उत्तराखंड में लागू यूसीसी कानून में बदलाव, नेपाली-भूटानी नागरिक शामिल; तिब्बती शरणार्थियों पर फैसला जल्द
- उत्तराखंड में यूसीसी लागू हुए दो माह से अधिक हो चुके हैं। चूंकि इसमें अभी सुधार की गुंजाइश बनी हुई है इसलिए शासन स्तर पर कानून में बदलावों को लेकर कवायद जारी है।

उत्तराखंड से रोटी-बेटी का रिश्ता रखने वाले दो पड़ोसी देशों-नेपाल और भूटान के ऐसे नागरिक, जो उत्तराखंड में रहते हैं, भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के दायरे में होंगे। यूसीसी को लेकर बीते दिनों हुई उच्चस्तरीय समिति (एचपीसी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसके अलावा तिब्बती शरणार्थियों को लेकर राज्य गृह विभाग ने न्याय विभाग से राय मांगी है।
उत्तराखंड में यूसीसी लागू हुए दो माह से अधिक हो चुके हैं। चूंकि इसमें अभी सुधार की गुंजाइश बनी हुई है इसलिए शासन स्तर पर कानून में बदलावों को लेकर कवायद जारी है। यूसीसी की नियमावली में कुछ बिंदु ऐसे हैं, जिनमें फेरबदल के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाना होगा, लेकिन कुछ मामलों में फैसला लेने के लिए एचपीसी को अधिकृत किया गया है।
इसी के तहत बीते दिनों हुई एचपीसी की बैठक में कानून को लेकर कुछ अहम निर्णय लिए गए। इसमें एक मामला नेपाल और भूटान के नागरिकों के लिए यूसीसी में प्रावधान व तिब्बती शरणार्थियों का विषय भी था।
बैठक में बताया गया कि चूंकि नेपाल व भूटान के नागरिकों को भारत में प्रवेश के लिए वीजा-पासपोर्ट से छूट है। इनके पास अपने राष्ट्रों के नागरिकता पहचान पत्र होते हैं, जिनका उपयोग वह यहां आधार
कार्ड बनवाने के लिए भी करते हैं। ऐसे में इन परिचय पत्रों के आधार पर उन्हें यूसीसी में पंजीकरण की मान्यता दी जा सकती है। वहीं, एचपीसी ने राज्य गृह विभाग को तिब्बती शरणार्थियों के बारे में हर संभावित तरीके पर विचार-विमर्श के निर्देश दिए। इस पर गृह विभाग से विधि विभाग से परामर्श मांगा है।
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