। बताया कि सुंदरनगर में बीते दो वर्षों में तेजी से मकानों का निर्माण हुआ है। अब यहां 100 से अधिक नए घर बन चुके हैं, करीब 600 से अधिक की आबादी निवास करती है। इसके बावजूद यह क्षेत्र अभी भी मूलभूत नागरिक सुविधाओं से कोसों दूर है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि कई गलियों में आज भी कच्चे रास्तों से ही आना-जाना होता है। बरसात के दिनों में ये रास्ते कीचड़ में तब्दील हो जाते हैं और स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और कामकाजी लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
पानी की भारी किल्लत, एक भी डीप बोरिंग नहीं
सबसे बड़ी समस्या पानी की है। सुंदरनगर में पानी आपूर्ति की कोई नियमित व्यवस्था नहीं है और हैरानी की बात यह है कि यहां एक भी डीप बोरिंग की व्यवस्था नहीं की गई है। कई परिवार या तो आसपास के इलाकों से पानी लाते हैं या निजी जार के माध्यम से पानी सप्लाई पर निर्भर हैं। गर्मियों के दिनों में यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है जब भूजल स्तर नीचे चला जाता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर निगम और जिला प्रशासन कई क्षेत्रों में टैंकर से पानी की सप्लाई करता है पर यहां एक भी बार नहीं पहुंचता है।
कचरा उठाव की कोई व्यवस्था नहीं
सुंदरनगर में कचरा उठाव की कोई व्यवस्था नहीं है। कचरा का उठाव होता ही नहीं, एजेंसी के लोगों को कचरा उठाव के लिए कहा जाता है तो वे पैसे की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रति घर 80 रुपए भुगतान की मांग करते हैं। यहां नगर निगम की ओर से न ही कोई डस्टबिन उपलब्ध कराए गए हैं और न ही कहीं से उठाव। इसके चलते लोग मजबूरी में कचरा खुले में या खाली जमीनों पर फेंकने को मजबूर हैं। इससे इलाके में गंदगी फैल रही है और मच्छरों की भी भरमार हो गई है।
बिजली पोल नहीं, दूर से लाते हैं कनेक्शन
करीब पांच साल से इस मोहल्ले में बड़ी आबादी रह रही है इसके बाद भी सही से बिजली कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। नए बने कई घरों में बिजली के लिए दूर से तार के माध्यम से कनेक्शन लाना पड़ रहा है। इससे काफी परेशानी होती है। बारिश के दिनों में खतरा भी बना रहता है। जानमाल के नुकसान की संभावना बनी रहती है। सभी गली में तार घरों के ऊपर भी झूलते देखे जा सकते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि जो एक-दो गली में बिजली के पोल लगे हैं वो भी काफी प्रयास के बाद का नतीजा है।
पानी सप्लाई भी अनियमित
जहां कुछ गलियों में पाइपलाइन पहुंच चुकी है, वहां भी जलापूर्ति की स्थिति बेहद खराब है। हफ्ते में एक या दो बार कुछ देर के लिए ही पानी आता है और उसमें भी दबाव इतना कम होता है कि टंकी भरना तो दूर, बाल्टी भरना भी मुश्किल होता है। लोग बताते हैं कि पाइपलाइन के जरिए आने वाला पानी कई बार गंदा और बदबूदार होता है, जिससे बीमारी का खतरा बना रहता है। साथ ही उन्होंने बताया कि पानी की नियमित सप्लाई नहीं होने से गर्मी में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
नगर निगम दे ध्यान
सभी गलियों में पक्की सड़क की मांग लोग कर रहे हैं। कहा, इसका निर्माण प्राथमिकता के आधार पर कराया जाए ताकि लोगों को आवागमन में सुविधा मिले। वहीं, उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पेयजल की किल्लत को देखते हुए कम से कम दो स्थानों पर डीप बोरिंग की जाए जिससे पानी की व्यवस्था सुधरे। उन्होंने मांग की कि नगर निगम को चाहिए कि वह नियमित कचरा उठाव की व्यवस्था लागू करे और साफ-सफाई की जिम्मेदारी तय करे। सभी घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए खंभों की स्थापना की जाए और कनेक्शन जल्द से जल्द दिया जाए।
शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं
समस्याओं को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार वार्ड पार्षद और नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत की है। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे लोगों में नाराजगी बढ़ रही है। नागरिकों का कहना है कि वे समय पर कर देते हैं, लेकिन जब सुविधाएं देने की बात आती है तो प्रशासन की उदासीनता झलकती है। स्थानीय निवासियों ने कहा कि अगर यही स्थिति रही तो हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। विकास सिर्फ कागजों में दिख रहा है, जमीनी हकीकत कुछ और है।
जन प्रतिनिधियों से कार्रवाई की उम्मीद
वार्ड नंबर पांच सुंदरनगर के लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नगर निगम और स्थानीय जनप्रतिनिधि उनकी समस्याओं की सुध लेंगे और जल्द से जल्द सुविधाएं मुहैया कराएंगे। आगामी नगर निगम चुनावों को देखते हुए भी इन मुद्दों का राजनीतिक असर देखने को मिल सकता है। अगर जिम्मेदार और प्रशासन की ओर से समय रहते कदम नहीं उठाया जाता है तो जनता इसका जवाब वोट से दे सकती है।
