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डोनाल्ड ट्रंप के 'मुक्ति दिवस' वाले ऐलान का भारत पर क्या असर, टैरिफ वॉर से कितनी टेंशन

  • भारत में भी उद्योगों में ट्रंप के फैसलों को लेकर चिंता है, लेकिन अमेरिका में भी कारोबारी कम चिंतित नहीं हैं। उन्हें लगता है कि कच्चे माल का आयात महंगा पड़ा तो फिर उनकी उत्पादन लागत में इजाफा होगा और कीमतें बढ़ानी होंगी। इससे पूरा बाजार ही प्रभावित होगा।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 1 April 2025 10:46 AM
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डोनाल्ड ट्रंप के 'मुक्ति दिवस' वाले ऐलान का भारत पर क्या असर, टैरिफ वॉर से कितनी टेंशन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को 'मुक्ति दिवस' का ऐलान किया है। उनका कहना है कि इस दिन से वह तमाम देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएंगे और इससे अमेरिका को व्यापार घाटे से मुक्ति मिल जाएगी। रेसिप्रोकल टैरिफ का अर्थ है कि जिस देश ने अमेरिका के उत्पादों पर जितना टैक्स लगाया है, उतना ही ट्रंप प्रशासन भी उनसे कारोबार में लगाएगा। इसे लेकर पूरी दुनिया में हलचल है। भारत का मार्केट मंगलवार को 350 अंकों की गिरावट के साथ खुला है तो अमेरिका समेत कई अन्य देशों के शेयर बाजारों में भी भूचाल आया है। भारत में भी उद्योगों में ट्रंप के फैसलों को लेकर चिंता है, लेकिन अमेरिका में भी कारोबारी कम चिंतित नहीं हैं। उन्हें लगता है कि कच्चे माल का आयात महंगा पड़ा तो फिर उनकी उत्पादन लागत में इजाफा होगा और कीमतें बढ़ानी होंगी। इससे पूरा बाजार ही प्रभावित होगा।

जानकारों का एक वर्ग मानता है कि अमेरिका टैरिफ वाले इस फैसले को टाल भी सकता है। भारत भी उन देशों में से एक है, जिनसे अमेरिका ट्रेड अग्रीमेंट करने पर विचार कर रहा है। आइए जानते हैं, आखिर क्या है अमेरिका का जैसे को तैसा टैक्स वाला प्लान...

क्या है 'जैसे को तैसा' टैक्स वाला प्लान

अमेरिका का कहना है कि जिन देशों के साथ वह व्यापारिक घाटा झेल रहा है, उनके ऊपर भी उतना ही टैक्स लगाएगा, जितना उन्होंने उसके उत्पादों पर लगाया है। डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि अमेरिका कम टैक्स लगाता है, जबकि चीन, कनाडा जैसे देशों ने ज्यादा टैक्स लगाया है। उनका कहना है कि इससे अमेरिका को एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा हो रहा है। इससे अमेरिकी उद्योगों और कर्मचारियों पर भी असर पड़ रहा है।

टैरिफ वाले फैसले से भारत पर क्या होगा असर

चीन, कनाडा, मेक्सिको, यूरोप जैसे तमाम देश अमेरिका के प्लान से असहज हैं। लेकिन भारत के लिए उतनी चिंता की बात नहीं है। जानकार मानते हैं कि भारत से कारोबार में तो अमेरिका ही सरप्लस में है, ऐसे में उससे लगने वाले टैक्स का कोई खास असर नहीं होगा। 2021-22 से 2023-24 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार रहा है। भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की 18 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि आयात 6.22 पर्सेंट है। द्विपक्षीय कारोबार 10.73 फीसदी रहा। सामानों के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के मामले में अमेरिका 35.32 अरब डॉलर के सरप्लस में है। यह 2023-24 का आंकड़ा है, जो 2022 में 27.7 अरब डॉलर था।

अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील पर भी रहेगी नजर

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका अगर टैरिफ लगाता है तो फिर भारत पर यह कितना होगा। इसके अलावा यह भी क्लियर नहीं है कि यह टैरिफ प्रोडक्ट लेवल पर होगा, सेक्टर लेवल पर लगेगा या फिर देश के स्तर पर। अमेरिकी टैरिफ को लेकर GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का कहना है कि भारत अमेरिका के उत्पादों पर जो कर लगाता है, वह दावों के मुकाबले बहुत कम है। यदि अमेरिका ने सही कारोबारी नीति अपनाई तो भारत से निर्यात जारी रहेगा। इसमें नाम मात्र की भी बाधा नहीं आएगी। लेकिन अमेरिका और भारत के बीच क्या ट्रेड डील होगी, इस पर भी नजर रखनी होगी।

जैसे को तैसा वाले ट्रैफिक का भारत पर क्या होगा असर

अब एक सवाल यह भी है कि यदि सभी भारतीय उत्पादों पर अमेरिका ने समानता के आधार पर टैरिफ लगाया तो क्या होगा। भारत में आयात होने वाले अमेरिकी उत्पादों पर 7.7 फीसदी का टैरिफ लगता है, जबकि भारत से जाने वाले माल पर अमेरिका 2.8 फीसदी ही टैरिफ वसूलता है। इस तरह यदि अमेरिका ने भी टैक्स में इजाफा किया तो यह 4.9 फीसदी बढ़ सकता है और अंतर समाप्त हो जाएगा। हालांकि उत्पादों के अनुसार अलग-अलग टैक्स लगा तो भी भारत को झटका लगेगा, लेकिन उसका अनुपात बहुत ज्यादा नहीं होगा।