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NSA अजीत डोभाल ने ईरान के सिक्योरिटी चीफ को लगाया फोन, चाबहार समेत कई मुद्दों पर बातचीत

चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक रणनीतिक सहयोग है। यह ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है और भारत के लिए मध्य एशिया तक व्यापारिक पहुंच प्रदान कराता है।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानMon, 19 May 2025 12:26 AM
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NSA अजीत डोभाल ने ईरान के सिक्योरिटी चीफ को लगाया फोन, चाबहार समेत कई मुद्दों पर बातचीत

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अपने ईरानी समकक्ष अली अकबर अहमदियन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान मौजूदा क्षेत्रीय स्थिति और चाबहार बंदरगाह परियोजना पर चर्चा हुई। बयान के अनुसार, डोभाल ने क्षेत्र में ईरान की रचनात्मक भूमिका की सराहना की। उन्होंने चाबहार बंदरगाह के विकास और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) में सहयोग विस्तार के लिए भारत की रुचि जाहिर की। इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव पर भी बातचीत हुई।

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अजीत डोभाल ने ईरान के निरंतर सहयोग और समर्थन के लिए आभार जताया। अली अकबर अहमदियन ने भारत और ईरान के बीच प्राचीन सभ्यताओं के गहरे संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों में राजनीतिक और आर्थिक सहयोग की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने रणनीतिक परियोजनाओं को शीघ्र लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि द्विपक्षीय सहयोग क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट क्या है

चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जिसे भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। यह बंदरगाह कनेक्टिविटी और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बेहद अहम है, खासकर अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ। INSTC की बात करें तो यह 7,200 किलोमीटर लंबा बहुमार्ग परिवहन प्रोजेक्ट है जो भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल परिवहन के लिए है। भारत इस परियोजना का सक्रिय समर्थन कर रहा है।

डोबाल और अहमदियन के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब भारत-पाकिस्तान तनाव चरम पर है। साथ ही, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण चाबहार परियोजना पर अनिश्चितता बनी हुई है। इसके बावजूद, भारत ने इस रणनीतिक बंदरगाह को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए वैकल्पिक व्यापार मार्ग के रूप में मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई है। यह सहयोग भारत-ईरान संबंधों को गहरा करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में बेहद अहम कदम है।