दिल्ली में 74 वर्षीय रिक्शा चालक को 20 साल की जेल; 6 और 7 साल की बच्चियों का किया था डिजिटल बलात्कार
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार सिन्हा इस मामले में व्यक्ति के खिलाफ सजा पर दलीलें सुन रहे थे। व्यक्ति को पॉक्सो की धारा 6 (गंभीर यौन हमला) और धारा 376 बी (12 साल से कम उम्र की लड़की का बलात्कार करने) के तहत दोषी ठहराया गया था।

साल 2021 में छह साल और सात साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न (सैक्सुअल असॉल्ट) करने वाले 74 वर्षीय रिक्शा चालक को कोर्ट ने 20 साल की कठोर सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार सिन्हा इस मामले में व्यक्ति के खिलाफ सजा पर दलीलें सुन रहे थे। व्यक्ति को पॉक्सो की धारा 6 (गंभीर यौन हमला) और धारा 376 बी (12 साल से कम उम्र की लड़की का बलात्कार करने) के तहत दोषी ठहराया गया था।
2021 में किया था डिजिटल बलात्कार
दोष लगाने वालों के अनुसार दोषी रिक्शा चालक ने साल 2021 में कई मौकों पर दोनों नाबालिग बच्चियों संग डिजिटल बलात्कार किया था। अदालत द्वारा 17 अप्रैल को सुनाए गए आदेश में कहा गया है कि दोषी द्वारा किए गए कार्य से पीड़ित बच्चियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ना तय है।
बुजुर्ग को हुई 20 साल की कठोर जेल
इससे उनका सामान्य जीवन प्रभावित होगा। इस मामले के सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों, किए गए अपराध की प्रकृति तथा नाबालिग पीड़ित लड़कियों की आयु को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने दोषी को पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
पीड़िताओं को मिलेगा 21 लाख का मुआवजा
न्यायाधीश ने नाबालिग पीड़ित लड़कियों को उनके साथ हुए अन्याय के लिए मुआवजा देने तथा उनके पुनर्वास और राहत के लिए सहायता दिलाने की भी बात कही है। अदालत ने कहा कि हमारा यह मानना है कि दोनों पीड़ित लड़कियों को पूर्ण एवं अंतिम मुआवजे के रूप में 21 लाख रुपये दिए जाने चाहिए। इसमें दोनों पीड़ित बच्चियों को 10.5-10.5 लाख रुपये देने की बात कही गई है।
डिजिटल बलात्कार क्या होता है?
डिजिटल रेप का अर्थ किसी तकनीक से जोड़कर नहीं है। यहां डिजिटल का अर्थ उंगली या किसी चीज से है। जब किसी के प्राइवेट पार्ट में जबरदस्ती उंगली या कोई अन्य वस्तु डालता है, तो इसे डिजिटल रेप कहते हैं। आपको बताते चलें कि हरियाणा के गुरुग्राम में एक प्रतिष्ठित अस्पताल में 46 साल की एयरहोस्टेज के साथ भी आईसीयू में डिजिटल रेप की वारदात हुई थी।
क्या है पॉक्सो अधिनियम?
पॉक्सो अधिनियम यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम है। यह बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है। यह कानून भारत में 2012 में लागू हुआ था और 2019 में इसमें संशोधन किया गया था। इस अधिनियम के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान की जाती है।