हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर बैन
ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगा दी है। यूनिवर्सिटी ने ट्रंप की मांग मानने से इनकार कर दिया था। इससे छात्र समुदाय में घबराहट फैल गई है। हार्वर्ड ने कहा है...

162 नोबेल पुरस्कार विजेता देने वाली प्रतिष्ठित और अमेरिका की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड के खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है.यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रपति ट्रंप की मांग मानने से इनकार कर दिया था.डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने गुरुवार को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगा दी.ट्रंप प्रशासन ने विदेशी छात्रों को दाखिला देने का विश्वविद्यालय का अधिकार रद्द कर दिया.ट्रंप और अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के बीच जारी तकरार में यह अब तक का चरम बिंदु है.होमलैंड सिक्योरिटी मंत्री क्रिस्टी नोएम ने इस आइवी लीग इंस्टीट्यूट को एक पत्र भेजकर आधिकारिक रूप से इसकी जनाकरी दी.चिठ्ठी में लिखा है, "तुरंत प्रभाव से लागू, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट एंड विजिटर्स एक्सचेंज (SEVIS) प्रोग्राम सर्टिफिकेट रद्द किया जाता है"आइवी लीग इंस्टीट्यूट ही अमेरिका में विदेशी छात्रों को अनुमति देने वाला मुख्य सिस्टम है. देश की यूनिवर्सिटियां इसी सिस्टम से जुड़ी हैं.हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस फैसले के बाद एक बयान जारी कर कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय छात्रों और स्कॉलरों की मेजबानी करने की हार्वर्ड की क्षमता के प्रति पूरी तरह वचनबद्ध हैं"यूनिवर्सिटी के मुताबिक, फिलहाल छात्रों को गाइडेंस और सपोर्ट दिया जा रहा है.छात्रों में घबराहटट्रंप प्रशासन के इस फैसले से यूनिवर्सिटी के कैम्ब्रिज और मैसाच्युसेट्स कैंपस में भी हड़कंप मचा हुआ है.एक स्टूडेंट के मुताबिक, छात्र समुदाय घबराया हुआ है.2024-25 के अकादमिक सत्र में हार्वर्ड में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या 27 फीसदी से ज्यादा थी.अभी यह भी साफ नहीं है कि ये आदेश सिर्फ नए विदेशी छात्रों पर ही लागू होता है या नए व पुराने स्टूटेंड्स पर भी. अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों के पास पैसा कहां से आता है?यूनिवर्सिटी में चौथे वर्ष की छात्रा एलिस गॉयर ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि, अब वे अपने भविष्य को लेकर भी संशय से भर गई हैं, "हमें तो बस अभी खबर ही मिली है, मुझे कई अंतरराष्ट्रीय मित्रों से मैसेज मिल रहे हैं.हर कोई थोड़ा घबराया हुआ है"हार्वर्ड से क्यों चिढ़े हैं ट्रंपअमेरिका की इस सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी में गाजा पर इस्राएल की भीषण बमबारी के खिलाफ 2024 में बड़े प्रदर्शन हुए.ऐसे ही प्रदर्शन अमेरिका की अन्य व कई यूरोपीय यूनिवर्सिटियों में भी हुए.प्रदर्शनों के दौरान डॉनल्ड ट्रंप रिपब्लिकन उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति चुनावों की तैयारी कर रहे थे.अपने प्रचार अभियान में उन्होंने इन प्रदर्शनों की आलोचना की और प्रदर्शनकारी छात्रों को हमास के प्रति सहानुभूति रखने का जिम्मेदार ठहराया.जनवरी 2025 में राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप अपनी प्रशासनिक ताकत के साथ इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं.उनका प्रशासन, प्रदर्शनों में शामिल कुछ विदेशी छात्रों को अमेरिका छोड़ने का आदेश दे चुका है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय को मिलने वाली सरकारी फंडिंग का बड़ा हिस्सा काट दिया गया है.असल में ट्रंप का आरोप है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी "यहूदी विरोध" और "वोक" उदारवादी विचारधारा के लिए पनाहगाह सी बन गई है.वह चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी छात्रों के दाखिले और नई भर्तियों से जुड़े दस्तावेज निगरानी के लिए होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को दे, ताकि उसके छात्रों और स्कॉलरों की जांच की जा सके.हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ऐसा करने से इनकार कर चुकी है.विश्वविद्यालय के इस इनकार के बाद ही ट्रंप प्रशासन ने यह कदम उठाया है.यूनिवर्सिटी के मुताबिक इस कार्रवाई को उसका अकादमिक और रिसर्च मिशन को कमजोर पड़ेगा.
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।