पाठ्यक्रम बदला, फिर भी पुरानी किताबों से कराई जा रही पढ़ाई
हल्द्वानी में सरकारी स्कूलों के छात्रों को नई किताबें नहीं मिली हैं, जिससे कक्षा तीन और छह की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षा विभाग ने पुरानी किताबों से पढ़ाई जारी रखने का आदेश दिया है, जबकि शिक्षकों...

हल्द्वानी। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बावजूद सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने वाले छात्रों को नई किताबें नहीं मिल पाई हैं। शिक्षा विभाग ने नई किताबें उपलब्ध होने तक पुरानी किताबों से पढ़ाई जारी रखने का आदेश दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर कक्षा तीन और छह के छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। इस बार कक्षा तीन और छह में छात्रों को बदले हुए पाठ्यक्रम की पुस्तक मिलने वाली हैं। इससे शिक्षकों और छात्रों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। शिक्षकों का कहना है कि जब पाठ्यक्रम बदल गया है तो पुरानी किताबों से पढ़ाई का क्या औचित्य? जिला शिक्षाधिकारी अधिकारी माध्यमिक पुष्कर लाल टम्टा ने कहा कि जल्द ही किताबें स्कूलों तक पहुंच जाएंगी। तब तक पुरानी किताबों और वैकल्पिक संसाधनों से पढ़ाई जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
पहले और अब पाठ्यक्रम
पहले कक्षा 3 में हिन्दी की किताब वीणा, गणित की मेला, बाल संस्कृतम, बांसुरी कला और योग व खेल जैसे विषय पढ़ाए जाते थे। कक्षा 6 में हिन्दी की मल्हार, गणित की प्रकाश, अंग्रेजी की पूर्वी, विज्ञान की जिज्ञासा, सामाजिक अध्ययन की भारत आगे, खेल यात्रा, और हमारी विरासत किताबें थीं। इस बार कक्षा 3 में हिन्दी की किताब रिमझिम, गणित की जादू, अंग्रेजी की मेरी गोल्ड, और पर्यावरण अध्ययन के लिए लुकिंग अराउंड पढ़ाई जानी है। वहीं, कक्षा 6 में हिन्दी की वसंत और राम कथा, गणित, अंग्रेजी की दो किताबें, विज्ञान, संस्कृत की अमोदिनी, सामाजिक विज्ञान में सामाजिक जीवन, भूगोल में पृथ्वी हमारा आवास, और इतिहास में हमारा अतीत शामिल हैं।
शिक्षकों की चिंता
एक शिक्षक ने बताया, सिलेबस में बदलाव के बाद भी पुरानी किताब से पढ़ाई कराना सिर्फ समय की बर्बादी है। जब नई किताब आएगी तो छात्रों को फिर उस किताब से भी पढ़ाना होगा। कई स्कूलों में पुरानी किताबों से टाइम पास किया जा रहा है, जिससे पाठ्यक्रम का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा।
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