..उनका चयन बाबा महाकाल और ओंकारेश्वर ने किया; स्वामी अवधेशानंद गिरि ने किसके लिए कही यह बात
अवधेशानंद गिरि ने कहा, 'संकोच में एक बात कर रहा हूं हम संन्यासियों को विशेषकर, साधुओं में सभी साधुओं की बात नहीं कर रहा हूं, हम संन्यासियों को, हम शंकरानुयायियों को जो काम बहुत पहले कर लेना चाहिए था, वो हम नहीं कर सके, वो काम आज यहाँ होते हुए दिखाई दे रहा है।'

आद्य जगतगुरु शंकराचार्य की जयंती के मौके पर मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी ओंकारेश्वर में शुक्रवार को शंकर प्रकटोत्सव 'एकात्म पर्व' मनाया गया। एकात्म धाम पर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के अलावा जूनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी, परमानन्द गिरि जी, विदित्मानन्द जी, गौरंगदास प्रभु जी और प्रणव चैतन्य पुरी जी के साथ ही कई अन्य बड़े संत, संत मंडली और गणमान्य जन उपस्थिति रहे। इस मौके पर बोलते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि 'संतों ने धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र का अद्भुत तालमेल किया है। शंकराचार्य जी ने 32 वर्ष की बेहद कम आयु में जो-जो कर दिया, वो अकल्पनीय है। उनके जीवन का प्रत्येक प्रसंग अद्भुत है। सारी जिंदगी जिस प्रकार से उन्होंने अपना जीवन जिया, हम सब सिर्फ कल्पना कर सकते हैं।'
'सीएम की सोच में दिखाई देती हैं बातें'
इस मौके पर बोलते हुए जूनापीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा 'आदरणीय सीएम से आज जितनी भी मेरी चर्चा हुई, उस सारी चर्चा में उनकी आध्यात्मिक बातें, उनकी सांस्कृतिक निष्ठा, प्रदेश की प्रगति और विकास के लिए उनकी प्रतिबद्धता दिखाई देती ही है। साथ ही चाहे प्रदेश में सांस्कृतिक चेतना का संचार हो, आध्यात्मिक मूल्यों का संवर्धन हो या विशेषकर आने वाले सिंहस्थ में किस ढंग से उस सिंहस्थ को विश्वव्यापी प्रतिमान दिए जा सकें, यह सारी बातें भी उनकी सोच में बार-बार दिखाई देती हैं। उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं।'
‘सीएम का चयन बाबा महाकाल और ओंकारेश्वर ने किया’
आगे उन्होंने सीएम मोहन यादव की तारीफ करते हुए कहा कि, 'भगवान ने उनको अपने काम के लिए चुना है। हो सकता है कि लोकतंत्र में भले ही मुख्यमंत्री का चयन एक व्यवस्था के अंतर्गत हुआ है, हो सकता है लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में लोगों ने उनका चयन किया हो, लेकिन मुझे लगता है कि उनका चयन मां नर्मदा, मां क्षिप्रा, बाबा महाकाल और ओंकारेश्वर ने किया है। वे इस गुरु धरती पर बड़े कार्य का संकल्प लेकर बैठे हैं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं, मैं निरंतर उनके साथ हूं।'
अवधेशानंद गिरि ने संंकोच के साथ कही एक बात
इसके साथ ही अवधेशानंद जी ने कहा, ‘संकोच में एक बात कर रहा हूं हम संन्यासियों को विशेषकर, साधुओं में सभी साधुओं की बात नहीं कर रहा हूं, हम संन्यासियों को, हम शंकरानुयायियों को जो काम बहुत पहले कर लेना चाहिए था, वो हम नहीं कर सके, वो काम आज यहाँ होते हुए दिखाई दे रहा है।’
‘शंकराचार्य ने भारत को एकता के सूत्र में पिरोया’
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, 'भगवान महादेव के अवतार जगतगुरु शंकराचार्य ने चार पीठों की स्थापना कर अखंड भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरो दिया। अद्वैत वेदांत का दर्शन अनंतकाल तक लोक कल्याण के पुनीत पथ प्रदर्शक बना रहेगा।'
इसके अलावा इस आयोजन की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री यादव ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, 'आज आद्य जगतगुरु शंकराचार्य जी की जयंती के पुण्य अवसर पर जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद जी के सानिध्य में ओंकारेश्वर स्थित एकात्म धाम में आयोजित आचार्य शंकर प्रकटोत्सव 'एकात्म पर्व' कार्यक्रम से पूर्व यज्ञशाला में पवित्र यज्ञ में आहुति एवं यज्ञ की परिक्रमा कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।'
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