भारत-पाकिस्तान तनाव: अचानक संघर्ष विराम से उठते सवाल
विश्लेषकों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की व्यवस्था जल्दबाजी में की गई थी और यह नाजुक बनी हुई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच 'पूर्ण और तत्काल...

विश्लेषकों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की व्यवस्था जल्दबाजी में की गई थी और यह अभी भी नाजुक बना हुआ है.भारत में विपक्ष और जानकार इस पर सवाल उठा रहे हैं.भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शनिवार, 10 मई को सोशल मीडिया पर घोषणा की कि दोनों देश "पूर्ण और तत्काल संघर्ष विराम" पर राजी हो गए हैं.विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के इशारे पर भारत और पाकिस्तान पूर्ण युद्ध की कगार से पीछे हट गए हैं.हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप के कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता की पेशकश के बाद वैश्विक कूटनीतिक शक्ति के रूप में नई दिल्ली की आकांक्षाओं को अब एक महत्वपूर्ण परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है.एशिया में आर्थिक शक्ति के रूप में उभरता भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के तेजी से उभरने से विश्व मंच पर उसका आत्मविश्वास और प्रभाव बढ़ा है, जहां उसने श्रीलंका की आर्थिक बदहाली और म्यांमार में भूकंप जैसे क्षेत्रीय संकटों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.हालांकि कश्मीर को लेकर हाल के दिनों में पाकिस्तान के साथ हुआ संघर्ष काफी भीषण था, जिसमें दोनों ओर से मिसाइल, ड्रोन और हवाई हमलों का इस्तेमाल किया गया. इन हमलों में कम से कम 66 लोग मारे गए.व्यापार जैसे मुद्दों पर ट्रंप का पक्ष लेना और कश्मीर संघर्ष में अपने हितों पर जोर देना - यह काफी हद तक घरेलू राजनीति पर निर्भर करेगा और कश्मीर में संघर्ष की भविष्य की संभावनाओं को निर्धारित कर सकता है.वॉशिंगटन में दक्षिण एशिया के विश्लेषक माइकल कुगलमान कहते हैं, "भारत, संभवतः व्यापक वार्ता (जिसकी युद्ध विराम के लिए आवश्यकता है) के लिए इच्छुक नहीं है.इसे कायम रखना चुनौती भरा होगा"भारत-पाकिस्तान के बीच नाजुक स्थिति संघर्ष विराम समझौते की नाजुक स्थिति को देखते हुए शनिवार देर रात दोनों सरकारों ने एक-दूसरे पर गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया.कुगलमान ने कहा कि संघर्ष विराम का "जल्दबाजी में" तब एलान किया गया जब तनाव अपने चरम पर था.ट्रंप ने कहा कि वह दोनों देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए भी तैयार हैं.उन्होंने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर कहा, "यह चर्चा का विषय नहीं था, लेकिन मैं भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं. इसके अलावा, मैं आप दोनों के साथ मिलकर काम करूंगा ताकि कश्मीर के बारे में किसी हल पर पहुंचा जा सके"वहीं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघर्ष शुरू होने के बाद से इस पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है.भारत, कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानता है और इस पर बातचीत के लिए तैयार नहीं है, खासकर किसी तीसरे पक्ष के मध्यस्थ के माध्यम से.भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस खूबसूरत हिमालयी क्षेत्र पर आंशिक रूप से शासन करते हैं, इस पर पूरा दावा करते हैं.भारत, पाकिस्तान पर आतंकवाद के समर्थन का दावा करता है, वहीं पाकिस्तान इन आरोपों को खारिज करता रहा है.अंतरराष्ट्रीय मामलों के भारतीय विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी कहते हैं, "अमेरिका के दबाव में सिर्फ तीन दिन के सैन्य अभियान को रद्द करने पर सहमत होकर भारत कश्मीर विवाद की ओर अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींच रहा है, ना कि पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद की ओर, जिसने इस संकट को जन्म दिया"कश्मीर को लेकर बदला पश्चिम का नजरियादोनों देशों के बंटवारे के बाद से दशकों तक पश्चिमी देशों ने भारत और पाकिस्तान को एक ही नजर से देखा क्योंकि दोनों पड़ोसी कश्मीर को लेकर नियमित रूप से लड़ते रहते थे.हाल के सालों में इसमें बदलाव आया है, जिसका एक कारण भारत की आर्थिक वृद्धि है जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारत के आकार के दसवें हिस्से से भी कम है.कश्मीर समस्या के समाधान की दिशा में काम करने के ट्रंप के प्रस्ताव और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की इस घोषणा ने कि भारत और पाकिस्तान अपने व्यापक मुद्दों पर किसी तटस्थ स्थान पर बातचीत शुरू करेंगे, कई भारतीयों को नाराज कर दिया है. एक ओर जहां पाकिस्तान ने कश्मीर पर ट्रंप की पेशकश के लिए बार-बार उनका आभार जताया है, जबकि भारत ने संघर्ष विराम में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को स्वीकार नहीं किया है और कहा है कि इस पर दोनों पक्षों ने खुद ही सहमति जताई थी.कैसे हुआ भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विरामसंघर्ष विराम और सवाल विश्लेषक और भारतीय विपक्षी दल पहले से ही इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या नई दिल्ली ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान में मिसाइल दागकर अपने रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा किया है.भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तानी कश्मीर में सैन्य कार्रवाई करके बताया था कि उसने पहलगाम हमले का बदला लिया और उसने आतंकी ठिकाने को निशाना बनाया.बीजेपी के पूर्व सांसद स्वपन दासगुप्ता कहते हैं संघर्ष विराम भारत में इसलिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि "ट्रंप अचानक कहीं से आए और अपना फैसला सुना दिया" वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए सरकार से "वॉशिंगटन से की गई संघर्ष विराम घोषणाओं" पर जवाब मांगा है.कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने पूछा, "क्या हमने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए दरवाजे खोल दिए हैं?"दूसरी ओर पड़ोसी देश के राजनयिकों और सरकारी अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा मुद्दा सिंधु जल संधि होगी, जिसे भारत ने अप्रैल में निलंबित कर दिया था, लेकिन यह पाकिस्तान के कई खेतों और जलविद्युत संयंत्रों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है.पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीपुल्स पार्टी ऑफ पाकिस्तान के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने कहा, "व्यापक वार्ता की अमेरिकी गारंटी के बिना पाकिस्तान (संघर्ष विराम के लिए) सहमत नहीं होता"पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा कि कश्मीर पर अस्थिरता के चक्र को तोड़ने के लिए एक व्यापक समझौते की जरूरत होगी.उन्होंने कहा, "क्योंकि मूल मुद्दे बने हुए हैं और हर छह महीने, एक साल, दो साल, तीन साल में ऐसा कुछ होता है और फिर आप परमाणु वातावरण में युद्ध के कगार पर वापस आ जाते हैं"एए/एनआर (रॉयटर्स).