supreme court fire on rohingya refugee plea says you crafted new story मुश्किल वक्त से गुजर रहा देश और ले आए एक नई कहानी; किस अर्जी पर भड़क गया सुप्रीम कोर्ट, India News in Hindi - Hindustan
Hindi NewsIndia Newssupreme court fire on rohingya refugee plea says you crafted new story

मुश्किल वक्त से गुजर रहा देश और ले आए एक नई कहानी; किस अर्जी पर भड़क गया सुप्रीम कोर्ट

याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि देश ऐसे मुश्किल समय से (संभवत: पहलगाम अटैक) गुजर रहा है और आप मनमानी कहानियां गढ़ के ले आते हैं। याचिकाकर्ता ने दो रोहिंग्या शरणार्थियों की तरफ यह अर्जी डाली थी। बेंच ने कहा कि बिना किसी सॉलिड प्रूफ के इस मामले में हम कोई दखल नहीं देना चाहते।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 16 May 2025 05:02 PM
share Share
Follow Us on
मुश्किल वक्त से गुजर रहा देश और ले आए एक नई कहानी; किस अर्जी पर भड़क गया सुप्रीम कोर्ट

रोहिंग्या शरणार्थियों को लाइफ जैकेट पहनाकर समंदर फेंक देने का दावा करने वाली याचिका शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहुंची। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आखिर इस बात का क्या सबूत है कि ऐसा हुआ है। कौन वहां इसकी फोटो खींच रहा था, किसने वीडियो बनाए हैं। याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि देश ऐसे मुश्किल समय से (संभवत: पहलगाम अटैक) गुजर रहा है और आप मनमानी कहानियां गढ़ के ले आते हैं। याचिकाकर्ता ने दो रोहिंग्या शरणार्थियों की तरफ यह अर्जी डाली थी। बेंच ने कहा कि बिना किसी सॉलिड प्रूफ के इस मामले में हम कोई दखल नहीं देना चाहते।

यही नहीं जस्टिस सूर्य कांत ने कहा, 'हर बार आप एक नई कहानी बनाकर लाते हैं। इस बार आप एक और सुंदर सी कहानी गढ़कर लाए हैं? आखिर कहां से ऐसी कहानी बनाई है। कौन वीडियो बना रहा था और फोटो ले रहा था। आखिर कैसे वह वापस लौट सका? इस संबंध में रिकॉर्ड पर क्या दस्तावेज हैं।' इस पर याचिकाकर्ता का पक्ष रखने वाले सीनियर वकील कोलिन गोंसाल्विस ने कहा कि मेरे मुवक्किल को इस बारे में फोन कॉल आए थे। इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में भी ऐसी बात कही गई है। उन्होंने कहा, 'इन शरणार्थियों को अंडमान ले जाया गया था। इसके बाद उन्हें लाइफ जैकेट पहनाकर समंदर में फेंक दिया गया। म्यांमार से इस बारे में कॉल आए हैं। मेरे मुवक्किल दिल्ली में थे। उन्हें फोन पर यह वाकया बताया गया।'

उन्होंने कहा कि हमें फोन कॉल को ट्रांसलेट भी किया है। कृपया आप विदेशी मीडिया की रिपोर्ट्स भी देखें। गोंसाल्विस ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में जांच का आदेश देना चाहिए, लेकिन अदालत उनकी दलील से सहमत नहीं दिखी। बेंच ने कहा, 'हमें दिखाएं आखिर कहां से ये क़ॉल आए हैं और किसे इसकी पूरी जानकारी है। जब तक वहां कोई खड़ा होकर देखेगा नहीं तब तक कैसे इस तरह का दावा कर सकता है। क्या याची ने इस वाकये को देखा है।'

कुछ ठोस सबूत लाओ, तभी हमारी ओर से दखल होगा

हालांकि इस दौरान वकील यह कहते रहे कि रोहिंग्या रिफ्यूजियों के हितों का संरक्षण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत देखे कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रोहिंग्या को लेकर क्या कहना है। उन्हें वापस क्यों लाया जा सकता। अवैध प्रवासी भेजे जा सकते हैं, लेकिन रोहिंग्या शरणार्थी नहीं। इस पर बेंच ने कहा कि हम तभी दखल देते हैं, जब कोई ठोस सबूत हों। इस मामले में कुछ लेकर आएं तो बात की जाए। आखिर हम कैसे दूसरे देश के मामले पर बात कर सकते हैं। अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई के लिए 31 मई की तारीख तय की है।