21 जुलाई से शुरू होगा मॉनसून सत्र, ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर संसद में संग्राम के आसार
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मॉनसून सत्र की घोषणा ऐसे समय में की है, जब विपक्षी दलों के नेता ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा कराने के लिए सरकार से विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। एक दिन पहले ही 16 दलों ने पीएम को इस बारे में खत लिखा था।

संसद का मॉनसून सत्र अगले महीने की 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने इन तारीखों की सिफारिश की है और उसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। उन्होंने मॉनसून सत्र की घोषणा ऐसे समय में की है, जब विपक्षी दलों के नेता पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने के लिए सरकार से विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजूू ने विपक्ष की इस मांग के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मॉनसून सत्र में नियमों के तहत सभी मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों का सत्र तीन महीने से अधिक समय के अंतराल के बाद 21 जुलाई को सुबह 11 बजे बुलाए जाएंगे।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला संसद सत्र
बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला संसद सत्र होगा। माना जा रहा है कि यह सत्र भी हंगामेदार रह सकता है क्योंकि विपक्षी दल पहलगाम हमले पर चर्चा कराने के लिए पहले से ही संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। एक दिन पहले ही इंडिया अलायंस के 16 दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में चिट्ठी लिखी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने गिनाए सवाल
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया, "हम, इंडिया अलायंस के नेता, 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद के घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने के अपने सामूहिक और तत्काल अनुरोध को दोहराते हैं।" उन्होंने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी सहित अन्य प्रमुख विपक्षी नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित पत्र का हवाला भी दिया है।
केंद्र सरकार पर देशवासियों और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को अंधेरे में रखने का आरोप लगाते हुए, खड़गे ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले और भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान पुंछ, उरी और राजौरी में नागरिकों की हत्या के बारे में कई गंभीर सवाल उठे हैं। उन्होंने कहा कि "युद्धविराम की घोषणाओं" और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर उनके प्रभावों के बारे में भी सवाल उपजे हैं।
जस्टिस वर्मा पर महाभियोग भी संभव
सरकार मॉनसून सत्र में हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी ला सकती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अगले संसद सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के बारे में विभिन्न राजनीतिक दलों से बात करना शुरू कर दिया है।