Canada govt is regretting Justin Trudeaus mistakes minister pitches for ties with india भारत के साथ रिश्ते सुधारना बहुत जरूरी, जस्टिन ट्रूडो की गलतियों पर पछता रही कनाडा सरकार, India Hindi News - Hindustan
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भारत के साथ रिश्ते सुधारना बहुत जरूरी, जस्टिन ट्रूडो की गलतियों पर पछता रही कनाडा सरकार

  • कनाडा की मंत्री अनीता आनंद ने कहा है कि पुरानी गलितयों का सुधार करना और भारत के साथ संबंध बेहतर करना बेहद जरूरी है। अनीता आनंद के माता-पिता भारत के ही हैं।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानMon, 31 March 2025 10:22 AM
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भारत के साथ रिश्ते सुधारना बहुत जरूरी, जस्टिन ट्रूडो की गलतियों पर पछता रही कनाडा सरकार

जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के संबंध बेहद खराब हो गए थे। वहीं कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को इस बात का अहसास हो गया है कि भारत के साथ अच्छे संबंध बेहद जरूरी हैं। उन्होंने अपनी कैबिनेट में भी दो भारतीय मूल की महिलाओं को भी जगह दी है। कार्नी कैबिनेट में मंत्री अनीता आनंद ने भारत के साथ संबंधों को लेकर खुलकर बयान दिया है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि जिन देशों के लोग यहां आकर बस गए हैं उनके साथ मधुर संबंध भी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि जिन देशों के साथ दोस्ताना रिश्ते रहने चाहिए उनमें मेरी मां और पिता की मातृभूमि भारत भी शामिल है।

अनीता आनंद प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की करीबी मानी जाती हैं। मौजूदा सरकार में वह इनोवेशन, साइंस ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्टर हैं। जनवरी में उन्होंने यह भी कह दिया था कि आने वाले आम चुनाव में वह शामिल ही नहीं होंगी। हालांकि मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपना फैसला बदल लिया। अनीता आनंद के माता-पिता पेशे से डॉक्टर हैं और भारत के ही हैं। उनकी स्वर्गीय मां सरोज राम अमृतसर की रहने वाली थीं। वहीं आनंद के पिता एसवी आनंद तमिलनाडु के रहने वाले हैं।

मार्क कार्नी ने शपथ लेने से पहले ही कह दिया था कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो सबसे पहले भारत के साथ संबंध सुधारेंगे। अलबर्टा में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने मंगलवार को कहा, कनाडा उन देशों के साथ व्यापार बढ़ाने पर विचार कर रहा है जिनके विचारों में तालमेल है। वहीं भारत के साथ भी संबंध ठीक करने का यह बेहतरीन मौका है।

बता दें कि खालिस्तानी आतंकी निज्जर को लेकर भारत और कनाडा के संबंध खराब हो गए थे। इसके पीछे पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का हाथा था। उन्होंने आतंकी की हत्या का जिम्मेदार भारत को ठहरा दिया। उन्होंने लगातार भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए। इसके बाद दोनों देशों में तनातनी बढ़ती ही चली गई। जस्टिन ट्रूडो भी जब से भारत के खिलाफ बोलने लगे उनके बुरे दिन ही शुरू हो गए। उधर अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ और जस्टिन ट्रूडो पस्त हो गए। डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा पर टैरिफ का ऐलान कर दिया।

जस्टिन ट्रूडो अपनी पार्टी में भी अविश्वास का सामना कर रहे थे। अंत में उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ गई। लिबरल पार्टी को भी समझ में आ गया कि भारत से तनाव रखकर कोई फायदा नहीं निकलने वाला है। ऐसे में मार्क कार्नी का रुख शुरू से ही भारत के प्रति नरम रहा है।