पीडब्ल्यूडी-ठेकेदार मिलकर केंद्र सरकार को नहीं लगा सकेंगे चूना
केंद्र सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की टेंडर प्रक्रिया में खामियों को रोकने के लिए निर्देश जारी किए हैं। सभी टेंडर दस्तावेजों की कड़ी जांच की जाएगी और बिना केंद्र के क्षेत्रीय अधिकारी की...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता केंद्र पोषित सड़क परियोजनाओं की टेंडर प्रक्रिया में खामी के जरिए राज्य सरकार की एजेंसी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और उनके ठेकेदार राजस्व की चपत नहीं लगा सकेंगे। केंद्र ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को पीडब्ल्यूडी के टेंडर संबंधी सभी दस्तावेजों का कड़ी जांच करने का निर्देश दिया है। राज्य की एजेंसी केंद्र के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) की मंजूरी के बिना टेंडर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ा सकती है। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने इस बाबत 16 मई को राज्य सरकार व सार्वजनिक उपक्रम के सभी शीर्ष अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। इनमें उल्लेख है कि पीडब्ल्यूडी द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय राजमार्ग कार्यों से संबंधित तमाम परियोजनाओं में ठीक प्रकार से स्क्रूटनी (जांच) नहीं हो रही है।
इस कारण कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। राज्यों में से एक का हालिया मामला इस चिंता को उजागर करता है, जहां अनुसूची-बी में एक प्रमुख वस्तु की मात्रा में एक बड़ी त्रुटि चौथी निविदाओं में काम दिए जाने और स्वीकृति पत्र (एलओए) जारी होने के बाद ही पहचानी गई थी। इसके चलते केंद्र सरकार अनावश्यक टेंडर विवाद और कानूनी जटिलताओं में फंसती है और सरकार के ऊपर वित्तीय बोझ पड़ता है। 100 करोड़ से कम लागत वाली सभी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के टेंडर दस्तावेजों को पहले केंद्र सरकार के आरओ जांच करेंगे। जरूरत पड़ने पर बोली लगाने से पहले सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित होगी। आरओ की मंजूरी के बिना पीडब्ल्यूडी परियोजना की टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकेगी। टेंडर में निर्माण से जुड़ी जानकारियां होती हैं दर्ज जानकारों ने बताया कि टेंडर दस्तावेजों में राष्ट्रीय राजमार्ग, पुल, सुरंग आदि परियोजनाओं में निर्माण संबंधी तमाम जानकारी दर्ज होती है। इसमें निर्माण सामग्री मात्रा, गुणवत्ता, राजमार्ग की लंबाई-चौड़ाई, डामरीकृत की परत की मोटाई, पुल-सुरंग की लंबाई आदि का उल्लेख होता है। ऐसी परियोजनाओं में पीडब्ल्यूडी अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से घपलेबाजी की जाती है लेकिन केंद्र पोषित परियोजना होने के कारण इसका खामियाजा सड़क परिवहन मंत्रालय को भुगतना पड़ता है। आरओ करेंगे जांच सड़क परिवहन मंत्रालय ने 16 मई को जारी आदेश में यह भी उल्लेख किया है कि ठेकेदार-निर्माण कंपनी से विवाद होने पर पीडब्ल्यूडी आरओ से परामर्श के बिना न्यायालयों-आर्बीटरेशन में पेश होती है। हालांकि, नए नियम में पीडब्ल्यूडी मामले से जुड़े सभी उत्तर, बचाव के बयानों व लिखित प्रस्तुतियों की आरओ द्वारा जांच कराएगी। आरओ सुनवाई की प्रत्येक तारीख में मध्यस्थता या अदालती मामलों पर नजर रखेंगे। आरओ सभी चल रहे विवादों, दावों, मध्यस्थता मामलों और अदालती मामलों का रिकॉर्ड बनाए रखेंगे और मंत्रालय को समय-समय पर अपडेट प्रदान करेंगे। ऐसा नहीं करने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।