यात्रियों के लिए खुशखबरी: अब इस रूट पर वंदे भारत ट्रेन का सफल ट्रायल, जानें पूरी डिटेल
- सीनियर रेलवे अफसर ने कहा, 'हमने पूरी तैयारी कर ली है। अब यह USBRL सेक्शन उद्घाटन और फ्लैग-ऑफ सेरेमनी के लिए तैयार है। ये पूरा एरिया धार्मिक, पर्यटन और कश्मीर की कनेक्टिविटी के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है।'

जम्मू-कश्मीर के कटरा-संगलदान सेक्शन पर स्पेशल वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल रन किया गया, जो पूरी तरह सफल रहा। यह खंड 272 किमी लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन (USBRL) का हिस्सा है, जो कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। आज ट्रायल रन चिनाब नदी पर बने ब्रिज के उद्घाटन की फाइनल तैयारियों के तहत हुआ, जो कटरा-संगलदान सेक्शन में आता है। मालूम हो कि यह दुनिया के सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है। अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू से श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी इस ब्रिज पर ट्रेन में सफर भी करेंगे। इसके बाद वह कटरा से कश्मीर के लिए पहली ट्रेन को रवाना करेंगे, जिससे कटरा और बारामूला के बीच ट्रेन सेवा शुरू होगी और कश्मीर देश के बाकी हिस्सों से जुड़ जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रैक और कटरा-संगलदान सेक्शन के साथ-साथ पूरे कश्मीर तक की अहम जगहों पर मल्टी-लेयर सिक्योरिटी लगाई गई है। सीनियर रेलवे अफसर ने कहा, 'हमने पूरी तैयारी कर ली है। अब यह USBRL सेक्शन उद्घाटन और फ्लैग-ऑफ सेरेमनी के लिए तैयार है। ये पूरा एरिया धार्मिक, पर्यटन और कश्मीर की कनेक्टिविटी के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है।' उन्होंने कहा कि उद्घाटन के दिन 2 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलेंगी, एक श्रीनगर से कटरा और दूसरी कटरा से श्रीनगर जाएगी।
जानें कितना खास है कटरा-कश्मीर ट्रैक
पिछले तीन महीनों में रेलवे ने कटरा-कश्मीर ट्रैक के अलग-अलग सेगमेंट्स पर 8 ट्रायल्स किए हैं। इनमें भारत का पहला केबल-स्टे रेल ब्रिज, अंजी खड ब्रिज और कौरी में चिनाब पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज शामिल हैं। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि चिनाब नदी पर 1,315 मीटर लंबा यह ब्रिज सलाल डैम के पास बना है। इसका मेन आर्च स्पैन 467 मीटर है और ये 266 किमी/घंटा की रफ्तार वाली हवाओं को झेल सकता है। खास बात है कि यह ब्रिज एफिल टावर से भी ऊंचा है और रिवरबेड से रेल लेवल तक कुतुबमीनार से करीब 5 गुना ज्यादा ऊंचा है। इस इंजीनियरिंग चमत्कार को बनाने में 28,000 मेट्रिक टन से ज्यादा स्टील इस्तेमाल हुआ। इसमें पहली बार एक खास केबल क्रेन सिस्टम यूज किया गया है।