दिल्ली एयरपोर्ट पर अगले महीने से शुरू होगा एक नई सुविधा का ट्रायल, लंबी है होने वाले फायदों की लिस्ट
- ये उन्नत स्कैनर विस्फोटकों सहित धातु और गैर-धातु दोनों तरह के खतरों का पता लगाते हैं, जो पारंपरिक मेटल डिटेक्टरों से काफी बेहतर हैं। यह तकनीक पहले से अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख हवाई अड्डों पर इस्तेमाल की जा रही है।

दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अगले महीने से एक नई और एडवांस फुल बॉडी स्कैनर परीक्षण शुरू हो जाएगा। जिसका उद्देश्य बेहतर सुरक्षा और गोपनीयता के लिए यात्रियों की जांच में तेजी लाना और दक्षता बढ़ाना है। इन नई स्कैनर मशीनों के जरिए एकबार बॉडी स्कैन में केवल तीन सेकंड लगते हैं और इनकी अधिकतम क्षमता प्रति घंटे 1,200 स्कैन की है। इन स्कैनर्स को नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) के नवीनतम दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए लगाया जा रहा है।
दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (DIAL) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एडवांस फुल बॉडी स्कैनिंग के लिए चार अत्याधुनिक स्कैनर खरीदे गए हैं, जिनमें से दो टर्मिनल 1 (T1) और दो टर्मिनल 3 (T3) पर लगाए गए हैं। ये आधुनिक स्कैनर 70 से 80 GHz के बीच संचालित मिलीमीटर-वेव तकनीक का उपयोग करते हुए, यात्रियों की गोपनीयता सुनिश्चित करते हैं। पारंपरिक एक्स-रे स्कैनर से अलग ये रेडिएशन (विकिरण) उत्सर्जित नहीं करते हैं, जिससे वे गर्भवती महिलाओं और मेडिकल इम्प्लांट वाले व्यक्तियों सहित सभी यात्रियों के लिए सुरक्षित हो जाते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन स्कैनर को यात्रियों की आवाजाही को तेज करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे प्रतीक्षा समय कम होने के साथ हवाई अड्डे पर ज्यादा सहज अनुभव सुनिश्चित होता है।
DIAL के अनुसार ये उन्नत स्कैनर विस्फोटकों सहित धातु और गैर-धातु दोनों तरह के खतरों का पता लगाते हैं, जो पारंपरिक मेटल डिटेक्टरों से काफी बेहतर हैं। यह तकनीक, जो पहले से ही अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर इस्तेमाल की जा रही है, उन्हें तेजी से जांच करने में सक्षम बनाती है। इस आधुनिक स्कैनर्स के जरिए प्रत्येक स्कैन में केवल तीन सेकंड लगते हैं और प्रति घंटे 1,200 स्कैन की अधिकतम क्षमता होती है, जिससे यात्रियों की सुविधा और दक्षता में अप्रत्याशित रूप से सुधार होता है।
उधर नवीनतम तकनीक से दक्ष स्कैनर्स के इस्तेमाल को लेकर DIAL के सीईओ विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा, 'दिल्ली एयरपोर्ट सुरक्षा बढ़ाने के लिए नवीनतम तकनीक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही यात्रियों को निर्बाध अनुभव सुनिश्चित करता है। इन बॉडी स्कैनर की शुरूआत सुरक्षा जांच में एक बड़ा बदलाव है, जिससे गोपनीयता से समझौता किए बिना तेज और अधिक प्रभावी जांच की अनुमति मिलती है। हमारा ध्यान यात्रियों के लिए हवाई यात्रा को और अधिक सुविधाजनक बनाने पर है, और सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार नियोजित ये परीक्षण हमें पूर्ण पैमाने पर रोलआउट से पहले सिस्टम की दक्षता का मूल्यांकन करने में मदद करेंगे।'
बता दें कि फिलहाल इन स्कैनर्स के IT इंटरफ़ेस को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसके बाद अगले तीन से चार महीन इसका परीक्षण किया जाएगा। यह परीक्षण पूरा होने पर BCAS के नेतृत्व वाली समिति परीक्षण से निकले निष्कर्षों का मूल्यांकन करेगी और पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) निर्धारित करेगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ये स्कैनर सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का अनुपालन करते हैं और बेहद कम रखरखाव के साथ BCAS दिशानिर्देशों के अनुसार काम करते हैं। इनमें स्कैन किया गया डेटा भी बेहद सुरक्षित रूप से संग्रहीत रहता है और उस तक सिर्फ अधिकृत एजेंसियों की ही पहुंच होती है, जिससे यात्रियों के लिए सुरक्षा और सुविधा दोनों सुनिश्चित होती है।