हर 15 दिन में रंग बदलती है उत्तराखंड की ये घाटी, 1 जून से खुल रही घूमने के लिए Valley of Flowers Uttrakhand opening for tourists from 1 june full travel guide with interesting facts, Travel news in Hindi - Hindustan
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हर 15 दिन में रंग बदलती है उत्तराखंड की ये घाटी, 1 जून से खुल रही घूमने के लिए

उत्तराखंड में बसी है वैली ऑफ फ्लावर्स, जिसे देखकर लगता है मानों ये हर दो हफ्तों में अपना रंग बदल लेती हो। अगर आप भी इस खूबसूरत जगह को देखना चाहते हैं, तो एक जून के बाद यहां जा सकते हैं।

Anmol Chauhan लाइव हिन्दुस्तानFri, 30 May 2025 03:54 PM
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हर 15 दिन में रंग बदलती है उत्तराखंड की ये घाटी, 1 जून से खुल रही घूमने के लिए

उत्तराखंड में घूमने के लिए एक से बढ़कर एक स्पॉट है, लेकिन यहां की कुछ जगह इतनी खास हैं कि उन्हें देखकर आंखों पर यकीन करना वाकई मुश्किल होता है। ऐसी ही एक जगह है 'वैली ऑफ फ्लावर्स' यानी 'फूलों की घाटी'। नेचर्स लवर्स के लिए ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है, वहीं जो लोग ट्रेकिंग के शौकीन हैं उनके लिए भी ये एक इंट्रेस्टिंग प्लेस है। हर साल 1 जून से ये घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी जाती है और अक्टूबर के अंत तक खुली रहती है। चलिए जानते हैं इस खूबसूरत घाटी से जुड़ी कुछ खास बातें, साथ ही जानेंगे यहां पहुंचने की पूरी ट्रैवल गाइड।

कहां स्थित है फूलों की घाटी ?

वैली ऑफ फ्लावर्स यानी फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी नेशनल पार्क के पास स्थित है। समुद्र तल से करीब 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह घाटी लगभग 87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। इसमें 500 से भी ज्यादा किस्मों के फूल पाए जाते हैं। खास बात है कि इन फूलों में कई विदेशी प्रजातियाँ भी शामिल हैं। इस घाटी का नाम विश्व धरोहर स्थल की लिस्ट में शामिल किया गया है। हर साल दुनिया भर से हजारों लाखों पर्यटक इस घाटी में घूमने के लिए आते हैं।

कैसे हुई इस खूबसूरत फूलों की घाटी की खोज

उत्तराखंड के चमोली में स्थित 'वैली ऑफ फ्लावर्स' घाटी की खोज सन 1932 में वनस्पति शास्त्री फ्रैंक सिडनी स्माइथ ने की थी। दरअसल स्माइथ पर्वतारोहण से लौटते समय रास्ता भटक गए थे, उसी दौरान उनकी नजर इस खूबसूरत घाटी पर पड़ी। इसके बाद सन 1937 में वे इस घाटी पर आ कर, कई दिनों तक रुके और उन्होंने इस पर 'वैली ऑफ फ्लावर्स' नाम की एक किताब भी लिखी। अपनी किताब में उन्होंने इस घाटी से जुड़ी कई दिलचस्प बातों का जिक्र किया। अपनी किताब में उन्होंने यह भी लिखा है कि 'वैली ऑफ फ्लावर्स' घाटी पर मौजूद फूलों का रंग हर 15 दिन में बदलता रहता है। शायद यही वजह है कि इस घाटी को जादुई घाटी का भी नाम दिया गया है।

कैसे पहुंचे वैली ऑफ फ्लावर्स घाटी?

'वैली ऑफ फ्लावर्स' घाटी पर्यटकों के लिए हर साल सिर्फ 4 महीने के लिए खोली जाती है। 1 जून से लेकर, लास्ट अक्टूबर तक पर्यटक इस खूबसूरत घाटी पर भ्रमण के लिए जा सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार पहुंचना होगा। फिर वहां से सड़क मार्ग के द्वारा जोशीमठ पहुंचे और फिर यहां से गोविंदघाट। गोविंद घाट से सड़क मार्ग के जरिए लगभग 3 किलोमीटर पर स्थित पुलना पहुंचे। अब यहाँ से लगभग 11 किलोमीटर तक ट्रैकिंग करते हुए घांघरिया तक जाना होता है। घांघरिया से 'वैली ऑफ फ्लावर्स' की दूरी लगभग 4 किलोमीटर है, जिसे पैदल ही तय करना होता है।

घूमने जाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

इस बात का ध्यान रखें कि 'वैली ऑफ फ्लावर्स' के आसपास कोई दुकान आदि मौजूद नहीं है। ऐसे में अपनी जरूरत का सामान जैसे खाने पीने की चीजें या पानी आदि बेस कैंप घांघरिया से ही लेकर जाएं। इसके अलावा यहां पर ट्रैवल के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। इंडियन टूरिस्ट के लिए इसकी फीस 150 रुपए है, जबकि फॉरेनर टूरिस्ट के लिए ये फीस 600 रुपए है।

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