48 Karnataka MLAs caught in honey trap BJP Munirathna calls DK Shivkumar the mastermind हनी ट्रैप के जाल में फंसे 48 MLA, सीडी-पेन ड्राइव से हड़कंप; भाजपा ने शिवकुमार को बताया मास्टरमाइंड, India Hindi News - Hindustan
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हनी ट्रैप के जाल में फंसे 48 MLA, सीडी-पेन ड्राइव से हड़कंप; भाजपा ने शिवकुमार को बताया मास्टरमाइंड

  • मुनिरत्न ने आरोप लगाया कि DK और उनके भाई सुरेश ने पहले भी बीजेपी विधायक रमेश जरकीहोली को हनी-ट्रैप में फंसाया था, जिसके कारण उन्हें 2021 में जल संसाधन मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, बेंगलुरुFri, 21 March 2025 08:46 AM
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हनी ट्रैप के जाल में फंसे 48 MLA, सीडी-पेन ड्राइव से हड़कंप; भाजपा ने शिवकुमार को बताया मास्टरमाइंड

कर्नाटक में सियासी घमासान एक बार फिर तेज हो गया है। बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री मुनिरत्न ने राज्य के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। मुनिरत्न ने दावा किया कि खुद डी.के. शिवकुमार सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के विधायकों को हनी-ट्रैप के जाल में फंसाने वाली एक टीम के पीछे हैं। यह बयान गुरुवार को विधान सौधा में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सामने आया।

डीके ने फंसाया- भाजपा का आरोप

मुनिरत्न ने आरोप लगाया कि शिवकुमार और उनके भाई डी.के. सुरेश ने पहले भी बीजेपी विधायक रमेश जरकीहोली को हनी-ट्रैप में फंसाया था, जिसके कारण उन्हें 2021 में जल संसाधन मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके अलावा, जद(एस) विधायक एच.डी. रेवन्ना, उनके बेटे और एमएलसी सूरज रेवन्ना, और अब सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना को भी इसी तरह निशाना बनाया गया। मुनिरत्न ने दावा किया कि उनके खिलाफ भी एक झूठा बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है, जिसके पीछे शिवकुमार का हाथ है।

उन्होंने कहा, "शिवकुमार रात 2 बजे बैठकें करते हैं और हनी-ट्रैप टीम भेजते हैं। जब रमेश जरकीहोली को फंसाया गया, तब मुझे इसकी जानकारी थी। 2019 में बीजेपी में शामिल होने के बाद मेरे खिलाफ भी कोशिश की गई, लेकिन मैं सतर्क था। इसलिए अब मेरे खिलाफ बलात्कार का झूठा केस दर्ज करवाया गया।" मुनिरत्न ने यह भी आरोप लगाया कि यह सब शिवकुमार की नाराजगी का नतीजा है, क्योंकि बीजेपी प्रत्याशी डॉ. सी.एन. मंजुनाथ ने लोकसभा चुनाव में उनके भाई सुरेश को हराया था।

48 लोगों की सीडी और पेन ड्राइव मौजूद

इस बीच, कांग्रेस विधायक व सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने विधानसभा में दावा किया कि राज्य के 48 विधायक, जो विभिन्न दलों से हैं, वे हनी-ट्रैप का शिकार हुए हैं। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए राज्य पुलिस से अपील की है। राजन्ना ने कहा, ‘‘लोग कहते हैं कि कर्नाटक में सीडी (कॉम्पैक्ट डिस्क) और पेन ड्राइव बनाने वाली फैक्टरी है। मुझे पता चला है कि राज्य में 48 लोगों की सीडी और पेन ड्राइव मौजूद हैं। यह नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है और कई केंद्रीय मंत्री भी इसके जाल में फंसे हैं।’’ मुनिरत्न ने गृह मंत्री जी. परमेश्वर से अपने मामले की भी जांच करने की मांग की है।

उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने इन आरोपों पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उन्होंने पहले कहा था कि इस तरह के मामलों में पुलिस शिकायत दर्ज कर जांच होनी चाहिए। दूसरी ओर, बीजेपी विधायक वी. सुनील कुमार और बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल ने भी इस मुद्दे को उठाया और दावा किया कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने के लिए ब्लैकमेलिंग का सहारा लिया जा रहा है।

उच्चस्तरीय जांच का आदेश

इससे पहले कर्नाटक में विभिन्न दलों के विधायकों ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि कर्नाटक में राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘‘हनी ट्रैप’’ (मोहपाश में फंसाना) के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने विपक्ष के दावों का समर्थन किया और ऐसे मामलों की उच्चस्तरीय जांच का आश्वासन दिया। आरोपों का जवाब देते हुए परमेश्वर ने ऐसी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता पर बल दिया। गृह मंत्री ने विधानसभा में कहा, ‘‘यदि हमें अपने सदस्यों की गरिमा बनाए रखनी है तो हमें ऐसी घटनाओं पर रोक लगानी होगी। यह एक गंभीर मुद्दा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसकी उच्चस्तरीय जांच का आदेश दूंगा।’’

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‘ब्लैकमेलिंग’ का सहारा ले रहे

भाजपा विधायक वी सुनील कुमार ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जो लोग अपने विरोधियों को हरा नहीं सके, वे अपने राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ‘ब्लैकमेलिंग’ का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने सरकार से इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया क्योंकि एक मंत्री ने दावा किया है कि 48 लोग ‘हनी ट्रैप’ में फंस गए हैं। कुमार ने कहा, ‘‘जब कोई मंत्री ऐसा बयान देते हैं तो स्थिति गंभीर हो जाती है। अगर सरकार ने इस पर कार्रवाई नहीं की और उचित जवाब नहीं दिया तो हम यह मान लेंगे कि इसमें सरकार शामिल है।’’ यह विवाद कर्नाटक की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर सकता है। अभी तक इस मामले में कोई ठोस सबूत सामने नहीं आए हैं, लेकिन आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। जांच के नतीजे ही इस सियासी ड्रामे की सच्चाई को सामने ला सकते हैं।