POCSO मामलों की सुनवाई के लिए शीघ्र बनाएं विशेष अदालतें, बढ़ते मामलों पर SC ने जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को POCSO अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों की जांच से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील बनाने पर भी जोर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों से निपटने के लिए विशेष पॉक्सो अदालतें स्थापित करने का निर्देश दिया है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने बुधवार को कहा है कि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंसेस (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के लिए विशेष अदालतों की संख्या की कमी की वजह से समयसीमा का पालन नहीं किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकांश राज्यों ने POCSO मामलों के लिए विशेष अदालतें बनाई हैं, लेकिन तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में कई मामले लंबित हैं और इसीलिए POCSO अदालतों की शीघ्र आवश्यकता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि POCSO अधिनियम के तहत 100 से अधिक एफआईआर वाले प्रत्येक जिले में एक अदालत होनी ही चाहिए।
जांच से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील बनाने पर जोर
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने बयान में यह भी कहा है कि पोक्सो मामलों की जांच से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा, "यह उम्मीद की जाती है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें पॉक्सो मामलों की जांच से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए उचित कदम उठाएंगी और पॉक्सो मामलों की सुनवाई के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर समर्पित अदालतें भी बनाएंगी।" वहीं शीर्ष अदालत ने निर्धारित समय सीमा के भीतर मुकदमे को पूरा करने के अलावा कानून में निहित समय सीमा के अंदर आरोपपत्र दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
याचिका पर चल रही थी सुनवाई
बता दें कि उच्चतम न्यायालय में बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाओं की संख्या में खतरनाक वृद्धि से संबंधित एक रिपोर्ट को रेखांकित करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से उन जिलों में दो अदालतें स्थापित करने को कहा है जहां POCSO अधिनियम के तहत बाल शोषण के लंबित मामलों की संख्या 300 से अधिक है।