साफ बताएं, क्या हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों की एंट्री होगी? वक्फ ऐक्ट पर चीफ जस्टिस
- कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ बोर्ड में हिंदुओं की एंट्री पर सवाल उठाए तो चीफ जस्टिस ने तुषार मेहता से पूछा कि क्या हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों को एंट्री मिल सकती है। चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा, 'मिस्टर मेहता, क्या आप यह कह सकते हैं कि अब हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों को भी एंट्री मिल जाएगी।

वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज मैराथन सुनवाई हुई। ऐक्ट के खिलाफ दायर 70 से अधिक याचिकाओं पर कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकीलों ने दलीलें दीं तो वहीं केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। इस दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने एक तीखा सवाल केंद्र के वकील तुषार मेहता से ही दाग दिया। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ बोर्ड में हिंदुओं की एंट्री पर सवाल उठाए तो चीफ जस्टिस ने तुषार मेहता से पूछा कि क्या हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों को एंट्री मिल सकती है। चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा, 'मिस्टर मेहता, क्या आप यह कह सकते हैं कि अब से हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों को भी एंट्री मिल जाएगी। वे उसका हिस्सा हो सकते हैं। इसका जवाब आप साफ-साफ दें।'
चीफ जस्टिस ने वक्फ संपत्तियों पर विवादों में कलेक्टर को निर्णय लेने की पावर दिए जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आखिर वक्फ संपत्तियों पर फैसला अदालत क्यों नहीं दे सकती। चीफ जस्टिस ने कहा कि आखिर अदालत वक्फ संपत्ति पर फैसला क्यों नहीं कर सकती। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन की ताकत कलेक्टर को मिली है। वक्फ का रजिस्ट्रेशन तो हमेशा से अनिवार्य था। उन्होंने कहा कि वक्फ बाई यूजर भी रजिस्ट्रेशन के जरिए होता है। उन्होंने कहा कि 1995 के ऐक्ट में भी ऐसा ही था। उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल का कहना है कि नया कानून मुतवल्ली को जेल में डालने वाला है। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा तभी होता, जब वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन न हुआ हो।
कपिल सिब्बल बोले- 22 में से 10 ही मुस्लिम मेंबर क्यों?
सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान यह भी दलील दी गई कि मुस्लिम ही नहीं चाहते कि वक्फ ऐक्ट के तहत उनके फैसले लिए जाएं। इसलिए नए ऐक्ट में छूट दी गई है कि वे चाहें तो ट्रस्ट भी बना सकते हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इस ऐक्ट में कुछ पॉजिटिव पॉइंट हैं, लेकिन कई चिंता में डालने वाली बातें भी हैं। बता दें कि कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि वक्फ बोर्ड में अब 22 में से 10 ही मुस्लिम सदस्य होंगे। यह आर्टिकल 26 के तहत मिले स्वायत्तता के अधिकार का उल्लंघन होगा। इसी पर जब बहस आगे बढ़ी तो चीफ जस्टिस ने तुषार मेहता से ही पूछ लिया कि क्या हिंदू संस्थाओं में मुस्लिमों को एंट्री मिलेगी। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि हम एक हाई कोर्ट को इन याचिकाओं को सुनवाई करने के लिए कहेंगे। उच्च न्यायालय से कोई फैसला आने के बाद ही हम विचार करेंगे।