India-UK Free Trade Agreement No Duty Concessions on Sensitive Goods like Diamonds and Smartphones भारत हीरा, चांदी, स्मार्टफोन पर कोई छूट नहीं देगा, Delhi Hindi News - Hindustan
Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsIndia-UK Free Trade Agreement No Duty Concessions on Sensitive Goods like Diamonds and Smartphones

भारत हीरा, चांदी, स्मार्टफोन पर कोई छूट नहीं देगा

भारत ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के तहत हीरा, चांदी, स्मार्टफोन और अन्य संवेदनशील उत्पादों पर कोई शुल्क रियायत नहीं देने का निर्णय लिया है। ब्रिटिश इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात पर भी कोटा...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 7 May 2025 05:37 PM
share Share
Follow Us on
भारत हीरा, चांदी, स्मार्टफोन पर कोई छूट नहीं देगा

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत हीरा, चांदी, स्मार्टफोन और ऑप्टिकल फाइबर जैसे कई संवेदनशील औद्योगिक उत्पादों पर ब्रिटेन की कंपनियों को कोई शुल्क रियायत नहीं देगा। एक अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन से पेट्रोल और डीजल इंजन वाहन के आयात पर शुल्क रियायत पूर्व-निर्धारित कोटा तक सीमित है। इसी तरह, सीमा शुल्क की रियायती दर पर ब्रिटिश इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के आयात का कोटा केवल कुछ हजार तक सीमित है। प्लास्टिक, हीरा, चांदी, बेस स्टेशन, स्मार्टफोन, टेलीविजन कैमरा ट्यूब, ऑप्टिकल फाइबर, ऑप्टिकल फाइबर बंडल और केबल जैसे संवेदनशील औद्योगिक सामान एफटीए को एफटीए की सूची से बाहर रखा गया है।

भारत, ब्रिटेन को इन वस्तुओं पर कोई आयात शुल्क लाभ नहीं देता है। वाहन क्षेत्र को खोलने के बारे में अधिकारी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर चौथे सबसे बड़े वाहन विनिर्माता के रूप में भारत के पास वाहन मूल्य श्रृंखला में वैश्विक अगुवा के रूप में उभरने की रणनीतिक क्षमता है। भारत के मजबूत विनिर्माण आधार के बावजूद, वैश्विक वाहन बाजार में इसकी हिस्सेदारी कम बनी हुई है, जो विस्तार की व्यापक संभावनाओं को दर्शाता है। आईसीई (आंतरिक दहन इंजन) यानी परंपरागत ईंधन के वाहनों के लिए ब्रिटेन के बाजार तक पहुंच से देश के वाहन और वाहन कलपुर्जों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है। अधिकारी ने कहा, ईवी के लिए कोटा से बाहर शुल्क में कोई कमी नहीं की गई है। ईवी से जुड़ी संवेदनशीलता का ध्यान रखा गया है। आईसीई वाहनों पर कोटा से बाहर शुल्क को लंबे समय में धीरे-धीरे कम किया जाएगा, जिससे हमारे उद्योगों को ब्रिटेन से बढ़ने वाले आयात का मुकाबला करने के लिए वक्त मिल सके। भारत और ब्रिटेन ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शुल्क कम करेगा और ब्रिटिश कंपनियों के लिए भारत को व्हिस्की, कार और अन्य उत्पादों का निर्यात करना आसान बना देगा। इस समझौते का मकसद 2030 तक दोतरफा व्यापार को मौजूदा के 60 अरब अमेरिकी डॉलर से दोगुना करना है। भारत के पास जवाबी कार्रवाई का अधिकार भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते में ब्रिटेन के प्रस्तावित कार्बन कर का मुकाबला करने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि अनिश्चितता एवं इसको लेकर कोई भी ब्रिटिश कानून नहीं होने से भारत ने भविष्य में इससे घरेलू निर्यात प्रभावित होने पर जवाबी कार्रवाई या रियायतों को पुनर्संतुलित करने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखा है। ब्रिटेन सरकार ने 2027 से अपना 'कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म' लागू करने का निर्णय दिसंबर 2023 में लिया था। आर्थिक शोध संस्थान 'ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव' के अनुसार, ब्रिटेन द्वारा 2027 से लोहा व इस्पात, एल्युमीनियम, उर्वरक व सीमेंट जैसे उत्पादों पर कार्बन कर लगाने के निर्णय के कारण ब्रिटेन को भारत का 77.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है। कपड़ा, चमड़ा निर्यात को बांग्लादेश, वियतनाम के मुकाबले बढ़त ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के तहत परिधान, वस्त्र और चमड़ा जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में भारतीय निर्यात पर आयात शुल्क हटाने से बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले घरेलू कंपनियों को बढ़त मिलेगी। निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, ''शुल्क हटाने से बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी।'' उन्होंने कहा कि नियामकीय प्रक्रियाओं के व्यवस्थित होने से ब्रिटेन में जेनेरिक दवाओं की मंजूरी में तेजी आएगी। परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के उपाध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि नए निर्यात अवसरों को खोलने, व्यापार बाधाओं को कम करने और प्रमुख ब्रिटेन बाजार तक अधिक पहुंच से भारतीय बुनकरों, निर्माताओं और निर्यातकों को लाभ होगा। भारतीय बाजार पर कोई खास असर नहीं भारत और ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत स्कॉच व्हिस्की को दी गई आयात शुल्क रियायतों से घरेलू बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह कटौती 10 साल की अवधि में धीरे-धीरे लागू की जाएगी। समझौते के तहत भारत, ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करेगा तथा समझौते के 10वें वर्ष में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत कर देगा। एक अधिकारी ने कहा, स्कॉच व्हिस्की के आयात में वृद्धि से घरेलू बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।