2027 तक क्यों टाली गई जनगणना? सरकार ने बताई वजह, विपक्ष फिर हमलावर
सरकार ने घोषणा की थी कि जनगणना-2027 दो चरणों में आयोजित की जाएगी, जिसमें जातिगत गणना भी शामिल होगी। यह पहली बार होगा जब 1931 के बाद भारत में व्यापक जातिगत जनगणना की जाएगी।

भारत में जातिगत गणना के साथ 16वीं जनगणना 2027 में होगी। इसमें लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि एक अक्टूबर, 2026 को होगी, जबकि बाकी देश में इस प्रक्रिया की संदर्भ तिथि एक मार्च, 2027 से होगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बताया, ‘‘जातिगत गणना के साथ-साथ जनगणना-2027 को दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।’’ यह जनगणना 16 वर्षों के अंतराल के बाद होगी। भारत सरकार ने बताया कि यह निर्णय कोविड-19 महामारी के कारण स्कूली शिक्षा में आए व्यवधान को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि जनगणना को पहले आयोजित करने से प्राथमिक शिक्षा में भारी व्यवधान हो सकता था, इसलिए इसे स्थगित करने का फैसला किया गया।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया, “जनगणना 2021 के लिए सभी तैयारियां पूरी थीं, लेकिन कोविड-19 के व्यापक प्रभाव के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। कोविड ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया, खासकर शिक्षा को। चूंकि जनगणना के लिए करीब 30 लाख गणनाकारों की जरूरत होती है, जिनमें अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक होते हैं, इसलिए महामारी के तुरंत बाद जनगणना करने से प्राथमिक शिक्षा में भारी व्यवधान आता।” प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19 महामारी का असर काफी समय तक जारी रहा और इससे शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में व्यवधान पैदा हुआ। गृह मंत्रालय ने यह भी तर्क दिया कि उन देशों को जिन्होंने महामारी के तुरंत बाद जनगणना कराई, उन्हें गुणवत्ता और कवरेज के मामले में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
राजनीतिक आरोप और जवाब
जनगणना में इस देरी को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने जानबूझकर जनगणना को टाल कर तमिलनाडु की संसदीय सीटों को कम करने की योजना बनाई है। उन्होंने X पर लिखा, “भारतीय संविधान के अनुसार 2026 के बाद की पहली जनगणना के बाद ही परिसीमन होना है। लेकिन अब भाजपा ने जनगणना 2027 तक टाल दी है, जिससे यह स्पष्ट है कि वे तमिलनाडु की संसदीय ताकत को कमजोर करना चाहते हैं। मैंने पहले ही इस षड्यंत्र के बारे में चेताया था, अब यह सच्चाई बन रही है। हमें केंद्र सरकार से स्पष्ट जवाब चाहिए।” इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा, “माननीय गृह मंत्री ने कई अवसरों पर स्पष्ट किया है कि परिसीमन प्रक्रिया में दक्षिणी राज्यों की चिंताओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा और सभी संबंधित पक्षों से उचित समय पर चर्चा की जाएगी।”
सरकार का आश्वासन
सरकार ने यह भी दोहराया कि जनगणना की प्रक्रिया अब शीघ्र ही शुरू की जाएगी और इसका संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 होगी। मंत्रालय ने कहा कि बजट कभी भी इस प्रक्रिया के लिए बाधा नहीं रहा है और केंद्र सरकार ने हमेशा आवश्यक निधि सुनिश्चित की है। गौरतलब है कि पिछली जनगणना 2011 में हुई थी और अगली जनगणना 2021 में प्रस्तावित थी, लेकिन कोविड महामारी के चलते इसे लगातार टाला गया। अब यह 2027 में आयोजित की जाएगी और साथ ही पहली बार देशव्यापी जातिगत गणना भी होगी। भारत में 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश की अबादी 121.2 करोड़ थी, जिसमें 62.372 करोड़ (51.54 प्रतिशत) पुरुष और 58.646 करोड़ (48.46 प्रतिशत) महिलाएं थीं।