प्रकृति आधारित मानव सभ्यता का प्राचीनतम धर्म है सरना : तिग्गा
मुरहू प्रखंड के डौगड़ा गांव में सरना धर्म प्रार्थना सभा का 15वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर हजारों अनुयायियों ने सिङबोंगा की पूजा की और सुख, शांति की कामना की। धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने सरना...

खूंटी, संवाददाता। मुरहू प्रखंड के डौगड़ा गांव में सरना धर्म प्रार्थना सभा के 15वें स्थापना दिवस पर दो दिवसीय आयोजन रविवार को संपन्न हुआ। इस अवसर पर सरना धर्मगुरुओं की अगुवाई में हजारों अनुयायियों ने सिङबोंगा की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति और खुशहाली की कामना की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि धर्मगुरु बंधन तिग्गा और विशिष्ट अतिथि उड़ीसा के धर्मगुरु परमेश्वर सिंह मुंडारी शामिल हुए। मुख्य अतिथि धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरना धर्म प्रकृति पर आधारित मानव सभ्यता का प्राचीनतम धर्म है। उन्होंने कहा कि सरना धर्म की अपनी धार्मिक विधि-विधान, जीवन शैली, दर्शन और आदर्श हैं, जिनमें लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है।
लेकिन राजनीतिक उदासीनता के कारण न तो सरना धर्म को मान्यता मिल रही है, न ही आदिवासी अधिकारों की रक्षा हो पा रही है। उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड के अभाव में सामाजिक एकता कमजोर हुई है और धर्मांतरण जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने सरकार से अविलंब सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की। सिङबोंगा की स्तुति से आती है जीवन में भक्ति और संतुलन: विशिष्ट अतिथि धर्मगुरु परमेश्वर सिंह मुंडारी ने कहा कि सरना धर्म सत्य, भक्ति, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। सिङबोंगा की स्तुति से मानव जीवन में भक्ति, श्रद्धा और सकारात्मकता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि यदि सरना धर्म के मूल्यों को अपनाया जाए, तो दुनिया में सुख, शांति और समृद्धि संभव है। समारोह में बुधराम सिंह मुंडा, कमले उरांव, सुभासिनी पुर्ती, गोपाल बोदरा, करमु हेमरोम, बिरसा तोपनो, रमेश लुगुन, लुथड़ु मुंडा, मधियाना धान, जीतनाथ पहान, सुमित गुड़िया सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। साथ ही खूंटी, रांची, मुरहू, बंदगांव, चक्रधरपुर, उड़ीसा, राउरकेला, अड़की, कोचांग, बिरबंकी सहित विभिन्न स्थानों से आए हजारों सरना धर्मावलंबियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
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