Tripura CM Manik Saha provided immediate first aid school Principal suddenly fell ill सीएम साहब का चल रहा था कार्यक्रम, महिला प्रिंसिपल की अचानक बिगड़ी तबीयत और फिर..., India Hindi News - Hindustan
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सीएम साहब का चल रहा था कार्यक्रम, महिला प्रिंसिपल की अचानक बिगड़ी तबीयत और फिर...

  • माणिक साहा ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में लुप्त हो चुकी परंपराओं, संस्कृति और त्योहारों को फिर से जीवित करने का प्रयास कर रही है। स्वदेशी गरिया पूजा और बरसा बरन उत्सव 2025 को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बयान दिया।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानTue, 22 April 2025 02:45 PM
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सीएम साहब का चल रहा था कार्यक्रम, महिला प्रिंसिपल की अचानक बिगड़ी तबीयत और फिर...

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा मंगलवार को एक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे, जहां अमताली हाई स्कूल की प्रिंसिपल की तबीयत अचानक बिगड़ गई। इसके कारण रत्ना चौधरी मंच पर गिर गईं। यह देखकर सीएम साहा तुरंत आगे आए और महिला को प्राथमिक उपचार मुहैया कराया। न्यूज एजेंसी एएनआई ने इस घटना का वीडियो फुटेज जारी किया है। इसमें मुख्यमंत्री अपने कुछ साथियों और पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर बीमार महिला की मदद करते नजर आ रहे हैं। स्कूल प्रिंसिपल को शुरुआती इलाज दिया गया और अब उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

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माणिक साहा ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में लुप्त हो चुकी परंपराओं, संस्कृति और त्योहारों को फिर से जीवित करने का प्रयास कर रही है। स्वदेशी गरिया पूजा और बरसा बरन उत्सव 2025 को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बयान दिया। सीएम साहा ने कहा कि आदिवासी कल्याण विभाग ने विभिन्न समुदायों की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, 'जिस तरह दुर्गा पूजा बंगालियों के लिए मुख्य त्योहारों में से एक है, उसी तरह गरिया पूजा भी त्रिपुरी, रियांग और कोकबोरोक भाषी लोगों का मुख्य त्योहार है। गरिया पूजा के व्यापक उत्सव को प्रोत्साहित करने के लिए हमारी सरकार ने इसे सभी का त्योहार बनाने के लिए दो दिवसीय सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।'

आदिवासी परंपराओं को बढ़ावा देने का वादा

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के हर पारंपरिक नृत्य, होजागिरी नृत्य, ममिता, बीजू नृत्य, गरिया, जुम नृत्य, लेबांग बुमानी, वंगाला नृत्य, मस्कक, गाला नृत्य, चेरा नृत्य, रण नृत्य और होइहुक नृत्य को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। माणिक साहा ने कहा, 'आदिवासी वाद्य यंत्रों के विकास के लिए तीन करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है। इसके अलावा, राज्य सरकार कठपुतली नृत्य, पारंपरिक खेल और जात्रापाल, कीर्तन जैसी लुप्त हो रही पारंपरिक संस्कृति को संरक्षित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।'

(एजेंसी इनपुट के साथ)