Who is Tibetan refugee stranded in Switzerland since 2014 moves Delhi HC seeks Indian passport पति की अस्थियां भारत लाने को बेचैन तिब्बती मां, एक दशक से स्विट्जरलैंड में फंसी; दिलचस्प है कहानी, India Hindi News - Hindustan
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पति की अस्थियां भारत लाने को बेचैन तिब्बती मां, एक दशक से स्विट्जरलैंड में फंसी; दिलचस्प है कहानी

  • यांगचेन 1997 में अपने दो वर्षीय बेटे के साथ स्विट्जरलैंड पहुंचीं, जहां उनके पति नगवांग छोएपेल पहले से भारत से आकर बस चुके थे।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, बर्नSat, 12 April 2025 01:58 PM
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पति की अस्थियां भारत लाने को बेचैन तिब्बती मां, एक दशक से स्विट्जरलैंड में फंसी; दिलचस्प है कहानी

स्विट्जरलैंड में पिछले एक दशक से बिना किसी वैध यात्रा दस्तावेज के रह रहीं तिब्बती शरणार्थी यांगचेन ड्रकमारग्यापोन ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यांगचेन का दावा है कि वे भारत के नागरिकता अधिनियम के तहत ‘जन्म से नागरिकता’ की हकदार हैं क्योंकि उनका जन्म 1966 में धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यांगचेन और उनके दो वयस्क बच्चे 2014 से बिना किसी वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज के स्विट्जरलैंड में “फंसे” हुए हैं। उनकी याचिका के मुताबिक, उनके पास वर्तमान में कोई वैध यात्रा दस्तावेज नहीं है, जिससे वे “व्यवहारिक रूप से देशविहीन” हो चुकी हैं। वे भारत लौटना चाहती हैं ताकि अपने परिवार के साथ रह सकें और अपने दिवंगत पति की अस्थियां भारत ला सकें, जैसा कि उनकी अंतिम इच्छा थी।

स्विस अधिकारियों ने 2023 में यांगचेन को "देशविहीन व्यक्ति" के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि “भारतीय कानून के तहत याचिकाकर्ता और उनके बच्चों को भारतीय नागरिक माना जा सकता है।” हालांकि उन्हें पहले भारतीय नागरिकता (IC) प्रमाणपत्र और पहचान पत्र जारी किया गया था, जो दिल्ली पासपोर्ट कार्यालय ने दलाई लामा कार्यालय की सिफारिश पर दिया था, लेकिन वह बाद में समाप्त हो गया।

यांगचेन 1997 में अपने दो वर्षीय बेटे के साथ स्विट्जरलैंड पहुंचीं, जहां उनके पति नगवांग छोएपेल पहले से भारत से आकर बस चुके थे। नगवांग तिब्बती निर्वासित सरकार और जिनेवा स्थित तिब्बत कार्यालय से जुड़े थे। उनका यह कार्य उन्हें चीन सरकार की नजरों में “अलगाववादी” बना गया, जिसके चलते उन्होंने 1959 में तिब्बत से भागकर नेपाल होते हुए भारत में शरण ली थी।

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2009 में स्विट्जरलैंड ने यांगचेन के परिवार को विदेशी पासपोर्ट जारी किया था, जो 2014 में समाप्त हो गया। इसके बाद पासपोर्ट का नवीनीकरण यह कहकर ठुकरा दिया गया कि नगवांग को अपने देश से पासपोर्ट लेने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन नगवांग पहले से ही देशविहीन थे और भारत से उन्हें कोई दस्तावेज नहीं मिल पाया।

2022 में नगवांग की मृत्यु के बाद, यांगचेन ने नवंबर 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भारतीय नागरिकता की मांग की। उनके वकील संजय वशिष्ठ के अनुसार, पूरा परिवार अब भी स्विट्जरलैंड में फंसा हुआ है और वे भारत लौटकर नगवांग की अस्थियां विसर्जित करना चाहते हैं।

हाईकोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को भारत सरकार को नोटिस जारी किया था, लेकिन अभी तक कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है। 7 अप्रैल 2025 को न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने मौखिक रूप से सरकार को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता के बिंदुओं पर स्पष्ट रुख प्रस्तुत किया जाए। अगली सुनवाई 7 मई को तय की गई है।