समस्याएं
1. कई गलियों में पक्की सड़क नहीं बरसात के दिनों में रास्ते कीचड़ में तब्दील हो जाते हैं।
2. पानी के लिए एक भी डीप बोरिंग नहीं। गर्मियों के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। भूजल स्तर नीचे चला जाता है।
3. कचरा उठाव की व्यवस्था नहीं। लोग कचरा खुले में या खाली जमीनों पर फेंकने को मजबूर।
4. बिजली के पोल नहीं पहुंचे। नए घरों में बिजली के लिए दूर से तार से कनेक्शन लाना पड़ रहा।
5. कुछ गलियों में पाइपलाइन पहुंच चुकी है, लेकिन वहां भी जलापूर्ति की स्थिति बेहद खराब है।
सुझाव
1. सभी गलियों में पक्की सड़क हो, प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कराया जाए।
2. पानी के लिए कम से कम दो डीप बोरिंग हो। निगम टैंकर से पानी की सप्लाई बढ़ाए।
3. कचरा उठाव के लिए एजेंसी को निर्देश दिया जाए। साफ-सफाई की जिम्मेदारी तय की जाए।
4. बिजली के पोल घरों के पास तक लगाए जाएं। घरों के ऊपर झूलते तार व्यवस्थित हों।
5. नियमित पानी सप्लाई के लिए जिम्मेवारी तय हो। पाइपलाइन जलापूर्ति का लाभ मिलना भी सुनिश्चित हो।
:: लोगों ने कहा ::
वर्षों से इस क्षेत्र में सौ से अधिक परिवार रह रहे हैं। इसके बाद भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला। न सड़क बनी, न पानी आया, न बिजली पहुंची। अब समझ नहीं आ रहा कि हम तक विकास कैसे पहुंचेगा। हम लगातार समस्याओं से परेशान हैं।
पिंटू कुमार ठाकुर
पक्की सड़क की लोग राह देख रहे हैं। बारिश में पूरा रास्ता कीचड़ से भर जाता है। ऑफिस जाने में देरी होती है। बच्चों को स्कूल ले जाना भी मुश्किल होता है। ये कैसा शहरी विकास है, लगातार आवेदन देने के बाद भी कुछ नहीं हो पा रहा है। कई गलियों के ऊपर से बांस के सहारे खुले तार लटक रहे हैं। बारिश में खतरनाक हो जाते हैं।
दिवाकर प्रसाद
न कोई बोरिंग है, न नियमित पानी की सप्लाई। गर्मियों में हालत और खराब हो जाती है। टैंकर से भी पानी की सप्लाई नहीं करायी जाती है। नल जल योजना का कनेक्शन दिया गया है, उससे पानी भी तो मिले।
शोभा देवी, गृहिणी
बिजली के खंभे ही नहीं हैं। दूर के पोल से तार के जरिए कनेक्शन लाया गया है। तार लटकते रहते हैं। ये खतरनाक साबित हो सकते हैं। बारिश के दिनों में कई बार तार टूट भी जाते हैं, हादसे का डर रहता है।
प्रताप सिंह
कचरा हफ्तों तक नहीं उठता। कचड़ा उठाव के लिए पैसे की मांग की जाती है। मच्छरों की भरमार है। ये हाल नगर निगम क्षेत्र में है, सोचिए ग्रामीण इलाकों में क्या होता होगा।
शशि भूषण पांडेय
बारिश में गली कीचड़ से भरी रहती है। चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। हमारी उम्र में गिरने का डर बना रहता है। इतनी तकलीफ झेलकर अब लगता है कि शहर में भी गांव जैसे हालत हैं।
चंदन कुमार
हम टेक्नोलॉजी पर बात करते हैं, लेकिन नगर निगम क्षेत्र में भी आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं। हर चीज के लिए जुगाड़ करना पड़ता है। नगर निगम को योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिए।
भास्कर भट्टाचार्य
सरकार को डीप बोरिंग करानी चाहिए। नल जल योजना से पानी भी उपलब्ध हो। हर दिन पानी के लिए परेशानी होती है। जो सप्लाई है वह भी नियमित नहीं है।
निशांत कुमार
बिजली के पोल के लिए कई बार आवेदन दिया गया है। आवेदन बार-बार देने के बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं होती। दर्जनों घरों के ऊपर से झूलते हुए तार जाते हैं, कभी भी हादसा हो सकता है।
दिनेश कुमार महतो
कच्ची सड़क पर वाहन चलाना बहुत मुश्किल है। दो किलोमीटर दूर से ही सड़क की स्थिति बदहाल है। बार-बार बनाकर सड़क फिर से तोड़ दी जाती है।
अभिय सिंह
गंदगी और मच्छरों से बच्चों को बीमारियों का खतरा है। साफ-सफाई न होने से संक्रमण फैल सकता है। डस्टबिन और सफाईकर्मी चाहिए ही चाहिए। नगर निगम को जवाबदेह होना होगा।
सुनीता देवी
सुंदरनगर की समस्याएं सिर्फ बस्ती की नहीं, प्रशासनिक लापरवाही की पहचान हैं। लोग जागरूक हैं और अब सवाल पूछ रहे हैं। अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो यह मुद्दा चुनाव में उठेगा।
सूरज
कुछ गलियों में पाइपलाइन पहुंचने के बाद भी जलापूर्ति की स्थिति बेहद खराब है। हफ्ते में एक या दो बार कुछ देर के लिए ही पानी आता है और उसमें भी दबाव इतना कम होता है कि टंकी भरना तो दूर, बाल्टी भरना भी मुश्किल होता है।
नाम मिलेगा
पानी गंदा आता है, बदबू भी होती है। ऐसे पानी से खाना बनाना और पीना मजबूरी है। बच्चों को पेट की बीमारी हो गई थी। साफ पानी हर इंसान का हक है।
नाम मिलेगा
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