क्या है गामा नाइफ तकनीक?जिससे दिल्ली के AIIMS में हुआ आंख के कैंसर का इलाज
इस नई तकनीक से इलाज जल्दी,सुरक्षित और कम दर्द वाला हो सकता है,जिससे बच्चों की आंख और उनकी रोशनी बचाई जा सकती है। एम्स की यह पहल देश में कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक नई उम्मीद लेकर आई है।

दिल्ली एम्स ने आंखों के कैंसर रेटिनोब्लास्टोमा के इलाज में गामा नाइफ रेडिएशन तकनीक का इस्तेमाल किया। इसका उपयोग भारत में पहली बार हुआ, जबकि दुनिया में दूसरी बार इस तकनीक का इस्तेमाल कैंसर के लिए किया गया। इसमें मरीज को बार-बार रेडिथेरेपी के लिए नहीं आना पड़ता और सर्जरी करने की जरूरत भी कम हो जाती है। एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. दीपक अग्रवाल ने बताया कि इससे पहले रूस में इस तकनीक से अच्छे नतीजे सामने आए थे। अब भारत में भी इसके जरिए इलाज शुरू किया गया है।
आंखों की पुतली पर सफेद चमक होना बड़ा लक्षण
एम्स के आरपी सेंटर की प्रोफेसर और नेत्र कैंसर विशेषज्ञ डॉ. भावना चावला ने बताया कि देश में हर साल दो हजार बच्चे आंखों के कैंसर का शिकार हो रहे हैं। इसमें बच्चों को धुंधला दिखने लगता है। उनकी आंखों की पुतली पर सफेदी आने लगती है। इस तरह के लक्षण दिखें तो तत्काल अलर्ट हो जाना चाहिए। इसके अलावा आंखों में तिरछापन, रोशनी कम होना, आंखें लाल होना, सूजन और दर्द भी इसके लक्षण हो सकते हैं। इनको ध्यान में रखकर शुरुआती दौर में ही बीमारी की पहचान कर ली जाए तो आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है। बच्चों में होने वाले आंखों के कैंसर में सबसे अधिक मामले रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर के होते हैं। इससे पीड़ित 80 फीसदी बच्चे समय पर इलाज मिलने से आसानी से स्वस्थ हो जाते हैं।
तकनीक के बारे में जानें
रेटिनोब्लास्टोमा का इलाज कीमोथेरेपी या सर्जरी से होता है,लेकिन गामा नाइफ तकनीक की मदद से अब बिना बड़े ऑपरेशन के सटीक रेडिएशन से ट्यूमर को खत्म किया जा सकता है। इस नई तकनीक से इलाज जल्दी,सुरक्षित और कम दर्द वाला हो सकता है,जिससे बच्चों की आंख और उनकी रोशनी बचाई जा सकती है। एम्स की यह पहल देश में कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक नई उम्मीद लेकर आई है।
रेटिना में कोशिकाओं की वृद्धि के रूप में शुरू होता
रेटिनोब्लास्टोमा,बच्चों में होने वाला एक दुर्लभ प्रकार का आंखों का कैंसर है, जो रेटिना में कोशिकाओं की वृद्धि के रूप में शुरू होता है। यह एक या दोनों आंखों में हो सकता है। यह पांच साल तक की उम्र में होने वाला सबसे आम आंखों का कैंसर है। इस बीमारी से ग्रस्त 80 फीसदी बच्चे ठीक हो जाते हैं।