झारखंड HC ने छुट्टी नहीं दी तो SC पहुंचीं एडीजे रैंक की महिला अधिकारी, शीर्ष कोर्ट का क्या निर्देश
झारखंड हाई कोर्ट द्वारा छुट्टी नहीं देने के खिलाफ एडीजे रैंक की महिला न्यायिक अधिकारी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। महिला अधिकारी ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि वह अपने सेवाकाल के दौरान बाल देखभाल के लिए 730 दिनों तक की छुट्टी की हकदार हैं। उन्होंने छह महीने की छुट्टी मांगी है, जिसे अस्वीकार कर दिया गया।

झारखंड हाई कोर्ट द्वारा छुट्टी का अनुरोध अस्वीकार करने के खिलाफ एडीजे रैंक की महिला न्यायिक अधिकारी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। महिला अधिकारी ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि न्यायिक अधिकारियों पर लागू बाल देखभाल अवकाश नियमों के अनुसार, वह अपने सेवाकाल के दौरान 730 दिनों तक की छुट्टी की हकदार हैं। उन्होंने केवल छह महीने की छुट्टी मांगी है, जिसे अस्वीकार कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट से कहा कि वह एकल अभिभावक महिला न्यायिक अधिकारी की उस याचिका पर पुनर्विचार करे, जिसमें उसने अपने बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी के अनुरोध को अस्वीकार किए जाने को चुनौती दी है। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट न्यायिक अधिकारी की याचिका पर उसकी पिछली याचिका की अस्वीकृति से प्रभावित हुए बिना विचार करेगा।
शीर्ष कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के वकील को तीन दिनों के भीतर निर्देश प्राप्त करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रतिवादी हाई कोर्ट को सुझाव दिया गया है कि बाल देखभाल अवकाश प्रदान करने की प्रार्थना पर पहले की अस्वीकृति से प्रभावित हुए बिना पुनर्विचार किया जाना चाहिए। पीठ ने हाई कोर्ट के वकील से कहा कि यह उचित होगा कि हाई कोर्ट इस मुद्दे पर फिर से विचार करे, क्योंकि शीर्ष अदालत के निर्देश एक मिसाल कायम कर सकते हैं।
29 मई को सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार और उच्च न्यायालय रजिस्ट्री से एक एकल अभिभावक महिला न्यायिक अधिकारी की याचिका पर जवाब मांगा था। याचिका में उसके बाल देखभाल अवकाश के अनुरोध को अस्वीकार करने को चुनौती दी गई थी। शीर्ष कोर्ट ने अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाली अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) रैंक की न्यायिक अधिकारी की याचिका पर गौर किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें छह महीने की छुट्टी नहीं दी गई। न्यायिक अधिकारी ने अपने बच्चे की जांच के मद्देनजर जून से दिसंबर के बीच छुट्टी मांगी थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह समाज के सबसे निचले तबके से एकल अभिभावक हैं। उन्होंने एक प्रभावशाली सेवा रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने ढाई साल से अधिक समय में 4000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है। याचिका में तर्क दिया गया कि न्यायिक अधिकारियों पर लागू बाल देखभाल अवकाश नियमों के अनुसार, एडीजे अपने सेवाकाल के दौरान 730 दिनों तक के अवकाश की हकदार हैं और उन्होंने केवल छह महीने का अवकाश मांगा है।