india pakistan ceasefire updates who gets more benifits in ceasefire india or pakistan युद्धविराम का असली फायदा किसे? भारत ने हर मोर्चे पर बनाई बढ़त, पाकिस्तान के हाथ क्या लगा, India News in Hindi - Hindustan
Hindi NewsIndia Newsindia pakistan ceasefire updates who gets more benifits in ceasefire india or pakistan

युद्धविराम का असली फायदा किसे? भारत ने हर मोर्चे पर बनाई बढ़त, पाकिस्तान के हाथ क्या लगा

भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन चला युद्ध युद्धविराम के चलते थमा हुआ है। देखने वाली बात होगी कि पाकिस्तान सीजफायर पर कब तक टिका रहेगा। इस सीजफायर से किसे ज्यादा फायदा हुआ है?

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानSun, 11 May 2025 07:30 AM
share Share
Follow Us on
युद्धविराम का असली फायदा किसे? भारत ने हर मोर्चे पर बनाई बढ़त, पाकिस्तान के हाथ क्या लगा

भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन चले संघर्ष के बाद युद्धविराम की घोषणा भले ही हुई हो, लेकिन इस बार हालात और रुख दोनों अलग हैं। भारत ने न सिर्फ आतंकी ठिकानों पर सफल सैन्य कार्रवाई की, बल्कि पाकिस्तान को कूटनीतिक, रणनीतिक और वैश्विक मंचों पर घेरने में भी सफलता हासिल की है। युद्धविराम सिर्फ एक अस्थायी ठहराव है, लेकिन भारत के लिए यह एक रणनीतिक जीत है — जहां उसने सैन्य, कूटनीतिक और नैतिक तीनों मोर्चों पर पाकिस्तान को घेरा है और स्पष्ट कर दिया है कि अब आतंक की कोई "कीमत नहीं", बस "जवाब" मिलेगा। इस युद्धविराम में पाकिस्तान के हाथ क्या लगा?

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल वार

युद्धविराम से पहले भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पीओके और पाकिस्तान के अंदर कई आतंकी लॉन्च पैड्स, ठिकानों और सप्लाई बेस को निशाना बनाकर नष्ट किया। सेना के सूत्रों के अनुसार, ये हमले इतने सटीक और प्रभावी थे कि पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा। भारतीय सेना ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के कम से कम 100 आतंकियों को मार गिराया। जैश के सरगना अजहर मसूद का पूरा खानदान खत्म हो गया। इसके अलावा लश्कर के कई खूंखार आतंकी भी मारे गए। इसकी तस्दीक हालिया पाक चैनलों से हुई जब आतंकियों की कब्र पर हाफिज सईद का राइट हैंड कलमा पढ़ता दिखाई दिया। पीछे पाक सेना हाथ बांधे खड़े दिखी थी।

आतंक अब युद्ध के बराबर

सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि अब भारत की नीति बदल चुकी है। किसी भी आतंकी हमले को ‘आतंकवाद’ नहीं, बल्कि ‘युद्ध’ माना जाएगा और वैसा ही जवाब दिया जाएगा। यह संदेश न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी स्पष्ट है कि भारत अब पहले जैसी सहनशीलता नहीं रखेगा।

ये भी पढ़ें:बातें अमन की और नीयत में जहर; पाक ने हर बार पीठ पर छुरा घोंपा, इससे पहले कब
ये भी पढ़ें:भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक कैसे बनी युद्धविराम पर सहमति, जानें इनसाइड स्टोरी
ये भी पढ़ें:4 दिनों तक चले ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान में भारी तबाही, भारत का पलड़ा भारी

कूटनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय समर्थन

भारत ने अपने सधे हुए जवाब और वैश्विक संवाद के जरिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी जुटाया है। अमेरिका की मध्यस्थता और अन्य देशों की प्रतिक्रिया भारत के संयम और सख्त नीति को समर्थन देती नजर आई। भारत ने बातचीत से इनकार नहीं किया, लेकिन शर्त स्पष्ट कर दी — "आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते।"

रणनीतिक मोर्चों पर घेराबंदी

भारत ने युद्धविराम के बावजूद अपनी रणनीति में कोई नरमी नहीं दिखाई है। इंडस वाटर ट्रीटी को स्थगित करने का निर्णय बरकरार है। दूतावासों में स्टाफ घटाने, पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा न देने और आर्थिक रिश्तों को सीमित करने की नीति पर भी कायम है। भारत ने यह स्पष्ट किया कि अब हर आतंकी हरकत की कीमत चुकवानी पड़ेगी — भले ही सैन्य, आर्थिक या कूटनीतिक हो।

पाक की छवि बिगड़ी

भारत लगातार पाकिस्तान के आतंक-समर्थन के सबूत वैश्विक मंचों पर रख रहा है। इससे पाकिस्तान को न केवल अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है, बल्कि उसकी आर्थिक मदद पर भी असर पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान का इतिहास धोखे से भरा है। कारगिल, संसद हमला, पठानकोट, उरी से लेकर पुलवामा तक — हर बार शांति के नाम पर वार हुआ है। ऐसे में भारत ने इस बार सतर्कता कम नहीं की है।