आपरेशन सिंदूर ::: जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती गांव से लोग सुरक्षित स्थानों पर भेजे गए
शब्द : 381 --------------- पाकिस्तान से हुई गोलाबारी में चार बच्चों सहित 12 नागरिकों

शब्द : 381 --------------- पाकिस्तान से हुई गोलाबारी में चार बच्चों सहित 12 नागरिकों की हो चुकी है मौत जम्मू, एजेंसी जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा से लगे गांवों के सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। पाकिस्तान की ओर से इलाके में जारी गोलाबारी के चलते 12 नागरिकों की जान चली गई है। भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान व पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के बाद से पाकिस्तान ने पुंछ, राजौरी, बारामुला व कुपवाड़ा के सीमावर्ती गांवों में गोलाबारी शुरू कर दी थी जिसमें नियंत्रण रेखा से लगे इन गांवों में 12 नागरिकों की मौत हो गई जबकि 50 लोग घायल हैं।
मृतकों में चार बच्चे व दो महिलाएं भी शामिल हैं। इसके बाद प्रशासन ने इन गांवों के लोगों को वहां से सुरक्षित निकालना शुरु कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित जोरियन गांव के लियाकत अली ने बताया कि हालांकि उनके गांवों में किसी तरह की गोलीबारी अभी तक नहीं हुई है लेकिन फिर भी उन्हें आर.एस.पुरा स्थित आईटीआई कॉलेज में शरण लेने के लिए कहा गया है जहां सरकार द्वारा पूरी व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि 1000 की आबादी वाला गांव पूर्व में भी पाकिस्तान की गोलीबारी से बुरी तरह प्रभावित रहा है। लोग भारत-पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को लेकर डरे हुए हैं। गगरियन व अखनूर सेक्टर के प्रगवाल गांव के लोगों को भी सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है। ग्रामीण मुंशी राम का कहना है कि स्थानीय लोगों से या तो सरकारी शिविर में शरण लेने के लिए कहा गया है या अपने किसी रिश्तेदार के यहां चले जाने को कहा गया है। मनकोट गांव के मोहम्मद अरशद ने कहा कि उनकी रात जागकर बीती है। वह अपने परिवार को रिश्तेदार के यहां शिफ्ट करने के लिए गोलाबारी रुकने का इंतजार कर रहे थे। स्थानीय निवासी रविंद्र सिंह ने कहा कि शांति से बेहतर तो कुछ भी नहीं है लेकिन पहलगाम हमले के बाद सरकार व सेना के पास इस कार्रवाई के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा था। वहीं अधिकारियों का कहना है कि सीमावर्ती गांव के लोगों के सुरक्षित स्थान पर रहने के लिए उनकी सुविधा के सभी आवश्यक इंतजाम किए जा रहे हैं, खासतौर पर महिलाओं के लिए जिससे उन्हें अस्थायी शिविरों में किसी तरह की दिक्कत न हो।
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