Aurangzeb tomb razing threat alert in maharashtra औरंगजेब के मकबरे पर भीड़ के धावा बोलने का डर, फोर्स तैनात; अलर्ट, Maharashtra Hindi News - Hindustan
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औरंगजेब के मकबरे पर भीड़ के धावा बोलने का डर, फोर्स तैनात; अलर्ट

  • कई नेताओं ने भी ऐसा कहा है कि औरंगजेब के मकबरे को तो खत्म ही कर देना चाहिए और उसके लिए महाराष्ट्र की धरती पर जगह नहीं है। ऐसी स्थिति में कानून-व्यवस्था का मसला न खड़ा हो जाए। इसे लेकर पुलिस अलर्ट है। मकबरे तक भीड़ पहुंची तो फिर हालात बिगड़ सकते हैं। भीड़ के जुटने के बाद हालात संभालना मुश्किल होगा।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईMon, 17 March 2025 09:21 AM
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औरंगजेब के मकबरे पर भीड़ के धावा बोलने का डर, फोर्स तैनात; अलर्ट

समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने औरंगजेब के शासनकाल की पिछले दिनों तारीफ कर दी थी। उससे शुरू हुआ विवाद यहां तक पहुंच गया है कि औरंगजेब के मकबरे पर ही खतरा मंडराने लगा है। महाराष्ट्र के संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब के मकबरे पर भीड़ के धावा बोलने का खतरा है। इसके चलते अलर्ट जारी किया गया है और मकबरे के बाहर भारी फोर्स की तैनाती की गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई दक्षिणपंथी संगठनों ने मकबरे को ढहा देने की धमकी दी है। कई नेताओं ने भी ऐसा कहा है कि औरंगजेब के मकबरे को तो खत्म ही कर देना चाहिए और उसके लिए महाराष्ट्र की धरती पर जगह नहीं है। ऐसी स्थिति में कानून-व्यवस्था का मसला न खड़ा हो जाए। इसे लेकर पुलिस अलर्ट है। यदि मकबरे तक भीड़ पहुंचने पाई तो फिर हालात बिगड़ सकते हैं। भीड़ के जुटने के बाद हालात संभालना मुश्किल होगा।

इससे बचाव के लिए ही मकबरे के लिए सीधी एंट्री पर रोक लगा दी गई है। अगले आदेश तक मकबरे में सीधे प्रवेश पर रोक है। यह मकबरा छत्रपति संभाजीनगर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित खुलताबाद में स्थित है। फिलहाल रास्तों पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन मकबरे के ठीक बाहर स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है। जवानों को आदेश है कि वे किसी को भी मकबरे में सीधी एंट्री न दें। पूरी जांच के बाद ही लोगों को अंदरद जाने दिया जाए। फिलहाल हर वक्त यहां पुलिस का पहरा है और मकबरे के ठीक बाहर कम से कम 6 जवानों तो ड्यूटी पर रहने को कहा गया है।

दरअसल पिछले दिनों सीएम देवेंद्र फडणवीस तक ने कहा था कि औरंगजेब के मकबरे को खत्म करने के पक्ष में हम भी हैं। लेकिन ऐसा करने में कांग्रेस ने अड़चन खड़ी की है। उसने अपने शासनकाल के दौरान इस मकबरे को एएसआई के हवाले कर दिया था। ऐसे में वह संरक्षित साइट बन गई है और उसे खत्म करना उतना आसान नहीं है। इसके बाद से दक्षिणपंथी संगठनों के लोगों को और बल मिला है। हालांकि विपक्ष का कहना है कि महायुति सरकार सिर्फ राजनीति करने में जुटी है। उसका कहना है कि सरकार चाहती है कि औरंगजेब के बहाने लोग वास्तविक मुद्दों को भूल जाएं। उद्धव सेना के नेता अंबादास दानवे का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार इस मकबरे के रखरखाव के लिए फंड जारी करती हैं। इसके बाद ऐसे बयान भी जिए जाते हैं, जिससे कुछ लोग उग्र हो जाएं।

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विपक्ष का कहना है कि निकाय चुनाव के चलते भी यह मसला उठाया गया है। जालना से कांग्रेस के विधायक कल्याण काले का कहना है कि यह मकबरा यहां सालों से है, लेकिन अब चुनाव के लिए मसला उठाया जा रहा है। वहीं एनडीए में ही शामिल केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने भी मकबरे को गिराने की मांग को अतिवाद करार दिया है। उन्होंने कहा कि वे लोग गलत हैं, जो ऐसी डिमांड कर रहे हैं। मकबरा न रहने से भी इतिहास नहीं बदल जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह मकबरे की सुरक्षा करे।