जब भारत ने कुचली थी पाक की नापाक चाल, बोफोर्स ने बरसाई थी आग; मारे थे 4000 जवान
1999 की कारगिल जंग में पाकिस्तान की मक्कारी का भारत ने ऐसा जवाब दिया था जिसे दुश्मन देश हमेशा याद रखेगा। इस जंग में पाकिस्तान ने अपने 4000 से ज्यादा सैनिक खो बैठा था।

कारगिल में मिली चोटें अब तक पाकिस्तान की नसों में जलन पैदा करती होंगी। मगर पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद जब भारत आतंक की कमर तोड़ने की तैयारी में जुटा है, तो पाकिस्तान फिर से बौखलाया हुआ है। घबराहट में दुश्मन देश ने युद्ध की धमकी दे दी, लेकिन उसे मालूम होना चाहिए कि अगर उसकी तरफ से दोबारा कोई नापाक हरकत की गई तो इस बार अंजाम उससे भी ज्यादा भयानक होगा।
1999 का कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी बड़ा फौजी टकराव था, जिसमें पाकिस्तान ने दोस्ती का दिखावा करते हुए पीठ में छुरा घोंप दिया। उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमन की कोशिशों में लगे थे, लेकिन उसी दौरान पाकिस्तान की सेना और घुसपैठियों ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर की ऊंचाई पर कब्जा जमाने की साजिश रच ली।
पाकिस्तानी सैनिकों ने फरवरी 1999 से ही घुसपैठ शुरू कर दी थी, और सर्दियों में खाली किए गए भारतीय पोस्टों पर कब्जा जमा लिया। उनका मकसद श्रीनगर-लेह हाइवे को काटना और कश्मीर घाटी में अशांति फैलाना था। मई की शुरुआत में बटालिक इलाके के चरवाहों ने सेना को इन हरकतों की जानकारी दी, जिसके बाद सच्चाई सामने आई कि ये केवल आतंकी नहीं, बल्कि पाकिस्तानी फौजी और पैरा मिलिट्री के जवान थे।
गरजे थे बोफोर्स तोप
10 मई 1999 को भारत ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की। 40,000 से ज्यादा भारतीय सैनिकों ने द्रास, कारगिल और बटालिक सेक्टर में दुश्मन के खिलाफ जबरदस्त जवाबी हमला किया। 26 मई को वायुसेना भी इस लड़ाई में कूद पड़ी। मिग-21, मिग-27, मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमान 16,000 फीट की ऊंचाई पर दुश्मन पर बम बरसाने लगे। 13 जून को टोलोलिंग चोटी फिर से भारत के कब्जे में आ गई, और 4 जुलाई को टाइगर हिल पर तिरंगा लहरा दिया गया। इस जीत में बोफोर्स तोपों की अहम भूमिका रही, जिन्होंने बर्फ में छिपे दुश्मनों को खदेड़ दिया।
अमेरिका के दबाव और युद्ध में हार को देखते हुए नवाज शरीफ ने 11 जुलाई को एकतरफा सीजफायर का ऐलान किया और अपनी फौज को वापस बुलाया। लेकिन पाकिस्तानी सेना के कुछ हिस्से लड़ाई जारी रखने पर अड़े रहे। आखिरकार 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पूरे क्षेत्र को पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुक्त कर दिया। इसी दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
4000 हजार जवानों को खोया था दुश्मन
इस हार ने पाकिस्तान के भीतर भी भूचाल ला दिया। अक्टूबर 1999 में फौजी जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ की सरकार को उखाड़ फेंका और तानाशाह बन बैठा। जहां भारत के 527 जांबाज सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, वहीं पाकिस्तान ने इस जंग में करीब 4000 सैनिकों को खो दिया । पाकिस्तान आज भी सच्चाई छिपाता है, लेकिन नवाज शरीफ जैसे नेताओं ने बाद में इस बात को स्वीकार किया।