भ्रष्टाचार के आरोपी ट्रायल कोर्ट के कर्मचारी ने मांगी अग्रिम जमानत, दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहा
ट्रायल कोर्ट के कर्मचारी अहमद के खिलाफ एसीबी को जमानत दिलाने के बदले रिश्वत मांगने की शिकायत मिली थी। जिसके बाद एजेंसी ने 16 मई को अहमद के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोपी ट्रायल कोर्ट के एक कर्मचारी को मंगलवार को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि आप पर लगे आरोप बहुत ही गम्भीर किस्म के हैं इसलिए आपको गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं दिया जा सकता। हालांकि मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस अमित शर्मा की अदालत ने ACB (एंटी करप्शन ब्रांच) को नोटिस जारी करते हुए मामले में जवाब देने के लिए कहा। यह याचिका ट्रायल कोर्ट के अहमद नाम के कर्मचारी ने लगाई है, जिस पर जमानत के बदले रिश्वत मांगने का आरोप है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने अदालत से कहा कि मामले में जांच निष्पक्ष नहीं थी, इसलिए याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण मिलना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने उनकी बात को नहीं माना। अदालत ने कहा कि अंतरिम राहत के मुद्दे पर वह 29 मई को उस वक्त विचार करेगी, जब आरोपी कर्मचारी के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने के लिए उसकी तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता के बचाव में उसके वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल कई बार जांच में शामिल हुए हैं और उनके खिलाफ शिकायतें भी अस्पष्ट हैं। लेकिन कार्यवाही के दौरान जस्टिस शर्मा ने मौखिक रूप से कहा, 'आप पर लगे आरोप बहुत ही गंभीर किस्म के हैं और सबूत भी रिकॉर्ड में आ चुके हैं। साथ ही हमारे अपने स्टाफ के एक व्यक्ति ने बयान दिया है कि वह आपसे हिरासत में पूछताछ चाहते हैं।' इसके साथ ही कोर्ट ने अहमद के अनुरोध पर तत्काल कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने पहले दावा किया था कि एसीबी ने ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश को फंसाकर हिसाब बराबर करने के लिए रिश्वतखोरी की FIR दर्ज की है, क्योंकि जज ने संयुक्त आयुक्त को नोटिस जारी कर पूछा था कि कर्मचारियों को कथित रूप से धमकाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में अवमानना का मामला क्यों न दायर किया जाए। हालांकि सरकारी वकील ने आरोपी कर्मचारी को किसी भी तरह की राहत दिए जाने का विरोध किया था और कहा था कि वह जवाब दाखिल करेंगे।
इससे पहले 22 मई को सेशन कोर्ट ने उस वक्त अहमद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जब सरकारी वकील ने दावा किया था कि पूरी साजिश का पता लगाने के लिए उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है।
आरोपी कर्मचारी अहमद (38 साल) 14 सितंबर 2023 से 21 मार्च 2025 के बीच राउज एवेन्यू जिला कोर्ट में विशेष न्यायाधीश की अदालत में तैनात था। इसी बीच 16 मई को जमानत दिलाने के बदले रिश्वत मांगने की शिकायत मिलने के बाद एसीबी ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था। हाई कोर्ट में दायर एक अन्य याचिका में अहमद ने FIR के साथ-साथ उसके खिलाफ इस मामले में चल रही अन्य सभी कार्यवाहियों को रद्दे करने की मांग की है। साथ ही कोर्ट को एक अन्य विकल्प सुझाते हुए निष्पक्ष जांच के लिए उसने मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने का निर्देश देने की प्रार्थना भी की।
14 फरवरी को हाई कोर्ट प्रशासन ने कथित रिश्वतखोरी के लिए संबंधित विशेष न्यायाधीश के खिलाफ जांच शुरू करने के एसीबी के अनुरोध को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि एजेंसी के पास न्यायाधीश के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। हालांकि, उसने एसीबी से अपनी जांच जारी रखने को कहा था और सुझाव दिया था कि यदि विशेष न्यायाधीश की मिलीभगत दिखाने वाली कोई सामग्री मिलती है तो वह उनसे दोबारा संपर्क करे। हालांकि 20 मई को एक प्रशासनिक आदेश के तहत हाई कोर्ट ने जज को राउज एवेन्यू कोर्ट से दूसरे जिले में स्थानांतरित कर दिया था।