बंगाल हिंसा में बांग्लादेशी कनेक्शन? क्या स्थानीय नेताओं ने तैयार की जमीन, केंद्र की पैनी नजर
- शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि इस हिंसा में बांग्लादेशी अराजक तत्वों का हाथ हो सकता है। बताया जा रहा है कि इन बाहरी तत्वों को शुरू में कुछ स्थानीय नेताओं का समर्थन भी मिला।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में भड़की हिंसा को लेकर अब केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि इस हिंसा में बांग्लादेशी अराजक तत्वों का हाथ हो सकता है। बताया जा रहा है कि इन बाहरी तत्वों को शुरू में कुछ स्थानीय नेताओं का समर्थन भी मिला, लेकिन बाद में हालात उनके काबू से बाहर हो गए।
गृह मंत्रालय ने हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद के साथ-साथ बंगाल के अन्य संवेदनशील जिलों पर भी नज़र रखने के आदेश दिए हैं। गृह सचिव गोविंद मोहन ने शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी से बात कर स्थिति की जानकारी ली और केंद्र की ओर से हर संभव मदद का भरोसा दिया।
बीएसएफ की तैनाती
स्थिति को संभालने के लिए केंद्र ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 9 कंपनियां मुर्शिदाबाद में तैनात की हैं, जिनमें 900 से ज्यादा जवान शामिल हैं। इनमें से 300 जवान पहले से जिले में मौजूद थे, जबकि अतिरिक्त कंपनियां राज्य सरकार की मांग पर भेजी गई हैं।
हुईं 150 से ज्यादा गिरफ्तारियां
राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने बताया कि मुर्शिदाबाद की स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। अब तक 150 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। डीजीपी के अनुसार बीएसएफ की स्थानीय टुकड़ियों की मदद से हालात पर काबू पाने की कोशिशें की जा रही हैं।
वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर भड़की हिंसा
हिंसा की शुरुआत मुस्लिम-बहुल मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान हुई। देखते ही देखते यह प्रदर्शन मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली तक फैल गया, जहां आगजनी, पथराव और सड़क जाम जैसी घटनाएं देखने को मिलीं।
हिंदू परिवारों ने किया पलायन
सूत्रों ने बताया कि हिंसा के दौरान कई हिंदू परिवारों को मुर्शिदाबाद छोड़कर मालदा की ओर पलायन करना पड़ा, जिससे हालात और अधिक संवेदनशील हो गए। प्रशासन ने मुर्शिदाबाद के हिंसा-प्रभावित इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं।
केंद्र ने राज्य से मांगा जवाब
केंद्र सरकार ने राज्य प्रशासन से सवाल किया है कि आखिर शुरुआती दौर में पुलिस क्यों निष्क्रिय रही, रेलवे संपत्तियों पर हमलों को क्यों नहीं रोका गया और जान-माल की रक्षा में चूक क्यों हुई।