Who is mystery witness NIA lines up to nail 26 11 mumbai attack accused Tahawwur Rana जिसने हेडली का भारत में किया स्वागत, वही अब राणा का बनेगा काल; NIA के पास है 'रहस्यमयी गवाह', India Hindi News - Hindustan
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जिसने हेडली का भारत में किया स्वागत, वही अब राणा का बनेगा काल; NIA के पास है 'रहस्यमयी गवाह'

  • जांच से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राणा के बचपन के दोस्त और 26/11 साजिश के प्रमुख पात्र हेडली से जुड़े इस प्रोटेक्टेड गवाह की भूमिका बेहद अहम है।

Amit Kumar हिन्दुस्तान टाइम्स, नीरज चौहान, नई दिल्लीSat, 12 April 2025 06:28 AM
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जिसने हेडली का भारत में किया स्वागत, वही अब राणा का बनेगा काल; NIA के पास है 'रहस्यमयी गवाह'

2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के प्रमुख आरोपी तहव्वुर राणा से शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य खुफिया एजेंसियों ने पूछताछ शुरू कर दी। जांच अधिकारियों के मुताबिक, राणा से पाकिस्तान में मौजूद उसके सहयोगियों और हमलों की साजिश रचने वाले अन्य लोगों के बारे में पूछताछ की जा रही है। इसके साथ ही, एक रहस्यमयी "प्रोटेक्टेड गवाह" से भी जल्द ही राणा का आमना-सामना कराया जाएगा। इस गवाह ने 2006 में मुंबई में डेविड कोलमैन हेडली का स्वागत किया था और उसके लिए लॉजिस्टिक्स व ठहरने की व्यवस्था की थी।

विशेष अदालत द्वारा शुक्रवार तड़के 2 बजे राणा को 18 दिनों की NIA हिरासत में भेजे जाने के कुछ घंटों बाद उसे दिल्ली के लोधी रोड स्थित NIA मुख्यालय लाया गया। सुबह तक उसे आराम करने दिया गया और फिर पूछताछ शुरू हुई। यह पहला मौका है जब भारतीय जांच एजेंसियां राणा से प्रत्यक्ष पूछताछ कर रही हैं। जून 2010 में NIA की एक टीम ने अमेरिका में हेडली से पूछताछ की थी।

जांच से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राणा के बचपन के दोस्त और 26/11 साजिश के प्रमुख पात्र हेडली से जुड़े इस “प्रोटेक्टेड गवाह” की भूमिका बेहद अहम है। यह गवाह राणा के बेहद करीब था और अदालत में भी इसकी पहचान गोपनीय रखी गई है ताकि पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियों और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे आतंकी संगठनों से उसकी सुरक्षा बनी रहे।

2006 में भारत आया था हेडली, प्रोटेक्टेड गवाह ने की थी व्यवस्था

NIA के अनुसार, जब 2006 के आसपास हमले की साजिश बन रही थी, तब हेडली पाकिस्तान जाकर LeT नेताओं से मिला और मुंबई के प्रमुख स्थलों — विशेष रूप से ताजमहल होटल — की वीडियोग्राफी के निर्देश लेकर भारत लौटा। सितंबर 2006 में भारत यात्रा के दौरान, उसे राणा के एक करीबी व्यक्ति ने रिसीव किया था। यही व्यक्ति अब “प्रोटेक्टेड गवाह” है। इस व्यक्ति ने राणा से कॉल मिलने के बाद हेडली के ठहरने और अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी ली थी।

FBI के रिकॉर्डिंग्स और दस्तावेज भी बने सबूत

NIA के पास राणा और हेडली की बातचीत की 2009 में FBI द्वारा की गई रिकॉर्डिंग्स भी अहम सबूत के रूप में हैं। जांच एजेंसी राणा के मुंबई स्थित ‘इमिग्रेशन लॉ सेंटर’ कार्यालय से जुड़े अन्य व्यक्तियों से भी पूछताछ कर रही है। एक अधिकारी ने बताया, "हम राणा से LeT, पाकिस्तानी सेना और ISI के उन हैंडलर्स के बारे में पूछ रहे हैं जो हेडली को निर्देश देते थे।"

विशेष विमान से भारत लाया गया राणा

गुरुवार शाम लगभग 6 बजे राणा को दुबई होते हुए विशेष विमान Gulfstream G550 से दिल्ली लाया गया। 16 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद भारत को हमलों के एक मास्टरमाइंड पर मुकदमा चलाने का अवसर मिला है।

पूछताछ का केंद्र: 2005 से 2009 के बीच की गतिविधियां

NIA की पूछताछ में राणा और हेडली के बीच संबंधों पर फोकस है। जांच में सामने आया है कि 2008 में राणा दुबई में हमलों के एक अन्य योजनाकार से मिला था जिसने उसे भारत न आने की सलाह दी थी क्योंकि हमले की तैयारी पूरी हो चुकी थी। राणा ने हेडली के लिए भारत का वीजा आवेदन भी भरा था जिसमें झूठी जानकारी दी गई थी। साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक को बैंक खाता खोलने के लिए नकली दस्तावेज भी दिए गए थे।

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दिल्ली, गोवा, पुष्कर और अन्य जगहों के टारगेट्स पर भी सवाल

पूछताछ में राणा से यह भी पूछा जा रहा है कि क्या वह उन वीडियो और तस्वीरों से परिचित था जो हेडली ने भारत की विभिन्न लोकेशनों — जैसे दिल्ली, गोवा, पुष्कर में चाबाद हाउस और 2009 में नेशनल डिफेंस कॉलेज (NDC) - की रेकी के दौरान बनाए थे।

मुंबई, आगरा, कोचीन और अहमदाबाद में ले जाया जा सकता है राणा

NIA अधिकारी के अनुसार, अगले कुछ सप्ताहों में राणा को उन सभी स्थानों पर ले जाया जा सकता है जहां वह या हेडली गए थे — ताकि गवाहों की पहचान करवाई जा सके और साजिश की परतें खोली जा सकें।

राणा केवल दूसरा व्यक्ति है जिसे भारत में 26/11 हमलों के लिए ट्रायल का सामना करना पड़ रहा है — और यह पहली बार है जब इस भीषण हमले के किसी मास्टरमाइंड को भारत ने अपनी गिरफ्त में लिया है। इन हमलों ने देश की सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया था, जिसके बाद व्यापक सुधार हुए और NIA जैसी एजेंसियों का गठन हुआ।