डीओई ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए जारी किया सर्कुलर, एसएमसी चुनाव के लिए डेट और टाइम तय
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी स्कूलों को एक और सर्कुलर जारी किया है। इसमें मौजूदा स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) को भंग करने का निर्देश दिया गया है। निदेशालय ने एसएमसी चुनाव के लिए डेट और टाइम की घोषणा भी की है।

दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी स्कूलों को एक और सर्कुलर जारी किया है। इसमें मौजूदा स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) को भंग करने का निर्देश दिया गया है। निदेशालय ने एसएमसी चुनाव के लिए डेट और टाइम की घोषणा भी की है।
शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने दिल्ली भर के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को सभी मौजूदा स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) को भंग करने का निर्देश दिया है। साथ ही उनके पुनर्गठन के लिए चुनाव कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस कदम का उद्देश्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत स्कूल प्रशासन में सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करना है।
शिक्षा निदेशालय ने 24 अप्रैल के एक सर्कुलर में घोषणा की कि स्कूल प्रमुख और एक शिक्षक संयुक्त रूप से चुनाव प्रक्रिया के प्रभारी होंगे। चुनाव 9 मई को होंगे और 10 मई को परिणाम घोषित किए जाएंगे। इसके बाद नई एसएमसी का गठन होगा।
शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रत्येक एसएमसी में 16 सदस्य होंगे। इनमें अध्यक्ष के रूप में प्रिंसिपल, 12 माता-पिता या अभिभावक, एक शिक्षक प्रतिनिधि, स्थानीय प्राधिकरण से एक निर्वाचित सदस्य और शिक्षा में अनुभव रखने वाला एक सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होगा। इसके अलावा, सामाजिक विज्ञान, गणित और विज्ञान के शिक्षक समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में काम करेंगे।
शिक्षा निदेशालय के सर्कुलर में कहा गया है कि सुबह की शिफ्ट वाले स्कूलों में 9 मई को सुबह 8 से 11 बजे के बीच और शाम की शिफ्ट वाले स्कूलों में दोपहर 1 से 4 बजे के बीच मतदान होगा। अंतिम जांच और नामांकन सूची 7 मई तक तैयार की जाएगी। शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि स्कूल की इमारतों को खराब करना और स्कूल परिसर में पोस्टर चिपकाना मना है। शिक्षा निदेशालय ने चुनाव के दौरान स्कूल परिसर के पास लाउडस्पीकर, पोस्टर या किसी भी तरह की भीड़ पर प्रतिबंध लगा दिया है।
शिक्षा विभाग ने कहा कि चुनाव लड़ने के इच्छुक अभिभावकों को नामांकन फॉर्म जमा करना होगा, जिसमें व्यक्तिगत और बच्चे का विवरण, एक फोटोग्राफ और एक संक्षिप्त विवरण शामिल होना चाहिए कि वे स्कूल में किस तरह से योगदान देने की योजना बना रहे हैं। अन्य अभिभावकों के पांच हस्ताक्षर भी आवश्यक हैं।
सर्कुलर के अनुसार, समिति के आधे सदस्य महिलाएं होनी चाहिए। इसके अलावा वंचित समूहों और कमजोर वर्गों से आनुपातिक संख्या में अभिभावक होने चाहिए, जिसमें एससी/एसटी/ओबीसी और कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) से एक सदस्य शामिल होना चाहिए। अभिभावक सदस्यों में से एक उपाध्यक्ष चुना जाएगा।
एसएमसी का कार्यकाल आम तौर पर दो साल का होता है। इसके बाद पुनर्गठन की आवश्यकता होती है। शिक्षा विभाग के अनुसार, जिला शिक्षा उपनिदेशकों (डीडीई) को प्रत्येक जिले में एक स्थायी कोर ग्रुप (पीसीजी) स्थापित करने का काम भी सौंपा गया है। इसमें एक स्कूल प्रमुख और दो शिक्षक शामिल हैं, जो चुनावों की निगरानी करेंगे और सामाजिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करेंगे। शिक्षा विभाग ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन आवेदन करना होगा और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता रखने वाले लोगों पर ही विचार किया जाएगा।
एसएमसी से अपेक्षा की जाती है कि वे स्कूल के कामकाज की निगरानी करें, स्कूल के विकास के लिए विकास योजना तैयार करें और उसकी सिफारिश करें। साथ ही अपने पड़ोस में बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए सक्रिय रूप से काम करें।