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आधार-पैन लिंकिंग मौलिक अधिकारों का हनन? बीजेडी नेता की याचिका पर HC ने सुनाया फैसला

  • आधार-पैन लिंकिंग को असंवैधानिक बताते हुए बीजेडी के पूर्व सांसद ने ओडिशा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि यह निजता के अधिकारों का हनन नहीं करता।

Gaurav Kala देबव्रत मोहंती, भुवनेश्वर, हिंदुस्तान टाइम्सTue, 25 Feb 2025 04:34 PM
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आधार-पैन लिंकिंग मौलिक अधिकारों का हनन? बीजेडी नेता की याचिका पर HC ने सुनाया फैसला

ओडिशा हाईकोर्ट ने आधार-पैन लिंकिंग को असंवैधानिक करार देने से इनकार करते हुए पूर्व बीजू जनता दल (बीजेडी) सांसद तथागत सत्पथी की याचिका खारिज कर दी है। सत्पथी ने अपने डीमैट खाते को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा कि आधार-पैन लिंकिंग संविधान सम्मत है और यह निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता।

न्यायमूर्ति संजीव पाणिग्रही की एकलपीठ ने कहा, "आधार यूनीक बायोमेट्रिक-आधारित पहचान है, इसे पैन कार्ड से जोड़ने से आय की निगरानी करने, विसंगतियों का पता लगाने और प्रतिभूति बाजार में कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी।" उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड और राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपॉजिटरी लिमिटेड जैसे नियामक निकायों द्वारा इस नियम का कड़ाई से अनुपालन डीमैट खातों को वैध निवेश साधन बनाए रखने में सहायक है।

अदालत ने कहा कि आधार-पैन लिंकिंग संविधान सम्मत है और यह निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता। आयकर अधिनियम की धारा 139AA के तहत इस प्रावधान को वैध करार देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान तय किए गए "वैधता, आवश्यकता और अनुपातिकता" के तीन स्तंभों पर खरा उतरता है। अदालत ने कहा, "यह प्रावधान एक वैध विधायी आदेश द्वारा समर्थित है, राज्य के वैध हित की सेवा करता है और निजता पर केवल एक संतुलित प्रतिबंध लगाता है।"

क्या है मामला?

चार बार से बीजेडी सांसद रह चुके तथागत सत्पथी के पास भुवनेश्वर स्थित एचडीएफसी बैंक में एक बचत खाता है। बैंक अधिकारियों की सलाह पर उन्होंने दिसंबर 2019 में अपने बचत खाते से 25 लाख रुपये अपने डीमैट खाते में स्थानांतरित किए और जनवरी 2020 से शेयर बाजार में लेनदेन शुरू किया।

हालांकि, जुलाई 2023 में उनका डीमैट खाता निष्क्रिय हो गया क्योंकि यह आधार से लिंक नहीं था। सत्पथी का तर्क था कि बैंकिंग सेवाओं या लेनदेन के लिए आधार लिंकिंग अनिवार्य नहीं है, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने बैंक से इस मुद्दे को हल करने का अनुरोध किया, लेकिन जब बैंक ने इसे हल नहीं किया, तो उन्होंने अपने डीमैट खाते को बंद कर अपनी पत्नी के खाते में सभी शेयर और धनराशि ट्रांसफर करने का अनुरोध किया।

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बैंक और हाईकोर्ट का रुख

एचडीएफसी बैंक के मुख्य कार्यालय ने अपने शाखा प्रबंधक को एक ई-मेल भेजकर कहा कि बिना आधार-पैन लिंकिंग के डीमैट खाते का निलंबन हटाया नहीं जा सकता। इस पर सत्पथी ने इसे अवैध, मनमाना और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताते हुए ओडिशा हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

मामले की सुनवाई के दौरान जून 2023 में बैंक ने उनके डीमैट खाते को अनफ्रीज कर दिया। इस कारण याचिका का सीधा असर खत्म हो गया, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर कानूनी स्पष्टता देने के लिए फैसला सुनाना जरूरी है।

अदालत का निर्णय

अदालत ने कहा कि आधार-पैन लिंकिंग का उद्देश्य वित्तीय लेनदेन की पारदर्शिता बढ़ाना और कर कानूनों का पालन सुनिश्चित करना है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है और सरकार की वैध नीति का हिस्सा है। इस फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि डीमैट खातों के संचालन के लिए आधार-पैन लिंकिंग अनिवार्य है और इसे संवैधानिक रूप से वैध माना गया है।