NEET के नाम पर धांधली करने वाले गैंग का पर्दाफाश, सरगना ने कंपनी बना शुरू किया था फर्जीवाड़ा
नोएडा एसटीएफ की टीम ने रविवार को सेक्टर-3 से नीट-यूजी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली कर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश कर सरगना समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। यह गैंग परीक्षा पास कराने के नाम पर रकम ऐंठता था और अभ्यर्थियों की जगह सॉल्वर बैठाता था।

नोएडा एसटीएफ की टीम ने रविवार को सेक्टर-3 से नीट-यूजी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली कर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश कर सरगना समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। यह गैंग परीक्षा पास कराने के नाम पर रकम ऐंठता था और अभ्यर्थियों की जगह सॉल्वर बैठाता था। एसटीएफ को शनिवार को सूचना मिली थी कि कुछ लोग नीट परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों के परिवारवालों से पास कराने का वादा करके मोटी रकम वसूल रहे हैं। ये लोग नोएडा के सेक्टर-3 में ठिकाना बनाकर इस पूरे ऑपरेशन को चला रहे थे। सूचना के आधार पर टीम ने तुरंत कार्रवाई की और सरगना तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उनके साथियों की तलाश जारी है।
गिरफ्त में आए आरोपियों की पहचान दिल्ली के लक्ष्मी नगर निवासी विक्रम कुमार साह, अनिकेत कुमार और सागरपुर निवासी धर्मपाल सिंह के रूप में हुई। तीनों लंबे समय से इस तरह के रैकेट में शामिल थे। आरोपियों के पास से छह मोबाइल फोन, चार पर्सनल मोबाइल, दो फर्जी आधार कार्ड, अभ्यर्थियों की डेटा शीट, पैन कार्ड, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, पासपोर्ट, चेकबुक, एक ऐप्पल मैकबुक और एक फॉर्च्यूनर कार बरामद हुई है। इस गैंग की गतिविधियों पर एसटीएफ की काफी समय से नजर थी।
एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी देशभर में प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली कर ठगी करने का गिरोह चलाते हैं। उनके बाकी साथियों की तलाश की जा रही है। इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व अपर पुलिस अधीक्षक राज कुमार मिश्रा और इंस्पेक्टर नवेंद्र कुमार ने किया।
सरगना ने कंपनी बनाकर फर्जीवाड़ा करना शुरू किया
गिरोह का मुख्य आरोपी 30 वर्षीय विक्रम कुमार साह बिहार के मूलरूप से दरभंगा का रहने वाला है। उसने वर्ष 2011 में विनायक मिशन यूनिवर्सिटी चेन्नई से बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक किया था। वहीं, उसकी मुलाकात अनिकेत से हुई और दोनों ने मिलकर शिक्षा क्षेत्र में फर्जीवाड़े की शुरुआत की। दोनों ने मिलकर 30 प्रतिशत कमीशन पर छात्रों को एनजीओ के जरिये एडमिशन दिलवाने का काम शुरू किया। ग्रेजुएशन के बाद ये लोग दिल्ली आ गए। आरोपियों ने एडमिशन व्यू नाम से फर्जी कंपनी बनाई, जिसके जरिये एमबीबीएस और कॉलेज में एडमिशन के नाम पर ठगी की जाती थी। गिरफ्तार तीसरा आरोपी अभ्यर्थियों के स्थान पर सॉल्वर बैठाने का इंतजाम करता था।
दाखिला न होने पर रुपये वापस नहीं करते थे
गिरोह सबसे पहले परीक्षार्थियों का डेटा इकट्ठा करता था और उनके माता-पिता को फोन करके कहता था कि आपके बच्चे को परीक्षा में पास करवा देंगे। बस पांच लाख रुपये देने होंगे। ये रकम कभी बैंक अकाउंट से और कभी नकद वसूली जाती थी। एडवांस में रुपये लेने के बाद ये लोग ओएमआर शीट में सही उत्तर भरवाने का वादा करते थे। अगर अभ्यर्थी का दाखिला नहीं होता था तो रुपये वापस नहीं दिए जाते थे। जब अभिभावक दबाव डालते तो ये लोग फरार हो जाते।
पीड़ितों से संपर्क करेगी पुलिस : गिरोह ने वर्ष 2023 में श्रीयनवी एजुकेशन ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक नई फर्जी कंपनी बनाई और फिर से ठगी का खेल शुरू कर दिया। आरोपियों ने जिन अभ्यर्थियों को इस तरह एडमिशन दिलवाया, पुलिस उन तक भी पहुंचने की कोशिश कर रही है।