ट्रंप के टैरिफ स्टंट पर भारत का स्मार्ट मूव, ट्रेड डील को पटरी पर लाने की तैयारी, क्या है प्लान
- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई 90 दिन की टैरिफ छूट के बाद अब भारत अमेरिकी व्यापार समझौते को लेकर किसी भी तरह की देरी नहीं चाहता।

एक तरफ अमेरिका ने चीन पर 125% आयात शुल्क ठोंक कर ट्रेड वॉर की आग को फिर से हवा दी है, तो दूसरी ओर भारत 90 दिन की राहत के तहत को भुनाना चाहता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बड़े फैसले के बाद अब भारत अमेरिकी व्यापार समझौते को लेकर किसी भी तरह की देरी नहीं चाहता। अमेरिका के भरोसेमंद साझेदार बनने का भारत इसे एक मौका मान रहा है।
भारत और अमेरिका इस साल के अंत तक पहले चरण के व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया कि भारत इस डील को जल्द से जल्द निपटाना चाहता है, ताकि 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंच सके।
भारत ने बढ़ाई कूटनीतिक चाल
अधिकारी ने बताया, "भारत उन पहले देशों में से है जिसने अमेरिका के साथ बातचीत शुरू की और तय समयसीमा पर सहमति बनाई है।" हालांकि वाणिज्य मंत्रालय की ओर से अभी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पहले ही यह साफ किया जा चुका है कि भारत और अमेरिका के उत्पादक सालों से चीन की अनुचित व्यापार नीतियों से प्रभावित होते रहे हैं। अब जबकि अमेरिका ने भारत पर टैरिफ को 10% पर रोके रखा है, वहीं चीन पर यह दर 125% तक बढ़ा दी गई है।
भारत को क्या फायदा
इस बीच भारत अपने आयातों पर विशेष नजर रखने की तैयारी में है, खासकर चीनी माल की डंपिंग रोकने को लेकर उसकी पैनी नजर है। एक राहत की खबर यह भी है कि ट्रंप के टैरिफ रोकने के फैसले से भारतीय झींगा निर्यातकों को बहुत फायदा मिलेगा, जिन्हें अब इक्वाडोर जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में टैक्स में राहत मिलेगी। भारत से अमेरिका को भेजे जाने वाले लगभग 14 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और 9 अरब डॉलर के रत्न और आभूषण भी इस टैरिफ से प्रभावित हुए थे।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, "यह 90 दिन का ठहराव भारतीय वार्ताकारों के लिए सुनहरा मौका है। अमेरिका अगर चीन को टक्कर देने के साथ ही अपने बाजार में आपूर्ति बनाए रखना चाहता है, तो भारत उसके लिए सबसे भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बन सकता है।"